पश्चिम बंगाल में SIR वोटर लिस्ट सुधार: 47 लाख मृतकों के नाम हटाए जाने को लेकर बीएलओ घर-घर जांच में लगे
नव॰, 16 2025
पश्चिम बंगाल के वोटर सूची में 47 लाख मृतकों के नाम शामिल होने का सच सामने आया है, और अब बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर वोटर डेटा की जांच कर रहे हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 11 नवंबर 2024 तक राज्यभर में 6.56 करोड़ से अधिक वोटर जानकारी फॉर्म वितरित कर दिए गए हैं — यानी कुल फॉर्म का 85.71% हिस्सा। लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है। अब तक का सबसे बड़ा सच ये है कि यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने चुनाव आयोग को बताया है कि पश्चिम बंगाल में 34 लाख आधार धारक मर चुके हैं, और उनके साथ ही 13 लाख ऐसे लोग भी हैं जिनके पास आधार कार्ड तक नहीं था, लेकिन वे भी दफन हो चुके हैं। इन 47 लाख नामों को वोटर सूची से निकालना अब एक तार्किक और कानूनी जरूरत बन गया है।
क्या है SIR और क्यों जरूरी है?
Special Intensive Revision (SIR) का मतलब है विशेष तीव्र सुधार। ये कोई नया निर्णय नहीं, बल्कि संविधान की धारा 324 के तहत चुनाव आयोग का कानूनी कर्तव्य है। अतिरिक्त मुख्य चुनाव आयुक्त अरिंदम नेगी ने स्पष्ट किया, "चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है, लेकिन कानून बनाने वाला नहीं। हम कानूनों द्वारा दिए गए अधिकारों का उपयोग करते हैं — और वोटर सूची को सटीक और भ्रम-मुक्त रखना हमारी जिम्मेदारी है।" ये सुधार 2002 की वोटर सूची के साथ मिलान करके किया जा रहा है। हर वोटर को https://ceowestbengal.wb.gov.in पर जाकर अपना पुराना रजिस्ट्रेशन चेक करना होगा।
घर-घर जांच, दो फॉर्म, एक नियम
बीएलओ अब दो बार घर आएंगे। पहली बार फॉर्म बांटेंगे, दूसरी बार भरा हुआ फॉर्म वापस लेंगे। वोटर को एक फॉर्म अपने पास रखना होगा — ये उसकी रिकॉर्ड है। दूसरा फॉर्म वापस देना होगा। अगर कोई व्यक्ति अपने परिवार के मृतक सदस्य का नाम वोटर लिस्ट में देखता है, तो उसे मृत्यु प्रमाणपत्र तैयार रखना होगा। अगर नाम हटाया नहीं गया, तो उस व्यक्ति की वोटिंग अधिकार भी संदिग्ध हो सकती है। ये प्रक्रिया अब सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं — 12 राज्यों में चल रही है।
भाजपा का आरोप: अवैध दस्तावेज और बीएलओ पर दबाव
11 नवंबर को नई दिल्ली में अमित मल्विया की अगुवाई वाली भाजपा टीम ने चुनाव आयोग के सामने एक गंभीर आरोप लगाया। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में SIR के लिए जमा किए गए कई दस्तावेज़ "पूरी तरह अवैध" हैं। कुछ बीएलओ अधिकारियों पर धमकियां भी दी गईं हैं — और इन मामलों की जांच की मांग की गई है। भाजपा का दावा है कि कुछ दस्तावेज़ जानबूझकर बनाए गए हैं, जिनमें नाम भरे गए हैं जो वास्तव में वोटर नहीं हैं। ये आरोप अभी साबित नहीं हुए, लेकिन चुनाव आयोग ने इनकी जांच करने का वादा किया है।
कौन बाहर हो सकता है? और क्या होगा अगर नाम नहीं आया?
अगर आपका नाम फाइनल लिस्ट में नहीं आया, तो आपको फरवरी 2026 तक वोट नहीं डालने का अधिकार मिलेगा। नाम हटाने के मुख्य कारण हैं:
- आप अपने घर से बदल गए हैं और नया पता दर्ज नहीं करवाया
- आपके पास अवैध या गलत दस्तावेज़ हैं
- आपका नाम गलती से पहले शामिल कर लिया गया था
- आप या आपका परिवार सदस्य मर चुका है
स्वीकृत दस्तावेज़ों में शामिल हैं: स्थायी निवास प्रमाणपत्र, जंगल अधिकार प्रमाणपत्र, अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां मौजूद हो), और सरकारी भूमि/घर आवंटन प्रमाणपत्र।
अगले कदम: ड्राफ्ट और फाइनल लिस्ट का समय
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 9 दिसंबर 2024 को जारी की जाएगी। इसके बाद लोगों को 15 दिनों का समय मिलेगा अपने नाम या गलतियों की शिकायत दर्ज करने के लिए। फाइनल लिस्ट 7 फरवरी 2026 को जारी होगी। ये लिस्ट 2026 के आम चुनाव के लिए आधार बनेगी। वोटर अपने EPIC नंबर के साथ https://voters.eci.gov.in/ पर ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं — लेकिन ये पोर्टल 4 दिसंबर 2025 तक ही खुला रहेगा।
क्या आपको फोन करना चाहिए?
