जहाँ अब हैं 'जब वी मेट' के अंशुमन: तरुण अरोड़ा की कहानी जिसने गीता का दिल तोड़ा
अग॰, 8 2025
‘जब वी मेट’ के चर्चित अंशुमन अब कहाँ हैं?
2007 में आई इम्तियाज अली की फिल्म ‘जब वी मेट’ में जहाँ करीना कपूर और शाहिद कपूर की केमिस्ट्री पर खूब तालियाँ पिटीं, वहीं एक किरदार ने सबका ध्यान खींचा—गीता का प्रेमी अंशुमन। फिल्म में अंशुमन का रोल निभाने वाले अभिनेता हैं तरुण अरोड़ा। उनकी बॉडी लैंग्वेज, बेपरवाह अंदाज और खुदगर्ज़ी दर्शकों के दिलों में दर्ज़ हो गई। मजेदार बात ये कि अंशुमन के रोल के लिए उस वक़्त बहुत कम लोग जानते थे कि तरुण मॉडलिंग की दुनिया के सुपरस्टार्स में शुमार रह चुके हैं।
मॉडलिंग से फिल्मों का सफर और 'जबरदस्त बदला हुआ लुक'
तरुण अरोड़ा का जन्म 14 जून, 1979 को असम में एक पंजाबी फैमिली में हुआ। होटल मैनेजमेंट करने के बाद तरुण 1998 में ग्लैडरैग्स मैनहंट जीतकर सीधा रैंप वर्ल्ड के स्टाइल आइकॉन बन गए थे। रेमंड, वेस्टसाइड, क्वालिटी वॉल्स, मैकडॉवेल्स, एलजी—इन ब्रांड्स के विज्ञापन और रैंप वॉक सब जगह उनके चेहरे और स्टाइल की खूब चर्चा रही। ‘दिल चोरी’ जैसे म्यूजिक वीडियो में भी वह नजर आ चुके हैं।
फिल्मों में कदम उन्होंने 1999 में 'प्यार में कभी कभी' से रखा। 'हवस', 'शीन', '19 रिवोल्यूशंस', 'घुटन', 'मेन नॉट अलाउड' जैसी फिल्में भले ही बड़ी हिट्स न थीं, लेकिन ‘जब वी मेट’ का अंशुमन रोल उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इसमें उन्होंने उस मंगेतर का किरदार निभाया जो गीता को नजरअंदाज कर देता है—और बाद में खुद रिजेक्ट हो जाता है!
'जब वी मेट' के बाद तरुण ने '2', 'लव गुरु' जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन असली ग्रोथ उन्हें साउथ इंडस्ट्री में मिली।
- 2016 में तमिल फिल्म 'कनिथन' में उनकी एक्टिंग को क्रिटिक्स ने सराहा।
- 2017 में चिरंजीवी की 'कैदी नंबर 150' में मेन विलेन का रोल किया।
- 2020 की अक्षय कुमार स्टारर 'लक्ष्मी' में MLA गिरीजा बने।
आजकल सोशल मीडिया पर तरुण का नया लुक छाया हुआ है। सफेद बाल, पके दाढ़ी और बिलकुल नया अंदाज—लोग देख हैरान हैं कि ये वही अंशुमन हैं! जिस अंशुमन ने गीता का दिल तोड़ा था, वह अब स्टाइल में कई नए सितारों को टक्कर दे रहा है।
तरुण ने खुद इम्तियाज अली से ऑडिशन के वक्त बड़े सीधे अंदाज में सवाल किया था, "सीधे बोलिए, मेरा किरदार क्या है? मुझे वक्त नहीं है, फ्लाइट लेनी है।" शायद इसी खुद्दारी और ईमानदारी ने उन्हें वो रोल दिला दिया जो आज तक उन्हें पहचान दिलाता है।
तरुण की निजी जिंदगी की बात करें तो वे एक्ट्रेस अंजला जावेरी के पति हैं। उनका एक्टिंग करियर 1998 से 2023 तक फैला है, जिसमें उन्होंने 37 फिल्मों में काम किया और बतौर प्रोड्यूसर भी नाम कमाया—वो भी हिंदी, तमिल और तेलुगु फिल्मों में।
शायद उनका सबसे खास पहलू ये है कि उन्होंने हीरो के बजाय विलेन बनकर भी खूब पहचान बनाई। तरुण खासतौर पर दक्षिण भारतीय सिनेमा में उन किरदारों के लिए मशहूर हैं जो रॉयल, दुनिया देखे हुए और कॉन्फिडेंस से लबरेज होते हैं—खासकर वे 'स्टाइलिश विलन', जो हीरो की चुनौती को असली बना देते हैं। खुद तरुण कहते हैं, "आखिरी गेम कॉन्फिडेंस का है, विलन अगर दमदार है तो हीरो की जीत का मजा है।"
