
CBFC क्या है और क्यों ज़रूरी है?
CBFC, यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फ़िल्म सर्टिफिकेशन, भारत में हर फ़िल्म को दिखाने से पहले एक मंज़ूरी देता है। अगर आपने कभी फिल्म का रेटिंग देखा – जैसे U, UA या A – वो सब इस बोर्ड ने तय किया होता है। बोर्ड का काम है कि फ़िल्म में हिंसा, सेक्स, भाषा इत्यादि को देख कर ये तय करे कि दर्शकों पर कितना असर पड़ेगा।
फ़िल्म प्रमाणन की प्रक्रिया
फ़िल्म बनाते समय प्रोडक्शन कंपनी को CBFC के पास एक एप्लिकेशन फॉर्म जमा करना पड़ता है। साथ में पूरी फ़िल्म की कपी और कुछ दस्तावेज़, जैसे कि कलाकारों की सूची, गाने‑गीत आदि भेजे जाते हैं। बोर्ड के कई सदस्य फ़िल्म को एक साथ देखते हैं, नोट्स बनाते हैं और फिर रेटिंग तय करते हैं। अगर कुछ चीज़ें बहुत ज़्यादा स्पष्ट दिखती हैं तो वे “कट‑ऑफ़” या “संपादन” की माँग कर सकते हैं।
नयी गाइडलाइन और हाल के विवाद
पिछले कुछ सालों में CBCB ने अपने नियमों को अपडेट किया है। अब सोशल मीडिया पर फैले मुद्दों को भी फ़िल्म में दिखाने पर खास तौर से ध्यान दिया जाता है। जैसे कि धार्मिक भावनाओं को छेड़ने वाली फिल्में या राजनीतिक उकसाव वाली सामग्री को अधिक कड़ी रेटिंग मिलती है। इस वजह से कई फ़िल्मों में आधे‑आधे बदलाव हुए हैं – उदाहरण के तौर पर कुछ सीन काटे गए या उनके डायलॉग बदल दिए गए।
कभी‑कभी यह बोर्ड जनता से भी बहस का केंद्र बन जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि सेंसरशिप बहुत कड़ी है, जबकि दन वाले कहते हैं कि बिना बॉक्स‑ऑफ़ का नियम फ़िल्में बेइज्ज़ती में बदल सकती हैं। आखिरकार, बॉक्स‑ऑफ़ का मकसद है दर्शकों को सही जानकारी देना, नहीं तो सभी को एक‑समान रेटिंग मिल जाएगी।
अगर आप फ़िल्म बनाते हैं और चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी सर्टिफ़िकेशन मिले, तो कुछ बातों का ध्यान रखें:
- फ़िल्म के स्क्रिप्ट को पहले से ग़ौर से पढ़ें और संभावित विवादास्पद सीन पहचानें।
- अगर आप चाहते हैं कि फ़िल्म यू‑रेटेड रहे, तो शॉर्ट फ़ॉर्म में हिंसा या गाली‑गलौज को कम रखें।
- सेंट्रल बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेटेड गाइडलाइन पढ़ें, इससे बाद में बदलाव की आशंका कम रहती है।
- प्रॉडक्शन हाउस सीधे बॉर्ड के साथ संचार रखे, ताकि किसी भी सवाल का तुरंत जवाब मिल सके।
आखिर में, CBFC का काम सिर्फ़ फ़िल्मों को रोकना नहीं, बल्कि दर्शकों के लिए सुरक्षित माहौल बनाना है। अगर आप फ़िल्म के निर्माता या दर्शक हैं, तो इस बोर्ड के नियमों को समझना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। चाहे आप नई फ़िल्म देख रहे हों या बना रहे हों, बॉर्ड की रेटिंग हमेशा एक अहम संकेतक रहती है।
