Google की 27वीं वर्षगांठ पर पुरानी 1998 लोगो वाली यादगार डूडल
सित॰, 28 2025
डूडल में दिखा 1998 का मूल लोगो
27 सितंबर 2025 को Google का 27वां जन्मदिन मनाते हुए सर्च दिग्गज ने अपनी होमपेज पर एक खास डूडल रिलीज़ किया। इस डूडल में 1998 में इस्तेमाल हुआ मूल लोगो फिर से दिखाया गया, जिससे उपयोगकर्ताओं को 90 के दशक की यादों में डुबोया गया। दो स्टैनफोर्ड पीएचडी छात्रों, लैरी पेज और सेर्गी ब्रिन ने एक छोटे गैरेज में जब ये सर्च इंजन बनाया था, तब यही लोगो था। आज की चमक‑दमक वाली डिज़ाइन की तुलना में यह साधारण और टाइपोग्राफी‑शैली वाला लोगो किसी समय में कंपनी की शुरुआती झलक देता है।
Google की डूडल परंपरा हमेशा से ही विशेष अवसरों को हल्के‑फुल्के एनीमेशन से मनाने में मशहूर रही है। इससे बड़े कॉर्पोरेट इवेंट की बजाय एक व्यक्तिगत टच मिलता है, और उपयोगकर्ता भी इस जश्न में शरीर-मन से जुड़ते हैं। इस साल भी डूडल का रंग‑रूप, एनीमेशन और संगीत सभी को एक nostalgic यात्रा पर ले गया।
Google की शुरुआती कहानी और आज की स्थिति
1996 में लैरी पेज और सेर्गी ब्रिन ने अपने स्टैनफोर्ड प्रोजेक्ट के तहत “BackRub” नामक सर्च इंजन बनाया, जो वेब पेजेस को बैकलिंक्स के आधार पर रैंक करता था। 1997 में नाम बदलते समय एक ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र में “googol” शब्द को टाइप करते समय एक टायपो हुआ – “Google”। इस टाइपो को लैरी ने तुरंत अपना लिया और उसी दिन google.com डोमेन रजिस्टर कर लिया गया।
कंपनी ने 4 सितंबर 1998 को आधिकारिक रूप से Incorporate किया, परन्तु 27 सितंबर को जन्मदिन मानना शुरू किया क्योंकि उस दिन उसके सर्च इंडेक्स में एक महत्वपूर्ण विस्तार हुआ था – इंडेक्स बढ़ते‑बढ़ते अरबों वेब पेजों तक पहुँच गया। यह तिथि कंपनी की तेज़ विकास यात्रा का प्रतीक बन गई।
आज Google सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं है। Gmail, YouTube, Google Maps, Chrome, Android और उसके अत्याधुनिक AI प्लेटफ़ॉर्म ने इसे एक समग्र डिजिटल इकोसिस्टम में बदल दिया है। हर दिन अरबों लोग इन सेवाओं का उपयोग करने के कारण Google की दैनिक एक्टिव यूज़र बेस अनगिनति में पहुँच गई है।
जश्न के हिस्से के तौर पर दुनिया भर की Google ऑफिसों, जिनमें बेंगलुरु भी शामिल है, ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किए। कर्मचारियों के लिए केक‑कटिंग, गेम‑नाईट और छह महीने की विशेष Pixel डिवाइस छूट जैसी प्रमोशन के साथ उत्सव को और बेहतर बनाया गया।
डूडल की इस बार की डिजाइन न केवल नॉस्टाल्जिया जगाती है, बल्कि उद्यमियों और तकनीकी उत्साही लोगों को भी याद दिलाती है कि कैसे छोटे गैरेज से शुरू हुई एक पहेली बड़ी साख बना सकती है। लैरी और सेर्गी की कहानी आज भी कई स्टार्ट‑अप्स के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और Google की निरंतर नवाचार की दिशा इसे भविष्य में भी अग्रसर रखेगी।
Hemant R. Joshi