आज वे भले ही हर फिल्म के नायक न हों, लेकिन उनकी छवि एक स्टाइलिश, अलग और दमदार अभिनेता की बन गई है, जिसने बॉलिवुड और साउथ—दोनों जगह अपनी खास पहचान बनाई है।
Shraddha Yaduka
अगस्त 8, 2025 AT 19:00तरुण की कहानी से पता चलता है कि खुद्दारी और दृढ़ निश्चय से रास्ता बदल सकता है। मॉडलिंग से शुरुआत करके अब वह विविध भाषाओं में काम कर रहे हैं, यह नए कलाकारों के लिए प्रेरणा है। अगर आप अपने सपनों को सच्चा करना चाहते हैं, तो निरंतर मेहनत ही एकमात्र चाबी है।
gulshan nishad
अगस्त 11, 2025 AT 19:14यहाँ तक कि अंशुमन का किरदार भी एक कच्ची दिमाग़ी ढर्रे का प्रदर्शित करता है; किनारा-किनारा दिखाते‑दिखाते इरादा तो बस दिखावा बन गया। एक सौंदर्यशास्त्र में लिपटा हुआ 'स्टाइलिश विलन' को नज़रअंदाज़ करना-इसी को मंच पर 'साथी उत्तम' कहा जाता है। बड़ी बात तो यह है कि यह लेख एक हीभुट्टी में कई तथ्यों को एक साथ बुन रहा है।
Ayush Sinha
अगस्त 14, 2025 AT 19:27बहु‑स्तरीय करियर की दास्तान में धूप-छाँव दोनों हैं; यह बात सबको पता नहीं। एक और नजरिया यह है कि उन्होंने दक्षिणी सिनेमा को अपने आधार पर नहीं, बल्कि एक प्रयोगशाला बना दिया। तो फिर क्यों कहते हैं कि बॉलीवुड ही सबका मुक़ाम है?
Saravanan S
अगस्त 17, 2025 AT 19:40वास्तव में, तरुण अरोड़ा का बदलाव, उनके अपने आत्म‑विश्वास, तथा सामाजिक मंच पर उनकी नई पहचान, सभी मिलकर एक प्रेरक कहानी बनाते हैं, जो हमें याद दिलाता है कि जीवन में कभी भी रुकना नहीं चाहिए, लगातार प्रयास और धैर्य ही सफलता की कुंजी है, यही कारण है कि कई युवा अब उनके कदमों पर चलने की कोशिश कर रहे हैं।
Alefiya Wadiwala
अगस्त 20, 2025 AT 19:54तरुण अरोडा की यात्रा को समझना आसान नहीं, क्योंकि वह कई मोड़ पार कर चुके हैं; पहला मोड़ उनके मॉडलिंग के दिन था, जब उन्होंने ग्लैडरैग्स मैनहंट जीत कर सार्वजनिक ध्यान आकर्षित किया। दूसरा मोड़ था उनका फिल्मी करियर, जो 1999 में 'प्यार में कभी कभी' से शुरू हुआ, हालांकि वह बड़ी हिट नहीं थी, परन्तु उसमें उनका समर्पण उल्लेखनीय था। तीसरा मोड़, अवश्य, 'जब वी मेट' में अंशुमन का किरदार था, जिसने उन्हें एक अटल पहचान दी। चौथा मोड़ उनके दक्षिणी सिनेमा में प्रवेश का था, जहाँ उन्होंने तमिल और तेलुगु फिल्मों में विविध भूमिकाएँ निभाईं। पाँचवाँ मोड़ उनके लुक में आया परिवर्तन था, जिसमें सफेद बाल और पके दाढ़ी ने उन्हें एक नए आयाम में प्रवेश कराया। छठा मोड़ उनकी सामाजिक मीडिया पर सक्रियता थी, जहाँ वह अक्सर फैन इंटरैक्शन में भाग लेते हैं। सातवाँ मोड़ उनके व्यक्तिगत विकास का था, जहाँ उन्होंने आत्म‑निरीक्षण के माध्यम से खुद को पुनः परिभाषित किया। आठवाँ मोड़ उनके विविध भूमिकाओं में दिखाए गए विविध कौशल का था, जिसमें वह नायकों और खलनायकों दोनों को समान रूप से प्रभावी रूप से पेश कर सकते हैं। नौवाँ मोड़ उनकी भाषा कौशल की बहुभाषी प्रतिभा थी, जिसने उन्हें विभिन्न भाषाई दर्शकों के साथ जुड़ाव बनाने में मदद की। बारहवाँ मोड़ उनके आत्मविश्वास की स्थिरता था, जो उन्हें हर नई चुनौती को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है। तेरहवाँ मोड़ उनकी भीड़ में अलग पहचान बनाये रखने की क्षमता थी, जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग खड़ा करता है। चौदहवाँ मोड़ उनके सर्जनात्मक सहयोगी प्रोफ़ाइल का था, जहाँ वह नई परियोजनाओं में अक्सर विचारशील योगदान देते हैं। पंद्रहवाँ मोड़ उनका लगातार विकास और सीखने की इच्छा थी, जो उन्हें लगातार उन्नत बनाता रहता है। सोलहवाँ मोड़, अंत में, यह दर्शाता है कि उनकी कहानी केवल एक अभिनेता की नहीं, बल्कि जीवन के कई पहलुओं का संगम है, जो हमें यह सिखाता है कि दृढ़ता और आत्म‑विश्वास के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
