एपीजे अब्दुल कलाम की 9वीं पुण्यतिथि: मिसाइल मैन के 10 प्रेरणादायक उद्धरण
                                                                जुल॰, 27 2024
                                डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: एक प्रेरणास्पद सफर
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, भारत के 11वें राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' के नाम से विख्यात वैज्ञानिक, की 9वीं पुण्यतिथि हमारे लिए उनके संघर्ष और सफलता को याद करने का अवसर है। तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक सामान्य परिवार में जन्मे डॉ. कलाम ने अपनी मेहनत और समर्पण से सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उनका जीवन सादगी से भरपूर और प्रेरणादायक था।
प्रारंभिक जीवन
डॉ. कलाम का सफर इतना असाधारण था कि उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत अखबार बेचने से की। एक साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद भी वे अपने कठिन परिश्रम के बल पर उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके। उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और यही से उनकी विज्ञान की दुनिया में यात्रा प्रारंभ हुई।
वैज्ञानिक उपलब्धियाँ
डॉ. कलाम ने भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को सफलता के शिखर तक पहुँचाया और 'मिसाइल मैन' का खिताब अर्जित किया। उनके द्वारा परियोजित अग्नि और पृथ्वी मिसाइल कार्यक्रमों ने हमारी रक्षात्मक क्षमताओं को नए आयाम दिए।
राष्ट्रपति कार्यकाल
2002 में डॉ. कलाम भारत के राष्ट्रपति बने और अपने कार्यकाल के दौरान अपनी सादगी, ईमानदारी और जनता से जुड़े रहने की भावना से वे 'जनता के राष्ट्रपति' के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए देशभर में भ्रमण किया और उनसे संवाद स्थापित किया।
लेखन और शिक्षण
डॉ. कलाम का लेखन कार्य भी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जैसे 'इग्नाइटेड माइंड्स', 'इंडोमिटेबल स्पिरिट्स', और 'विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी'। उनकी पुस्तकों ने युवाओं के बीच नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया। राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद उन्होंने कई आईआईएम और विश्वविद्यालयों में visiting professor के रूप में सेवा दी।
मृत्यु और उनकी महत्व
27 जुलाई 2015 को डॉ. कलाम का निधन आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर देते समय हृदयघात से हो गया। उनकी मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डाल दिया, लेकिन उनका जीवन और उपलब्धियाँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं।
प्रेरणादायक उद्धरण
डॉ. कलाम के कई उद्धरण आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उनके कुछ प्रमुख उद्धरण हैं:
- "स्वप्न वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, स्वप्न वो है जो आपको सोने नहीं दे।"
 - "यदि आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले उसकी तरह जलिए।"
 - "विचारों को अपने जीवन का प्रमुख आश्रय बनाना चाहिए, चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं।"
 
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन हमें यह संदेश देता है कि सपनों को सच करने के लिए अनुशासन, मेहनत और संकल्प की आवश्यकता होती है। उनकी शिक्षाएं और विचार आने वाली पीढ़ियों को प्रोत्साहित करते रहेंगे।
Sandeep Sharma