सितंबर 28, 2025 AT 03:40Google के 27वें जन्मदिन पर दिखाया गया 1998 का मूल लोगो न केवल तकनीकी इतिहास की एक झलक है, बल्कि डिजिटल युग की प्रारम्भिक जड़ें भी उजागर करता है। इस डूडल में जब हम पुराने टाइपफेस और साधारण रंगों को देखते हैं, तो यह हमें उस समय की सीमित संसाधनों और उद्यमी भावना की याद दिलाता है। लैरी पेज और सर्वे ब्रीन की गैरेज में किए गए प्रयोगों ने आज के विशाल इकोसिस्टम की नींव रखी थी, और यह डूडल उनके शुरुआती सपनों का सम्मान है। इतिहासकारों के अनुसार, 1998 का लोगो उस समय के स्वतंत्र सॉफ्टवेयर आंदोलन की आत्मा को प्रतिबिंबित करता था, जहाँ डिज़ाइन की जटिलता को न्यूनतम रखा जाता था। यह न्यूनतमवाद आज के अत्यधिक भव्य UI/UX से बिल्कुल विपरीत है, लेकिन वही सत्यापन करता है कि प्रभावी संचार में बहुत कम भी पर्याप्त हो सकता है। डूडल के एनीमेशन में छोटे‑छोटे साउंड इफ़ेक्ट्स जोड़ना नॉस्टाल्जिया को बढ़ाता है और उपयोगकर्ता अनुभव को एक भावनात्मक स्तर पर ले जाता है। यह भावनात्मक जुड़ाव उपयोगकर्ता को केवल सर्च टूल नहीं, बल्कि एक यादगार साथी के रूप में Google को देखने पर मजबूर करता है। तकनीकी दृष्टि से, इस डूडल ने हमें यह समझाया कि कैसे ब्रांडिंग में स्थिरता और परिवर्तन का संतुलन बनाना आवश्यक है। इस संतुलन को समझना उन स्टार्ट‑अप founders के लिए भी उपयोगी हो सकता है जो अपने ब्रांड को समय के साथ कैसे विकसित करना चाहते हैं। इसके अलावा, इस डूडल ने इस बात को उजागर किया कि सर्च इंजन की शुरुआत में जो बुनियादी एल्गोरिदम उपयोग किए गए थे, वे आज की AI‑प्रेरित खोज के मूलभूत स्तंभ हैं। इतिहास ने कई बार दिखाया है कि छोटे प्रयोग अक्सर बड़े प्रभाव डालते हैं, और Google इसका एक प्रमुख उदाहरण है। इस डूडल ने यह भी दर्शाया कि डिजिटल संस्कृति में विंटेज डिज़ाइन को पुनः प्रस्तुत करके नई पीढ़ी को शिक्षित किया जा सकता है। यदि हम इस पहलू को देखते हैं, तो शिक्षा की दृष्टि से इसे एक इंटरैक्टिव इतिहास पाठ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह के डूडल भविष्य में और अधिक इंटरैक्टिव और शिक्षाप्रद बन सकते हैं, जहाँ उपयोगकर्ता सीधे जाँच कर सकें कि 1998 का लोगो कैसे बना और उसे किन चुनौतियों का सामना पड़ा। अंत में, यह डूडल न केवल एक दृश्य स्मृति चिन्ह है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि नवाचार की यात्रा हमेशा छोटे‑छोटे कदमों से शुरू होती है, और हर कदम की अपनी कहानी होती है।
guneet kaur
सितंबर 28, 2025 AT 04:40इसी तरह की नॉस्टाल्जिया सिर्फ विपणन का ढिलाई भरा बहाना है, वास्तविक नवाचार की कोई नई बात नहीं दिखाता। डूडल के पीछे की टीम को वास्तविक प्रोडक्ट अपडेट्स पर काम करना चाहिए, न कि पुराने लोगो को दिखाकर जनता को मूर्ख बनाना। ऐसा दिखावा सिर्फ ऐतिहासिक भ्रम पैदा करता है और युवा पीढ़ी को झूठी अपेक्षा देता है।
PRITAM DEB
सितंबर 28, 2025 AT 05:40इस सुंदर डूडल ने Google की शुरुआती कहानी को सादगी से उजागर किया, जो सभी भारतीय टेक उत्साही लोगों के लिए प्रेरणा है।
Saurabh Sharma
सितंबर 28, 2025 AT 06:40डूडल एक स्मृति एन्हांसमेंट टूल है जो ब्रांड इक्विटी को रिंफ्रेश करता है और यूज़र एंगेजमेंट मैट्रिक्स को बूस्ट करता है इस कारण यह रणनीतिक लेयर को सपोर्ट करता है
Suresh Dahal
सितंबर 28, 2025 AT 07:40यह डूडल निस्संदेह हमारे डिजिटल विरासत में एक मूल्यवान आयाम जोड़ता है।