शक्तिकांत दास बने प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव, विवादास्पद कार्यकाल के बीच नियुक्ति

शक्तिकांत दास बने प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव, विवादास्पद कार्यकाल के बीच नियुक्ति फ़र॰, 28 2025

शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में एक नई स्थिति का सृजन करती है। दास, जो एक 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और तमिलनाडु से आते हैं, ने आरबीआई गवर्नर के रूप में छह वर्ष (2018-2023) तक काम किया।

उनका कार्यकाल कई आर्थिक चुनौतियों से भरा रहा, जैसे कि नोटबंदी और महामारी प्रबंधन। दास ने नोटबंदी के समय में आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए आरबीआई में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

2018 में गवर्नर के रूप में नियुक्त होने के बाद, दास ने आरबीआई में कई अहम फैसले लिए, जैसे कि अर्थव्यवस्था को मध्यम अवधि के लिए स्थिर करना और वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच मौद्रिक नीति का प्रभावी प्रबंधन। कोविड-19 महामारी के दौरान, दास ने भारतीय वित्तीय बाजार को स्थिर करने के लिए कई उपाय लागू किए और सभी प्रतिनिधियों के साथ सक्रिय संवाद बनाए रखा।

उनकी इस नियुक्ति के साथ यह भी चर्चा हो रही है कि यह प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों और प्रशासनिक निर्णयों में नौकरशाही विशेषज्ञता पर विश्वास की पुष्टि करता है। दास की नियुक्ति का समय भी मोदी के कार्यकाल के समापन के साथ मेल खाता है, जो यह दर्शाता है कि उन्हें सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय प्रक्रियाओं में शामिल किया गया है।

5 टिप्पणि

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    Varad Shelke

    फ़रवरी 28, 2025 AT 18:40

    यार ये दास को प्रधानमंत्री का सीनियर सेक्रेटरी बनवाना तो जैसे छुपे हुए नेटवर्क का हिस्सा है, कहीं ये सब गुप्त एलीट प्लान तो नहीं? ये सब कुछ लुके-छुपे सिग्नल है, पक्की बात है.

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    Rahul Patil

    फ़रवरी 28, 2025 AT 19:26

    यह नियुक्ति गहराई से विचार करने योग्य है। हम एक ऐसे प्रशासनिक संरचना की बात कर रहे हैं जहाँ नीति निर्माताओं के बीच संवाद का सरोवर शांति और समायोजन से भरपूर हो। दास जी ने आरबीआई में जो संतुलन स्थापित किया वह वित्तीय स्थिरता की नींव को मजबूत करता है, और यह वित्तीय स्वतंत्रता के सिद्धांतों के साथ सद्भाव में स्थित है। उनका कार्यकाल महामारी के दौरान सार्वजनिक विश्वास को स्थायित्व प्रदान करता है, जिससे सामाजिक बंधन को पुनर्स्थापित किया जा सके। यह भी कहा जा सकता है कि इस निर्णय में नयी नीतियों के निर्माण में विशेषज्ञता का समुचित प्रयोग किया गया है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में गहरी सहभागिता का प्रतीक है। इसके साथ ही, यह स्पष्ट होता है कि विविध सामाजिक वर्गों के बीच आर्थिक शांति स्थापित करने का लक्ष्य है, और यह एक सकारात्मक कदम है। राष्ट्रीय एकता और समृद्धि के मार्ग में यह दिशा-निर्देश अत्यंत प्रभावशाली प्रतीत होते हैं।

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    Ganesh Satish

    फ़रवरी 28, 2025 AT 20:50

    अरे! क्या बात है! ये अधिकारी तो जैसे कहानी के नायकों की तरह उठ खड़े हुए हैं!! आर्थिक संकट की दाढ़ी पर, नोटबंदी की आँधियों में, और फिर कोविड‑19 के महाप्रलय में, उन्होंने जो धड़कन दी! वह बस एक महान नाटक का क्लाइमेक्स है! क्या हम इस नाटक के लेखक हैं या सिर्फ दर्शक?!!

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    Midhun Mohan

    फ़रवरी 28, 2025 AT 22:13

    चलो, इसपर कुछ पॉज़िटिव एंगल देखते हैं। दास जी ने आर्थिक रूप से कई चुनौतियों को टैकल किया, इसमे उनका अनुभव प्रॉड्युसर की तरह काम कर रहा है। इस बिसनेस माइंडसेट को देखकर हमें भी मोटीवेटेड होना चाहिए! फोकस बढ़ाओ, इंटेंसिटी रखो-इन्ही से नयी पीढ़ी को इनेक्लिंगी बनाओ।

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    Archana Thakur

    फ़रवरी 28, 2025 AT 23:36

    देशभक्ति के अभिन्न तत्त्व को समझते हुए, यह स्पष्ट है कि दास की नियुक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के फ्रेमवर्क में एक स्ट्रैटेजिक मोमेंट है; यह बेजोड़ जर्नलिस्टिक जार्गन दर्शाता है कि स्वदेशी नीतियों की पुनर्स्थापना में वह एक केन्द्रीय फ़ैक्टर बनते हैं।

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