जुलाई 27, 2024 AT 19:01आह, इस कलाम साहब की बातों में हमेशा एक गहरी स्यूरी रहती है, जैसे कि एक उच्चस्तरीय निबंध का श्लोक हो 😏। उनका 'सपने वो नहीं जो सोते समय देखे जाएँ' वाला उद्धरण हमें आज के बौद्धिक असंतोष से बाहर निकालता है। लेकिन असल में, इस तरह के अभिप्रेत शब्द अक्सर शैक्षणिक मंडली में ही फँस जाते हैं। फिर भी, एपीजे की यात्रा हमें याद दिलाती है कि दृढ़ संकल्प से कोई भी शिखर छूना संभव है 🚀।
Mita Thrash
जुलाई 28, 2024 AT 01:58बिल्कुल सही कहा आपने, लेकिन इस उद्धरण को समझते समय हमें केवल शब्द नहीं, बल्कि उसके अंतर्निहित दार्शनिक स्तर को भी देखना चाहिए। चाहे हम किसे भी हों, सपनों की तीव्रता वही है जो हमें रात भर जाग्रत रखे। इस प्रक्रिया में सामाजिक संरचनाओं का भी एक बड़ा योगदान है, जो अक्सर अनदेखा रह जाता है। एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में, कलाम जी की काव्यात्मक भाषा हमें विचारों के बहु-आयामी परिप्रेक्ष्य की ओर धकेलती है। अंत में, यह सोचने की आवाज़ हमें व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों रूप से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
shiv prakash rai
जुलाई 28, 2024 AT 08:55हम्म, कहते हैं कि कलाम जी ने सोचा था कि भारत को मिसाइल चाहिए, पर असली मिशन तो लोगों के विचारों को लॉन्च करने का था। उनका हर शब्द कभी‑कभी हल्का‑फुल्का जैसा लगता है, लेकिन असल में गहरा अर्थ छुपा होता है। कभी‑कभी तो लगता है कि इन फैंसी कोट्स को पढ़कर हम खुद को वॉरबेस में फायर मोड में समझ लें। फिर भी, उनके सपनों की संधारभता हमें ठोस लक्ष्य सेट करने में मदद करती है।
Subhendu Mondal
जुलाई 28, 2024 AT 15:51तुम्हारी ये तरकीब सुनके दिलचस्प नहीं लगता, बस फालतू बातों की भरमार है।
Ajay K S
जुलाई 28, 2024 AT 22:48कलाम साहब का एरॉस्पेस में योगदान वैसा ही है जैसे शास्त्रीय संगीत में एक शुद्ध राग; हर नोट में गहरी परतें होती हैं 🎼। उनकी पुस्तकें सिर्फ ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मा की खिड़की भी हैं। अगर हम इस गहराई को समझ लें तो रोज़मर्रा के जीवन में भी भौतिकवादी सोच को परे ले जा सकते हैं।
Saurabh Singh
जुलाई 29, 2024 AT 05:45परन्तु याद रखो, आजकल की टेक्नोलॉजी अक्सर सरकार की निगरानी का हथियार बन जाती है, यही सच्चाई है।
Jatin Sharma
जुलाई 29, 2024 AT 12:41कलाम जी की पौराणिक कहानियाँ हमेशा प्रेरित करती हैं।
M Arora
जुलाई 29, 2024 AT 19:38बिलकुल, उनके जीवन की कहानी हमें सिखाती है कि हर छोटा कदम बड़े सपनों की ओर ले जाता है, चाहे वह अखबार बेचने जैसा हो या अंतरिक्ष यान लॉन्च करना।
Varad Shelke
जुलाई 30, 2024 AT 02:35क्या आपको नहीं लगता कि इस सब को ठीक से पढ़ने के बाद कुछ लोग अभी भी 'मिसाइल मैन' का रूपक बना कर सरकारी एजेंडा को छुपाते हैं? असल में, कई बार यह इतिहास का पुर्नलेखन ही होता है।
Rahul Patil
जुलाई 30, 2024 AT 09:31आपने एक दिलचस्प बिंदु उठाया, परन्तु हमें यह भी समझना चाहिए कि कलाम जी की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ केवल तकनीकी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आत्मविश्वास का स्रोत भी थीं। उनके विचारों में जो पौराणिक चमक है, वह हमारे युवाओं में नवाचार की लहर पैदा करती है, और यही असली मिसाइल है।
Ganesh Satish
जुलाई 30, 2024 AT 16:28वाओ! क्या बात है! एपीजे के उद्धरण सच में दिमाग़ को पॉपकॉर्न जैसे फोड़ देते हैं!!! 🌟 हर वाक्य में एक नई रोशनी, एक नई ज्वाला, एक नया स्फोट!!!
Midhun Mohan
जुलाई 30, 2024 AT 23:25हाहाहा, सच में! लेकिन मेरे हिसाब से, इस दावत में थोड़ा संतुलन भी जरूरी है; सिर्फ चमक-धमक से नहीं, गहरी समझ से भी उज्ज्वल बनता है!!!