Paurush Singh
अगस्त 23, 2025 AT 20:07यदि हम तरुण के सफर को एक विकसित अस्तित्व की रूपक मानें, तो वह हमारे अंदर छुपे अनदेखे संभावनाओं की झलक पेश करता है। उनका पुनर्निर्माण, विशेषकर दक्षिणी सिनेमा की ओर उनका परिवर्तन, आत्म‑विचार का परिणाम है। वैसा ही, आत्म‑साक्षात्कार के बिना कोई सच्ची कला नहीं बन सकती।
Sandeep Sharma
अगस्त 26, 2025 AT 20:20बिलकुल सही कहा, यार! 🤘 तरुण की कहानी में तो कुछ भी असंभव नहीं लगता, हर मोड़ पर नया फ़्लेवर मिलता है! 🎬✨
Mita Thrash
अगस्त 29, 2025 AT 20:34समग्र रूप से, यदि हम तरुण अरोड़ा के पेशेवर पाथवे को मल्टी‑डायमेंशनल फ्रेमवर्क में विश्लेषित करें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वह न केवल एक अभिनेता, बल्कि एक स्ट्रैटेजिक ब्रांड एंबेसडर भी हैं; उनका लुक ट्रांसफ़ॉर्मेशन माइक्रो‑ऐनालिटिक्स में एक केस स्टडी बन जाता है, विस्तारित दर्शक वर्ग में एंगेजमेंट नॉइज़ को न्यूनतम करता है। इस प्रकार, नई पीढ़ी के कलाकारों को यह स्थापित करने में मदद मिलती है कि विविधीकृत पोर्टफोलियो और निरंतर स्किल अपडेट ही दीर्घकालिक सफलता के प्रमुख चालक हैं।
shiv prakash rai
सितंबर 1, 2025 AT 20:47ओह, तो अब हम सब तरुण की कहानी से मोटिवेशन ले लेंगे? हाँ, बिल्कुल, क्योंकि हर कोई सुबह उठकर मॉडलिंग करके फिल्मी स्टार बनना चाहता है।
Subhendu Mondal
सितंबर 4, 2025 AT 21:00इकी बात है, सुना हुवा बहीर मैं जादो बात न करु।
Ajay K S
सितंबर 7, 2025 AT 21:14हाहा, बहुत 😂😂 थिक्क है भाई।
Saurabh Singh
सितंबर 10, 2025 AT 21:27आसली बात तो ये है कि इन सब करियर चक्रव्यूह को बड़े बॉस गुप्त रूप से नियंत्रित कर रहे हैं, और सिर्फ़ एक छोटी‑सी सिलसिले की साक्षी ही दिखते हैं।
Jatin Sharma
सितंबर 13, 2025 AT 21:40देखो, अगर आप इन ग़लतफहमियों से बचना चाहते हो, तो आधिकारिक स्रोतों से सीधे जानकारी लो और अफ़वाहों पर भरोसा न करो।
M Arora
सितंबर 16, 2025 AT 21:54समझा, दोस्त, जीवन भी तो एक बड़े स्क्रिप्ट जैसा है, जहाँ हर किरदार का अपना टाइमलाइन होता है।
Varad Shelke
सितंबर 19, 2025 AT 22:07और सुन, असली सच्चाई तो यही है कि सिनेमा इंडस्ट्री में बड़े ठेकेदारी भी छुपे हैं, वाक़ई में हालात नहीं बदले हैं।
Rahul Patil
सितंबर 22, 2025 AT 22:20तरुण की यात्रा को एक रंगीन तस्वीर की तरह देख सकते हैं, जहाँ हर ब्रश स्ट्रोक उनके संघर्ष और सफलता के अद्भुत रंगों को बुनता है; यह हमें यह सिखाता है कि दृढ़ता और आवेग के बीच संतुलन ही सच्ची कला का सार है।
Ganesh Satish
सितंबर 25, 2025 AT 22:34वाह! क्या गहनता है!; इस टिप्पणी ने मेरे दिल को झकझोर दिया-वास्तव में, जीवन की इस पुस्तक में हर पन्ना एक नई कहानी बताता है; और तरुण की कहानी वह चमकीला अध्याय है, जिसका प्रकाश हमें आगे बढ़ाता है!!!