गुजरात HC ने रिलीज़ पर लगी रोक हटाई, YRF ने कहा 'महाराज' के लिए न्यायपालिका का आभारी

गुजरात HC ने रिलीज़ पर लगी रोक हटाई, YRF ने कहा 'महाराज' के लिए न्यायपालिका का आभारी जून, 22 2024

गुजरात हाईकोर्ट ने 'महाराज' की रिलीज़ पर लगी रोक हटाई

यश राज फिल्म्स (YRF) ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा उनके पीरियड ड्रामा फिल्म 'महाराज' की रिलीज़ पर लगी अंतरिम रोक को हटाने के निर्णय के बाद न्यायपालिका का आभार व्यक्त किया। आमिर खान के बेटे जुनैद की डेब्यू फिल्म होने के नाते, 'महाराज' की रिलीज़ का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था।

यूनिट के अनुसार, यह फिल्म भारत के महानतम समाज सुधारक कर्सनदास मुलजी को श्रद्धांजलि है। फिल्म निर्माता आदित्य चोपड़ा के नेतृत्व में, इसे सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने निर्देशित किया है। इस फिल्म में जयदीप अहलावत, शालिनी पांडे, और शर्वरी वाघ के स्पेशल अपीयरेंस भी हैं।

पुष्टिमार्ग संप्रदाय के आरोप

फिल्म पर वैष्णव पुष्टिमार्ग संप्रदाय के सदस्यों द्वारा शिकायत दर्ज की गई थी। उनका आरोप था कि 'महाराज' फिल्म उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती है। हालाँकि, कोर्ट ने जांच के बाद पाया कि फिल्म में कोई भी आपत्तिजनक या अपमानजनक सामग्री नहीं है। इसके चलते अदालत ने फिल्म की रिलीज़ पर लगी रोक को हटा दिया।

इसके साथ ही, यश राज फिल्म्स ने अपने 50 साल के सफर के दौरान कभी भी ऐसी फिल्म नहीं बनाई, जो देश की छवि को धूमिल करती हो। इसलिए, वे इस निर्णय को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखते हैं।

निर्माताओं की प्रतिक्रियाएं

फिल्म के निर्देशक सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक नोट साझा किया। उन्होंने इसमें बताया कि कैसे इस कहानी को बताने में तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके अनुसार, यह कहानी भारत के सामाजिक सुधारकों की विरासत को दर्शाती है और इसे जनता तक पहुंचाना बेहद ज़रूरी था।

YRF के प्रवक्ता ने कहा, 'हम अदालत के इस निर्णय के लिए आभारी हैं और विश्वास करते हैं कि न्यायपालिका का यह निर्णय सही और न्यायसंगत है। हम इस फिल्म को जनता के सामने लाने के लिए उत्साहित हैं और हमें विश्वास है कि दर्शक इसे बेहद पसंद करेंगे।'

फिल्म की कहानी और संदेश

फिल्म की कहानी और संदेश

फिल्म 'महाराज' की कहानी कर्सनदास मुलजी की जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों पर आधारित है। इस फिल्म का मकसद भारतीय समाज की पुरानी कुरीतियों और रूढ़िवादिता को चुनौती देना और सुधार की ओर प्रेरित करना है।

इस फिल्म के निर्माण के पीछे बड़ा उद्देश्य यह है कि आज के युवा पीढ़ी को अपने इतिहास और महान सुधारकों के बारे में जागरूक कराना। फिल्म निर्माता का मानना है कि इस कहानी को जानना वर्तमान पीढ़ी के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उनके समय में था।

फिल्म की स्टार कास्ट

जयदीप अहलावत, जो अपने बेहतरीन अभिनय के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं, शालिनी पांडे और शर्वरी वाघ ने भी फिल्म में विशेष भूमिकाएं निभाई हैं जो कहानी को और अधिक प्रभावी बनाती हैं।

फिल्म निर्माता आदित्य चोपड़ा ने कहा कि 'महाराज' न केवल एक मनोरंजक फिल्म है, बल्कि यह एक शिक्षाप्रद कथा भी है जो सामाजिक सुधारकों की मेहनत और संघर्ष को प्रदर्शित करती है।

