चुनाव आयोग: भारत के चुनाव कैसे होते हैं और क्या बदल रहा है

भारत के लोकतंत्र की नींव है चुनाव आयोग, भारत सरकार का स्वतंत्र निकाय जो देशभर में आम चुनाव, विधानसभा और स्थानीय चुनावों को निष्पक्ष तरीके से आयोजित करता है. इसे निर्वाचन आयोग भी कहते हैं, और यह देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, लेकिन इसका निर्णय लेने का अधिकार किसी भी सरकार के पास नहीं होता।

चुनाव आयोग की जिम्मेदारी सिर्फ मतदान दिन तक सीमित नहीं है। यह चुनाव नियम बनाता है, राजनीतिक दलों को आम नियमों के अनुसार काम करने के लिए मजबूर करता है, और चुनावी निर्वाचन के दौरान धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार या डरावनी बातों को रोकता है। इसके लिए यह मतदान मशीनें, डिजिटल वोटिंग सिस्टम जो भारत में 1999 से लागू हैं और अब लगभग 90% मतदान को कवर करती हैं का उपयोग करता है, जिन्हें वोट देने के बाद बंद कर दिया जाता है। इसके अलावा, यह चुनाव अवधि, हर चुनाव के लिए निर्धारित समय जिसमें प्रचार, मतदान और गिनती होती है को सख्ती से नियंत्रित करता है — जैसे कि प्रचार के दौरान किसी भी राजनीतिक नेता को धमकी देना, बड़े पैमाने पर भेंट देना या धर्म का उपयोग करना गैरकानूनी है।

आखिरी लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने नए नियम लागू किए — जैसे ऑनलाइन वोटर रजिस्ट्रेशन, वोटर आईडी के साथ एडीएआई कार्ड का उपयोग, और राज्यों में वोटिंग स्थलों की संख्या बढ़ाकर लंबी कतारें कम करना। यही कारण है कि 2024 के चुनाव में 64 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने भाग लिया, जो इतिहास में सबसे बड़ी संख्या थी। चुनाव आयोग अब न सिर्फ एक नियम बनाने वाला निकाय है, बल्कि लोगों के विश्वास को बनाए रखने वाला भी है।

इस टैग पेज पर आपको ऐसे ही अपडेट्स, रिपोर्ट्स और विश्लेषण मिलेंगे जो चुनाव आयोग के फैसलों, उसके नए नियमों, और भारत के विभिन्न राज्यों में चुनाव की वास्तविक स्थिति को दिखाते हैं। यहाँ आपको सिर्फ खबरें नहीं, बल्कि यह भी समझ में आएगा कि आपका वोट कैसे गिना जाता है और कौन जिम्मेदार है अगर कुछ गलत हो जाए।

पश्चिम बंगाल में SIR वोटर लिस्ट सुधार: 47 लाख मृतकों के नाम हटाए जाने को लेकर बीएलओ घर-घर जांच में लगे

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पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की SIR अभियान के तहत यूआईडीएआई ने 47 लाख मृतकों के नाम हटाने का निर्देश दिया है। बीएलओ घर-घर जाकर वोटर जांच कर रहे हैं, और फाइनल लिस्ट 7 फरवरी 2026 को जारी होगी।