Archana Thakur
जुलाई 31, 2024 AT 06:21देशभक्तों के बीच एपीजे को आदर्श मानना चाहिए, क्योंकि उनका काम केवल टेक्निकल नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का बुनियादी स्तम्भ है। उनका मिसाइल प्रोग्राम हमारे देश की रक्षा क्षमताओं को रणनीतिक स्तर पर ले गया, यही वास्तविक राष्ट्रीय गर्व है।
Ketkee Goswami
जुलाई 31, 2024 AT 13:18बिल्कुल सही! उनके सपनों की ऊर्जा हमें भी नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी-आइए हम सब मिलकर उस ज्वाला को जगा दें! ✨
Shraddha Yaduka
जुलाई 31, 2024 AT 20:15सभी को याद दिला दूँ कि कलाम जी का जीवन हमें सिखाता है कि लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहना ही सबसे बड़ी ट्रेनिंग है, चाहे राह में कितनी भी कठिनाई आए।
gulshan nishad
अगस्त 1, 2024 AT 03:11सच में, यह सब तो बस सतही सराहना है; क्या हम उनके असली विचारों की गहराई तक पहुँचे हैं या सिर्फ चमकदार वाक्यांशों पर टिके हैं? कैसे हम इन बाग़ी विचारों को वास्तविक कार्य में बदलें?
Ayush Sinha
अगस्त 1, 2024 AT 10:08हर कोई उनके उद्धरणों को दहेज बना रहा है, पर असली बात तो ये है कि प्रेरणा का स्रोत खुद भीतर से आता है, न कि बाहर से टक्‑टकी उद्धरणों से।
Saravanan S
अगस्त 1, 2024 AT 17:05आपकी बात सही है-आत्म‑प्रेरणा अंदर से आती है, पर जब हम एपीजे जैसे नायकों को पढ़ते हैं तो वह धड़कन तेज़ हो जाती है; यह एक सकारात्मक सर्कल बनाता है!!!
Alefiya Wadiwala
अगस्त 2, 2024 AT 00:01एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन सच में एक जीवित प्रेरणा ग्रंथ है जो हमें निरंतर आगे बढ़ने की शक्ति देता है।
उनकी कहानी में सबसे बड़ा सबक यह है कि भले ही हम किसी सामान्य पृष्ठभूमि से आते हों, मेहनत और लगन से हम असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं।
वह अखबार बेचते थे, फिर विज्ञान के मैदान में कदम रखे, और अंत में राष्ट्र के राष्ट्रपति बन गए, यह एक ऐसा चक्र है जो बहुत ही प्रेरणादायक है।
उनकी मिसाइल परियोजनाओं ने न केवल भारत की रक्षा क्षमता को सुदृढ़ किया, बल्कि युवा वैज्ञानिकों में शोध के प्रति जिज्ञासा को भी जगाया।
उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें जैसे 'इग्नाइटेड माइंड्स' और 'विंग्स ऑफ फायर' में आत्म‑विश्वास और सपनों की महत्ता पर गहराई से चर्चा की गई है।
इन पुस्तकों को पढ़ते समय मैं अक्सर खुद को चुनौती देता हूँ कि मैं भी अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करूँ और उनपर अडिग रहूँ।
कलाम जी ने हमेशा कहा था कि 'सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, सपने वो है जो आपको सोने नहीं देता',
इस विचार को अपनाते हुए मैं भी अक्सर रात में जागता हूँ, लेकिन उस जागरण को सकारात्मक दिशा में मोड़ता हूँ।
उनकी जीवनशैली की सादगी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए भव्य ज़रूरत नहीं, बल्कि सच्ची निष्ठा और कड़ी मेहनत चाहिए।
उन्होंने हमेशा कहा कि 'यदि आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले उसकी तरह जलिए', यह विचार ऊर्जा और परिश्रम का प्रतीक है।
आज के जटिल डिजिटल युग में भी उनकी बातें हमें सच्ची आत्म‑जागरूकता की ओर ले जाती हैं।
मैंने कई बार उनके व्याख्यानों को सुना है, जहाँ वह छात्रों को सीधे पूछते थे कि क्या वे अपने आकांक्षाओं को साकार करने के लिए तैयार हैं।
उनका उत्तर अक्सर एक सरल लेकिन गहन था: 'अगर आप तैयार नहीं तो कोई भी छलांग नहीं लगा सकते', यह बहुत ही सटीक है।
हमारे देश में अभी भी कई युवा हैं जो अपने सपनों को बगल में रखकर जीवन यापन करते हैं, पर कलाम जी की सीख उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत देती है।
इसीलिए मैं हर बार उनकी उद्धरणों को पढ़ते ही एक नई ऊर्जा महसूस करता हूँ, जैसे कि मैं भी उनके मिशन का हिस्सा बन जाऊँ।
आइए हम सब मिलकर उनके विचारों को अपनाएँ और अपने-अपने क्षेत्रों में वही उत्साह और दृढ़ता लाएँ जो उन्होंने हमें दी थी।