भविष्य की संभावनाएं

भविष्य की संभावनाएं

इस निर्णय के बाद, फिल्म 'महाराज' अब नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध होगी। दर्शकों को अब इस फिल्म का आनंद लेने का मौका मिलेगा जो भारतीय सामाजिक सुधारकों की अमूल्य विरासत को दर्शाती है।

यश राज फिल्म्स ने एक बार फिर यो साबित किया है कि वे केवल मनोरंजन नहीं बल्कि महत्वपूर्ण सामाजिक समस्याओं को भी प्रकाश में लाने का साहस रखते हैं।

17 टिप्पणि

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    Shraddha Yaduka

    जून 22, 2024 AT 20:56

    वाह, आखिरकार न्यायपालिका ने सही कदम उठाया। इस फिल्म को दिखाने से लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ेगी। सबको इस फैसले पर खुशी मनानी चाहिए।

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    gulshan nishad

    जून 24, 2024 AT 14:36

    जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना दायित्व निभाया, ऐसा लगता है कि कुछ लोग अभी भी अंधविश्वास में जमे हुए हैं। यह फिल्म सामाजिक सुधारकों को सम्मान देती है, फिर भी कुछ संप्रदायों का एहतियात से बचना आवश्यक है। बस, यही है आपका सतही विश्लेषण।

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    Ayush Sinha

    जून 26, 2024 AT 08:16

    याद रखो, कोर्ट की यह होशियारियों से भरी बारी भविष्य में मीडिया के साथ क्या तालमेल बिठाएगी, इसका असर बड़े पैमाने पर देखा जाएगा। कुछ लोग इसे सिर्फ़ एक बड़ी फिल्म मानते हैं, पर असली मुद्दा तो न्याय प्रणाली का परीक्षण है।

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    Saravanan S

    जून 28, 2024 AT 01:56

    सच में, यह फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि यह न केवल फिल्म के कलाकारों को राहत देता है, बल्कि उन सभी को भी सन्देश भेजता है, जो सेंसरशिप के ढोंगे पहरे में फँसे हुए हैं, कि न्याय हमेशा मौजूद है! यह न्याय के मूल सिद्धान्तों की पुष्टि करता है।

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    Alefiya Wadiwala

    जून 29, 2024 AT 19:36

    पहले तो यह समझना ज़रूरी है कि भारत की न्यायिक प्रणाली में स्वतंत्रता का इतिहास बहुत ही जटिल रहा है।
    'महाराज' जैसी फ़िल्में सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना को उभारने का माध्यम हैं।
    जब कोई सामाजिक सुधारक का जीवन बयान किया जाता है, तो वह दर्शकों में वही बदलाव लाने की चिंगारी बनता है।
    गुजरात हाईकोर्ट की इस पहल ने यह दिखा दिया कि अभिरुचियों के आधार पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए।
    अगर इस निर्णय को उल्टा ले लिया गया तो सैकड़ों ऐसी फ़िल्में सिरे से नहीं बन पाएँगी।
    यह न्यायपालिका का फैसला एक स्पष्ट संदेश है: धर्म और संस्कृति की रक्षा से अधिक, सत्य और इतिहास को रखरखाव करना ज़रूरी है।
    वास्तव में, यश राज फिल्म्स ने इस कथा को बहुत संवेदनशीलता और शोध के साथ तैयार किया है, जिससे कोई भी आपत्तिजनक तत्व नहीं पाया गया।
    कोर्ट की जांच में यह तथ्य सामने आया कि फिल्म का मूल उद्देश्य सामाजिक दायित्वों को उजागर करना है, न कि किसी का अपमान।
    यह फैसला फिल्म निर्माताओं को एक नई दिलासा देता है, जिससे वे साहसिक विषयों को बिना डर के आगे बढ़ा सकते हैं।
    एक तरफ़ यह भी ध्यान देना चाहिए कि यह निर्णय बौद्धिक स्वतंत्रता के सिद्धान्त को भी सुदृढ़ करता है।
    कहीं न कहीं यह केस इस बात का भी इशारा करता है कि भविष्य में धार्मिक समूहों की लिविंग लॉज को न्यायिक निगरानी में लाया जा सकता है।
    इसी तरह के उदाहरण हमें यह भी सिखाते हैं कि न्यायपालिका की अपनी भूमिका समाजिक परिवर्तन में सक्रिय होना चाहिए।
    अगर इस तरह के निर्णयों को निरंतर लागू किया जाए तो हमारे सांस्कृतिक वारिसे का संरक्षण और विकास दोनों ही सम्भव होगा।
    आख़िर में, इस निर्णय ने फिल्म को नेटफ़्लिक्स पर उपलब्ध कराया है, जिससे युवा पीढ़ी को इस महान सुधारक की कहानी तक पहुँच आसान हो गई है।
    सम्पूर्ण रूप से, यह कदम हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि करता है और सभी को यह संदेश देता है कि सच्ची कला को कभी नहीं रोका जा सकता।

