
सेंसरशिप: क्या है और क्यों चीज़ों को रोकता है?
आपने टीवी, सोशल मीडिया या स्कूल में कभी सुना होगा ‘सेंसरशिप’ शब्द. ये बस कुछ चीज़ों को देखना या बताना बंद कर देना है, अक्सर सरकार या बड़े प्लेटफ़ॉर्म के कारण. लेकिन असल में इसका मतलब क्या है? चलिए, सरल शब्दों में समझते हैं.
सेंसरशिप के मुख्य रूप क्या हैं?
सेंसरशिप दो‑तीन मुख्य रूप में आती है:
- सरकारी सेंसरशिप – देश की सुरक्षा, सार्वजनिक शांति या नैतिकता बचाने के नाम पर सरकार कुछ कंटेंट को ब्लॉक करती है. उदाहरण के तौर पे, कुछ फिल्में या किताबें रिलीज़ से पहले ही रोक दी जाती हैं.
- प्लेटफ़ॉर्म सेंसरशिप – फेसबुक, यूट्यूब या ट्विटर जैसे बड़े ऐप्स अपने नियमों के आधार पर पोस्ट या वीडियो हटाते हैं. ये अक्सर ‘हेट स्पीच’ या ‘गलत सूचना’ के नाम पर होता है.
- सामाजिक या आत्म-सेंसरशिप – कभी‑कभी लोग खुद ही कुछ कहने से बचते हैं, क्योंकि डर होता है कि कोई नाराज़ हो जायेगा या नौकरी से निकाल दिया जायेगा.
इनमें से हर एक का असर अलग‑अलग होता है, पर सबका लक्ष्य जानकारी को सीमित करना है.
हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर सेंसरशिप का असर
जब आप कोई समाचार पढ़ते हैं या यूट्यूब पर वीडियो देखते हैं, तो आपको भी कभी‑कभी ‘यह कंटेंट आपके देश में उपलब्ध नहीं है’ जैसा मैसेज दिख सकता है. इसका मतलब है कि आपका इंटरनेट कनेक्शन या ऐप ने उस कंटेंट को ब्लॉक कर दिया है. इससे न सिर्फ जानकारी की पहुंच कम होती है, बल्कि अक्सर सही फैक्ट भी छिप जाते हैं.
सेंसरशिप का असर स्कूल और कॉलेज में भी दिखता है. कई बार प्रॉफ़ेसर या शिक्षक कुछ किताबों या विषयों को नहीं पढ़ाते, डर के कारण कि वो ‘संवेदनशील’ माने जा सकते हैं. इससे सीखने की चौड़ाई घट जाती है.
अगर आप सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, तो प्लेटफ़ॉर्म की पॉलिसी का ध्यान रखना पड़ता है, नहीं तो आपकी पोस्ट हट सकती है या अकाउंट बैन हो सकता है. यही कारण है कि बहुत सारे लोग अपने कंटेंट को हल्का‑फुल्का रखने की कोशिश करते हैं, जबकि असली मुद्दों पर बात करनी चाहिए.
पर अब सवाल उठता है – हम इस स्थिति से कैसे निकल सकते हैं? सबसे आसान तरीका है वैकल्पिक स्रोतों की तलाश. कई बार VPN या प्रॉक्सी का इस्तेमाल करके ब्लॉक किए गए साइट्स तक पहुँचा जा सकता है. साथ ही, सच को जांचने के लिए कई विश्वसनीय न्यूज़ पोर्टल्स या फॅक्ट‑चेकिंग साइट्स को फॉलो करें.
दूसरा तरीका है अपने अधिकारों के बारे में जानकारी रखे. अगर आपका कोई पोस्ट गलत कारण से हटाया गया, तो आप प्लेटफ़ॉर्म के रिव्यू प्रोसस को इस्तेमाल कर सकते हैं. कई बार शिकायत करने से कंटेंट फिर से लाइव हो जाता है.
अंत में, हम सभी को एक-दूसरे का सम्मान भी करना चाहिए. अगर कोई कंटेंट ‘हेट स्पीच’ नहीं है, तो उसे हटाने की जगह समझाने की कोशिश करें. इस तरह हम एक स्वस्थ ऑनलाइन माहौल बना सकते हैं, जहाँ सेंसरशिप कम हो और सूचना की आज़ादी बढ़े.
