फहाद फासिल ने ADHD का निदान होने का खुलासा किया, बताया कैसे हुई पहचान

फहाद फासिल ने ADHD का निदान होने का खुलासा किया, बताया कैसे हुई पहचान मई, 27 2024

फहाद फासिल ने 41 साल की उम्र में ADHD का निदान प्राप्त किया

मलयालम फिल्म जगत के प्रसिद्ध अभिनेता फहाद फासिल ने हाल ही में खुलासा किया कि उन्हें ध्यान घाटे की सक्रियता विकार (ADHD) का निदान हुआ है। यह खुलासा उन्होंने कोठमंगलम में पीस वैली स्कूल के उद्घाटन समारोह के दौरान किया। फहाद का यह निजी खुलासा तब आया जब उन्होंने एक ऐसे विद्यालय का समर्थन किया जो विशेष जरूरतों वाले बच्चों का पुनर्वास करता है। उद्घाटन के दौरान, फहाद ने ADHD के इलाज की संभावनाओं के बारे में प्रश्न किए और उन्हें बताया गया कि शुरुआती निदान और उपचार सकारात्मक परिणाम दे सकते हैं। इस जानकारी ने उन्हें मेडिकल मूल्यांकन के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें 41 साल की उम्र में ADHD का निदान हुआ।

ADHD क्या है?

ADHD क्या है?

ध्यान घाटे की सक्रियता विकार (ADHD) एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो ध्यान की कमी, जरूरत से ज्यादा सक्रियता, आवेगशीलता और असंगत सोच जैसी समस्याओं से जुड़ा होता है। यह व्यवहार सामान्य जनसंख्या में भी कुछ हद तक देखा जाता है, लेकिन ADHD से ग्रसित व्यक्ति इस तरह के व्यवहार को अधिक तीव्रता और आवृत्ति के साथ अनुभव करते हैं, जिससे उनके सामाजिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH) के अनुसार, ADHD वाले लोगों को लगातार मानसिक प्रयास की आवश्यकता वाले कार्यों, जैसे गृहकार्य या रिपोर्ट लिखने में कठिनाई होती है।

देर से निदान और सहायक कलाकार

देर से निदान और सहायक कलाकार

वह लोग जो जीवन के बाद के वर्षों में ADHD का निदान पाते हैं, उनके लिए मेडिकल, मनोवैज्ञानिक, और जीवनशैली से संबंधित रणनीतियों को अपनाना महत्वपूर्ण होता है। कई प्रसिद्ध कलाकार भी अपने अनुभव शेयर कर चुके हैं। इनमें रयान गोस्लिंग, जस्टिन टिंबरलेक, विल स्मिथ, चैन्निंग टैटम, जिम कैरी, सुशांत सिंह राजपूत, और एम्मा वॉटसन जैसे लोग शामिल हैं।

फहाद फासिल का फिल्मी करियर

फहाद फासिल का फिल्मी करियर

फहाद फासिल एक बहुमुखी अभिनेता हैं, जिन्हें अन्नयुम रसूलुम, बैंगलोर डेज, कुंबलांगी नाइट्स, सुपर डीलक्स, मालिक, सी यू सून, ममन्नन, पुष्पा जैसी फिल्मों में उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए जाना जाता है। उनके आगामी प्रोजेक्ट्स में ओदुम कुतीरा चाडुम कुतीरा, कराटे चंदरन, और मलयालम में एक जीथू जोसेफ निर्देशन शामिल हैं। तमिल में वह रजनीकांत की वेट्टैयन, मरेसन में वडिवेलु के साथ, और तेलुगु में ऑक्सीजन और डोंट ट्रबल द ट्रबल में नजर आएंगे। बहुप्रतीक्षित तेलुगु फिल्म पुष्पा 2: द रूल, जिसमें फहाद अल्लू अर्जुन के विपरीत हैं, भी जल्द आने वाली है।