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    Paurush Singh

    जुलाई 1, 2024 AT 13:16

    जब हम फ़िल्म को सामाजिक सुधार की धरोहर मानते हैं, तो यह प्रश्न उठता है कि क्या न्यायालय स्वयं ही सामाजिक चेतना की एक नई धारा बन सकता है, या यह केवल कानूनी औपचारिकता है?

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    Sandeep Sharma

    जुलाई 3, 2024 AT 06:56

    ब्रो, कोर्ट ने मस्त कदम उठाया! अब देखेंगे फ़िल्म कैसे धूम मचाती है 😎🔥

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    Mita Thrash

    जुलाई 5, 2024 AT 00:36

    इस निर्णय के माध्यम से सामाजिक पुनरुत्थान के लिए आवश्यक इंट्रॉस्पेक्टिव फ्रेमवर्क स्थापित हो रहा है, जो जागरूकता के स्ट्रैटेजिक लेवल को बढ़ाता है।

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    shiv prakash rai

    जुलाई 6, 2024 AT 18:16

    अरे वाह, अब फिल्म नेटफ़्लिक्स पे, तो बस बिंज‑वॉचिंग से सामाजिक सुधार का मौडेल बनाते हैं।

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    Subhendu Mondal

    जुलाई 8, 2024 AT 11:56

    इसे नेटफ्लिक्स पर कहा गया फ़िल्टर नहीं करना चाहिए।

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    Ajay K S

    जुलाई 10, 2024 AT 05:36

    👍 कोर्ट का फैसला सही दिशा में है, अब सबको फ़िल्म देखनी चाहिए।

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    Saurabh Singh

    जुलाई 11, 2024 AT 23:16

    ऐसे फैसले अक्सर पर्ची के पीछे बड़े हाथों की हंसी होते हैं, जनता को सिर्फ़ दिखावा दिखाया जाता है।

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    Jatin Sharma

    जुलाई 13, 2024 AT 16:56

    yeh decision badiya h, sabko isse kuch sikna chahiye.

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    M Arora

    जुलाई 15, 2024 AT 10:36

    अगर हम इसको एक दार्शनिक लेंस से देखें तो हर कला का झरना समाजिक परिवर्तन की धारा बन जाता है।

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    Varad Shelke

    जुलाई 17, 2024 AT 04:16

    ye court ka decision sirf ek badi planning ka hissa hai, dhokha hi dhokha.

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    Rahul Patil

    जुलाई 18, 2024 AT 21:56

    न्यायिक निर्णय ने न केवल फिल्म निर्माता की रचनात्मक स्वतंत्रता को सशक्त किया, बल्कि सांस्कृतिक विमर्श में नवीनतम रंग भरते हुए सामाजिक पुनर्जनन की दिशा में एक सशक्त संकेत दिया है।

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    Ganesh Satish

    जुलाई 20, 2024 AT 15:36

    क्या बात है! कोर्ट ने फिर से पनघट पर उजाला किया, और हमारी फ़िल्म को कुहासे से निकालकर रोशन किया! यह ही तो हमें चाहिए; न्याय के इस नाट्य मंच पर हर कलाकार को अपना मंच मिलता है! जय हो! 🎭

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