वोटर निष्कासन: क्या है ये नीति और भारत में इसका क्या प्रभाव?
वोटर निष्कासन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वोटर निष्कासन, चुनावी प्रक्रिया में अयोग्य या गलत तरीके से दर्ज किए गए मतदाताओं को वोटर सूची से हटाने का नियम के तहत उन लोगों को वोट देने का अधिकार छीन लिया जाता है जो वास्तव में भारत के नागरिक नहीं हैं, या जिनकी पहचान झूठी है, या जो एक से ज्यादा जगह रजिस्टर्ड हैं। ये नीति निर्वाचन आयोग, भारत में चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की जिम्मेदारी रखने वाली संस्था की जिम्मेदारी है, जो हर साल लाखों नाम वोटर सूची से हटाता है। इसका मकसद सिर्फ चुनावी धोखेबाजी रोकना नहीं, बल्कि ये सुनिश्चित करना है कि हर वोट एक असली नागरिक का हो।
इस प्रक्रिया में वोटर सूची, भारत में हर नागरिक के वोट देने का अधिकार दर्ज करने वाली ऑफिशियल लिस्ट की जांच की जाती है। अगर किसी का नाम दो जगह मिल जाए, या वो एक जगह रहता है लेकिन दूसरी जगह रजिस्टर्ड है, तो उसे निष्कासित कर दिया जाता है। कई बार ये निष्कासन डिजिटल डेटा मैचिंग, आधार कनेक्शन या घर के डॉक्यूमेंट्स की जांच से होता है। ये नियम इतना सख्त है कि अगर कोई व्यक्ति अपना आधार कार्ड नहीं लिंक करता, तो उसका नाम भी हटा दिया जा सकता है। लेकिन ये नीति अक्सर विवादों में भी फंस जाती है — क्योंकि कई बार गरीब, स्थानीय या बुजुर्ग लोगों का नाम गलती से हट जाता है।
भारत में इस नीति का असर बहुत बड़ा है। केवल 2023 में, निर्वाचन आयोग ने लगभग 1.2 करोड़ नाम वोटर सूची से हटाए। ये सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक अहम संदेश है कि चुनाव की नीति अब बस जनता के हिस्से की बात नहीं, बल्कि उसकी पहचान की भी है। अगर आप अपना नाम वोटर सूची में देखना चाहते हैं, तो आपको एक बार ऑनलाइन चेक कर लेना चाहिए — नहीं तो आपका वोट भी गायब हो सकता है। ये नियम आपके लिए नहीं, बल्कि आपके देश के लिए है।
इस पेज पर आपको वोटर निष्कासन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी मिलेगी — कैसे ये प्रक्रिया काम करती है, किन लोगों को निष्कासित किया जाता है, और क्या आप इसका हिस्सा बन सकते हैं। ये सब उन लेखों में बताया गया है जो आपके नीचे दिख रहे हैं।