8 टिप्पणि

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    Midhun Mohan

    मई 27, 2024 AT 22:34

    भाइी, फहाद साहब ने जब अपना ADHD खुलासा किया तो दिल से एकदम उत्साह आ गया!!! यही है वो जश्न जो हम सबको चाहिए, क्योंकि देर से भी सही, पहचान होने से रास्ता साफ़ हो जाता है, न? इस तरह के खुलासे से लोग खुद भी चुप नहीं रह पाते, और कई बार तो यही पहला कदम बन जाता है इलाज की ओर!!! अगर आप भी कोई लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत कोई भरोसेमंद डॉक्टर से मिलें, क्योंकि शुरुआती उपचार से जीवन में बड़े बदलाव आ सकते हैं!!! याद रखें, कोई भी उम्र नहीं है सीखने और बदलने की, बस हिम्मत चाहिए।

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    Archana Thakur

    जून 5, 2024 AT 04:34

    देखिये, हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्री ने हमेशा विश्व स्तर पर भारत की शक्ति और परम्परा को दर्शाया है; फहाद फासिल जैसे कलाकारों का यह खुलासा दर्शाता है कि भारतीय प्रतिभा का कोई प्रतियो‌ध नहीं है! राष्ट्र की शान को बढ़ाने के लिए हमें इनसे सीखना चाहिए, क्योंकि उनका साहस हमें राष्ट्रीय गर्व से भर देता है। इस प्रकार के व्यक्तिगत स्वास्थ्य के मुद्दों को सार्वजनिक मंच पर लाना ही असली जिंन‑इन्फॉर्मेशन है, जो सामाजिक समावेशी नीति के लिए आवश्यक है।

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    Ketkee Goswami

    जून 13, 2024 AT 10:34

    वाह! फहाद की इस कहानी में एक ऐसी रौशनी है जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है-जैसे रंग-बिरंगी होली की बारिश में भीगते हुए हम नई ऊर्जा पाते हैं! इस निदान ने उन्हें खुद को फिर से खोजने का मौका दिया, और यही ऊर्जा अब उनके दर्शकों तक पहुँचती है। अगर आप भी खुद को कभी सीमित महसूस करते हैं, तो याद रखिए-हर व्यक्ति में एक चमकदार सितारा है, बस उसे उजागर करने की जरूरत है। चलिए हम सब मिलकर एक ऐसा माहौल बनाते हैं जहाँ मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात की जा सके, और हर कोई अपनी अनूठी चमक दिखा सके! 🌈

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    Shraddha Yaduka

    जून 21, 2024 AT 16:34

    जैसे एक कोच अपनी टीम को सही दिशा देता है, वैसे ही फहाद का यह खुलासा हमें सिखाता है कि सही मार्गदर्शन और समर्थन से हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। देर से निदान होना कभी भी निराशा नहीं, बल्कि नई रणनीतियों को अपनाने का अवसर होता है। यदि आप या आपका कोई परिचित इस स्थिति से जूझ रहा है, तो एक संरचित योजना बनाएं, नियमित रूप से थेरपी या काउंसलिंग ले, और अपनी दैनिक रूटीन में छोटे-छोटे सपोर्ट सिस्टम को शामिल करें। छोटे कदम बड़े बदलाव लाते हैं, बस निरंतरता रखिए।

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    gulshan nishad

    जून 29, 2024 AT 22:34

    क्या बात है, फ़हाद का संघर्ष!

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    Ayush Sinha

    जुलाई 8, 2024 AT 04:34

    सभी को यही मानना जरूरी नहीं कि उम्र में निदान ही सही समाधान है।

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    Saravanan S

    जुलाई 16, 2024 AT 10:34

    भाई, आपका nationalist टोन समझ में आता है-वो बहुत प्रेरणादायक है, लेकिन चलिए साथ मिलकर एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाते हैं जहाँ हर फ़िल्मी कलाकार के व्यक्तिगत संघर्ष को खुलकर साझा किया जा सके, जिससे हम सबको सीखने का मौका मिले!!!