हां। अगर आपको कोई समस्या हो रही है, तो आप चुनाव आयोग की नेट ऐप के जरिए "Book-a-Call with BLO" का विकल्प चुन सकते हैं। या फिर अपने STD कोड के साथ 1950 पर कॉल करें। ये नंबर आपकी शिकायत को तुरंत रिकॉर्ड कर लेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
SIR क्यों शुरू किया गया है और क्या यह कानूनी है?
SIR चुनाव आयोग के संवैधानिक अधिकारों के तहत शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य वोटर सूची में गलत या जानबूझकर शामिल नामों को हटाना है। यह कोई राजनीतिक उपाय नहीं, बल्कि एक कानूनी आवश्यकता है। भारतीय चुनाव अधिनियम के तहत, चुनाव आयोग वोटर सूची की सटीकता के लिए जिम्मेदार है। यह अभियान देश भर में चल रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में इसकी विशेष जरूरत उसकी विशाल आबादी और अतीत के दस्तावेज़ी अनियमितताओं के कारण है।
अगर मैंने फॉर्म भरा नहीं, तो क्या होगा?
अगर आपने फॉर्म नहीं भरा, तो आपका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं होगा। लेकिन आप फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद भी अपील कर सकते हैं। आप चुनाव आयोग के ऑनलाइन पोर्टल पर अपना नाम जोड़ने के लिए अपील कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको अपने निवास और नागरिकता के प्रमाण देने होंगे। याद रखें — अगर आपका नाम 7 फरवरी 2026 तक फाइनल लिस्ट में नहीं आया, तो आप अगले बड़े चुनाव तक वोट नहीं डाल सकते।
मृतकों के नाम हटाने से क्या फायदा है?
47 लाख मृतकों के नाम वोटर सूची में होना चुनावी धोखाधड़ी का खुला अवसर बनाता है। ये नाम किसी और के नाम पर वोट डालने के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं — जैसे कि एक व्यक्ति अपने नाम के साथ-साथ किसी मृतक के नाम से भी वोट कर सकता है। यह चुनाव की वैधता को नुकसान पहुंचाता है। यूआईडीएआई के डेटा के आधार पर नाम हटाने से यह जोखिम काफी कम हो जाता है। यह एक तकनीकी और नैतिक दोनों तरह से जरूरी कदम है।
क्या बीएलओ को धमकियां दी गईं हैं? इसकी जांच कौन करेगा?
भाजपा ने इस बारे में आरोप लगाया है, और चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है। अगर ऐसी शिकायतें साबित होती हैं, तो इन्हें राज्य के चुनाव निरीक्षक या स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर जांचा जाएगा। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि बीएलओ अधिकारियों को धमकी देना एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए कानूनी कार्रवाई हो सकती है। अभी तक कोई आधिकारिक जांच शुरू नहीं हुई है, लेकिन आरोपों की जांच के लिए एक टीम बनाई जा रही है।
मैं अपना नाम कैसे चेक कर सकता हूं?
आप https://ceowestbengal.wb.gov.in पर जाकर 'Electoral Roll of SIR 2002' सेक्शन में अपना EPIC नंबर डालकर अपनी 2002 की रजिस्ट्रेशन जानकारी चेक कर सकते हैं। इसके अलावा, https://voters.eci.gov.in/ पर आप अपना नाम अपडेट कर सकते हैं। अगर आपका नाम वहां नहीं है, तो आप फाइनल लिस्ट जारी होने से पहले अपील कर सकते हैं। याद रखें — आपको अपना नाम फाइनल लिस्ट में देखना चाहिए, न कि ड्राफ्ट में।
अगर मैं नए घर पर रह रहा हूं, तो क्या मुझे नया नाम दर्ज करवाना होगा?
हां, बिल्कुल। अगर आप अपने पुराने वोटिंग इलाके से बदल गए हैं, तो आपको नए इलाके में अपना नाम दर्ज करवाना होगा। अगर आप नहीं करते, तो आपका नाम पुराने इलाके में बना रहेगा, लेकिन आपको नए इलाके में वोट डालने का अधिकार नहीं मिलेगा। आप ऑनलाइन फॉर्म भरकर या बीएलओ से संपर्क करके इसे कर सकते हैं। आपको नए पते का प्रमाण देना होगा — जैसे बिजली बिल या राशन कार्ड।