प्रसिद्ध मीडिया मुग़ल एवं ईनाडु समूह के अध्यक्ष रामोजी राव का निधन

प्रसिद्ध मीडिया मुग़ल एवं ईनाडु समूह के अध्यक्ष रामोजी राव का निधन जून, 8 2024

रामोजी राव: एक प्रेरणास्त्रोत का अवसान

रामोजी राव, भारतीय मीडिया जगत की एक प्रतिष्ठित हस्ती, अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका निधन 8 जून को सुबह 4:50 बजे एक निजी अस्पताल में हुआ। 88 वर्ष की आयु में बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके जीवन और उनके कार्य ने बहुतों को प्रेरित किया और भारतीय मीडिया इतिहास में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी है।

प्रारंभिक जीवन एवं पृष्ठभूमि

रामोजी राव का जन्म 18 नवंबर, 1936 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पेदपरुपुड़ी गांव में हुआ था। वे वेंकटासुब्बा राव और वेंकटासुब्बम्मा के तीन बच्चों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार पेरिसेपल्ली गांव का निवासी था। उनके प्रारंभिक जीवन में कई कठिनाइयाँ थीं लेकिन उन्होंने अपने संकल्प और मेहनत के बल पर एक उज्ज्वल भविष्य की नींव रखी।

व्यापारिक यात्रा और सफलता

रामोजी राव की उद्यमशीलता की यात्रा 1962 में शुरु हुई जब उन्होंने मार्गदर्शी चिट फंड की स्थापना की। उनकी यह यात्रा यहीं नहीं रुकी, 1969 में उन्होंने अपने मीडिया करियर की शुरुआत अन्नदाता पत्रिका के साथ की। मीडिया में उनका सबसे बड़ा योगदान 10 अगस्त, 1974 को देखा गया जब उन्होंने तेलुगु दैनिक समाचार पत्र 'ईनाडु' का शुभारंभ किया। ईनाडु ने अपने अनूठे योगदानकर्ता प्रणाली के चलते देश में एक नया मानदंड स्थापित किया।

फिल्म निर्माण में सफलता

मीडिया के अलावा रामोजी राव का फिल्म निर्माण में भी विशेष योगदान रहा है। उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस, 'उषाकिरण मूवीज' के तहत कई महत्वपूर्ण फिल्मों का निर्माण किया। इन फिल्मों ने उन्हें और अधिक प्रसिद्धि दिलाई और उनकी पहचान एक सफल फिल्म निर्माता के रूप में भी स्थापित हुई।

नवाचार और नेतृत्व

रामोजी राव ने अपने कार्यक्षेत्र में नवाचार और नेतृत्व के अनूठे उदाहरण प्रस्तुत किए। उनकी दृष्टिकोणशीलता और नेतृत्व ने उन्हें भारतीय मीडिया उद्योग में एक अग्रणी व्यक्ति बना दिया। उन्होंने पत्रकारिता को एक नए मुकाम पर पहुँचाया और अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए।

अंतिम समय और श्रद्धांजलि

रामोजी राव को उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट के कारण 5 जून को नानकरामगुड़ा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन दिन बाद, 8 जून को सुबह 4:50 बजे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन पर सभी क्षेत्रों से जुड़ी बड़ी हस्तियों और आम जनता ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

परिवार और शुभचिंतक

रामोजी राव का परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहा और उनकी सफलता में सहयोगी रहा। उनके निधन के बाद परिवार में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है। कई मीडिया और राजनीतिक जगत की हस्तियों ने उन्हें श्रंद्धांजलि अर्पित की है और उनके योगदान को सिर झुका कर सलामी दी है।

रामोजी राव का जीवन और कार्य हमेशा मीडिया और व्यापारिक जगत में प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उनके नवाचार और कठिन परिश्रम की कहानियाँ अनगिनत लोगों को प्रेरित करती रहेंगी।

5 टिप्पणि

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    Shraddha Yaduka

    जून 8, 2024 AT 19:55

    रामोजी राव की उपलब्धियों को देखते हुए, हम सभी को उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

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    gulshan nishad

    जून 8, 2024 AT 19:56

    अरे! ये कहानी तो बिल्कुल सिनेमा जैसी लगती है। इस तरह के बड़े शख्स के बारे में सुनते‑सुनते हम अक्सर वास्तविकता भूल जाते हैं। बस यही नहीं, उनका जीवन एक तरह की मिथक बन गया है।