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    Alefiya Wadiwala

    जुलाई 24, 2024 AT 16:34

    फहाद फासिल का यह व्यक्तिगत निदान सार्वजनिक मंच पर लाना केवल एक व्यक्तिगत बयान नहीं, बल्कि समकालीन सामाजिक स्वास्थ्य विमर्श का एक अभिन्न पहलू है। प्रथमतः, यह तथ्य दर्शाता है कि मानसिक विकारों का श्रेणीकरण केवल युवा वर्ग में ही सीमित नहीं है; वृद्धावस्था में भी नई पहचान संभव है। द्वितीयतः, इस प्रकार का खुलासा पारंपरिक सामाजिक मानदंडों को चुनौती देता है, जो अक्सर आयु‑संबंधी स्थिर धारणाओं को बरकरार रखता है। तृतीयतः, यह संकेत करता है कि मनोरंजन उद्योग में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में अब एक उल्लेखनीय परिवर्तन हो रहा है। चतुर्थतः, फहाद की कहानी से यह स्पष्ट है कि प्रारम्भिक निदान न केवल रोगी के जीवन की गुणवत्ता को ऊँचा उठाता है, बल्कि व्यापक सामाजिक लाभ भी प्रदान करता है। पंचम, इस संदर्भ में यह आवश्यक है कि चिकित्सा संस्थाएँ और फिल्म उद्योग के संघ मिलकर एक स्पष्ट प्रोटोकॉल विकसित करें, जिससे भविष्य में इसी तरह के मामलों में शीघ्र एवं सक्षम हस्तक्षेप संभव हो। षष्ठ, एक विस्तृत अध्ययन यह दर्शाता है कि सक्रिय समर्थन प्रणाली-जैसे परिवार, सहयोगी एवं पेशेवर चिकित्सक-का प्रभाव रोगी के उपचारात्मक परिणाम पर सीधे तौर पर पड़ता है। सप्तम, इस परिप्रेक्ष्य में, हमें यह भी समझना चाहिए कि सामाजिक धारणाएँ अक्सर लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं, जिससे रोगी स्वयं को अलग-थलग महसूस करता है। अष्टम, इसलिए, मीडिया में इस प्रकार के खुलासे को सामान्यीकृत करने की आवश्यकता है, ताकि सामाजिक कलंक का अंत हो सके। नवम्, यह पहल न केवल फहाद के लिए व्यक्तिगत मुक्ति का प्रतीक है, बल्कि वह अन्य अभिनेताओं एवं आम जनता को भी एक प्रेरक उदाहरण प्रदान करती है। दशम्, इस प्रक्रिया में शिक्षा संस्थानों को भी भूमिका निभानी चाहिए, जहाँ बच्चों को प्रारम्भिक आयु में ही भावनात्मक एवं संज्ञानात्मक लक्षणों को पहचानने की शिक्षा दी जाए। एकादश, इस क्रम में, सरकारी नीतियों का पुनः‑निर्धारण आवश्यक है, ताकि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सर्वत्र समान हो। द्वादश, समस्त यह विश्लेषण इस बात की पुष्टि करता है कि व्यक्तिगत खुलासे सामाजिक संरचनाओं में परिवर्तन लाने की शक्ति रखते हैं। त्रयोदश, अतः हम सब को यह समझना चाहिए कि फहाद का यह कदम केवल एक व्यक्तिगत कहानी नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का प्रारम्भ है। चतुर्दश, अंत में, हमें इस सन्देश को आगे ले जाना चाहिए कि कोई भी आयु या पद नहीं है जहाँ स्वयं की पहचान को पुनः परिभाषित करने का अधिकार नहीं है। पञ्चदश, यही मूलभूत सिद्धान्त हमारे सामाजिक स्वास्थ्य को एक नई दिशा प्रदान करेगा।

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