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    Ayush Sinha

    जून 8, 2024 AT 19:58

    मैं देखता हूँ कि कई लोग केवल सम्मान में ही फँस जाते हैं, वास्तविक योगदान को नजरअंदाज कर देते हैं। रामोजी राव ने सच में कुछ हद तक उद्योग में बदलाव लाया, पर उनका प्रभाव कभी‑कभी आलंकारिक बना रहता है। यह जरूरी नहीं कि उन्होंने प्रत्येक पहल में गुणदोष को समान रूप से संतुलित किया हो। इसलिए, उनके काम को सराहते‑सराहते आलोचना करना भी सही है।

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    Saravanan S

    जून 8, 2024 AT 20:00

    सच‑मुच, आपका यह व्याख्यान दिल को छू गया!! रामोजी राव की यात्रा को याद करना, हमें अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ने की याद दिलाता है!! अगर हम उनके जैसे संकल्पित होते तो शायद कई समस्याओं का हल जल्दी मिल ही जाता!!

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    Alefiya Wadiwala

    जून 8, 2024 AT 20:01

    रामोजी राव का जीवन एक जटिल परिधान जैसा है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक धागे बंधे हुए हैं।
    उनकी सफलता को अक्सर एक साधारण उद्यमी की भावना के रूप में सराहना की जाती है, परंतु यह सरलीकरण ऐतिहासिक तथ्यों की उपेक्षा है।
    वास्तव में, 1960‑के दशक में भारत में मीडिया के परिदृश्य में गहराई से पैठ बनाने के लिए नीतियों के अद्यतन, संपादकीय स्वतंत्रता, और तकनीकी नवाचार की आवश्यकता थी, जिसे उन्होंने कुशलता से इस्तेमाल किया।
    उनकी 'मार्गदर्शी चिट फंड' केवल एक वित्तीय उपकरण नहीं था; यह सामाजिक पूँजी निर्माण का एक प्रायोगिक मॉडल था, जिसे बाद में कई अन्य उद्यमियों ने दोहराया।
    इस प्रकार, 'फ़ाइल' के रूप में शुरू हुई उनकी पत्रकारिता यात्रा को सिर्फ एक व्यक्तिगत प्रोजेक्ट नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय संवाद मंच के रूप में देखा जाना चाहिए।
    जब उन्होंने 1974 में 'ईनाडु' की स्थापना की, तो वह तुलनात्मक रूप से मामूली पेपर नहीं था, बल्कि तेलुगु क्षेत्र में विचारधारा और भाषा के पुनरुद्धार का उपकरण बन गया।
    उनकी अनूठी योगदानकर्ता प्रणाली ने न केवल आर्थिक स्थिरता प्रदान की, बल्कि लेखकों को सशक्त करने का सामाजिक कार्य भी किया।
    परंतु यह मानना कि उनका प्रभाव केवल मीडिया तक सीमित रहा, एक गहन त्रुटि है; उनकी फिल्म निर्माण में योगदान ने भी दक्षिण भारतीय सिनेमा में नई दिशा दी।
    उषाकिरण मूवीज द्वारा निर्मित कई फ़िल्में, जिनमें सामाजिक मुद्दों को बारीकी से प्रस्तुत किया गया, आज भी अकादमिक चर्चाओं का विषय हैं।
    यह स्पष्ट है कि उनका नवाचारी दृष्टिकोण केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि एक समग्र सामाजिक परिवर्तन का एक भाग था।
    जब हम आज के डिजिटल युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा‑ड्रिवेन जर्नलिज़्म देखते हैं, तो रामोजी राव की दूरदर्शी नीतियों की तुलना में उनका प्रभाव अंधकार में चमकते दिये की तरह दिखता है।
    भले ही उनके अंतिम वर्षों में स्वास्थ्य समस्याएँ थीं, परन्तु उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र को स्थिरता से नहीं छोड़ा।
    इस कारण से, उनके निधन पर केवल शोक ही नहीं, बल्कि उनके कार्यों की गहन विश्लेषणात्मक पुनरावलोकन की आवश्यकता है।
    भविष्य के लेखकों और पत्रकारों को यह समझना चाहिए कि केवल त्वरित सफलता नहीं, बल्कि सतत नवाचार और सामाजिक उत्तरदायित्व ही सच्ची विरासत बनाते हैं।
    और अंत में, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि रामोजी राव का मार्गदर्शन आज के कई युवा उद्यमियों के लिए एक व्यवहार्य रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
    परिवर्तन को अपनाने की उनकी साहसिकता, जोखिम उठाने की तत्परता, और निरंतर सीखने की इच्छा को हमें सराहना चाहिए, न कि केवल स्मरण।

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