दिल्ली सरकार का शोध अनुदानों और ₹2000 से कम ऑनलाइन लेन-देन पर जीएसटी का विरोध: आतिशी
सित॰, 9 2024दिल्ली के वित्त मंत्री आतिशी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार जीएसटी काउंसिल की बैठक में दो महत्वपूर्ण प्रस्तावों का कड़ा विरोध करेगी। पहला प्रस्ताव शैक्षणिक संस्थानों को मिलने वाले शोध अनुदानों पर जीएसटी लगाने का है, जबकि दूसरा प्रस्ताव ₹2000 से कम के ऑनलाइन लेन-देन पर जीएसटी लागू करने का है।
शोध अनुदानों पर जीएसटी का विरोध
आतिशी ने बताया कि विश्व के किसी भी देश में शोध अनुदानों पर जीएसटी नहीं लगाया जाता, क्योंकि शोध को व्यापार के बजाय देश की प्रगति के लिए निवेश माना जाता है। उन्होंने आलोचना की कि पिछले एक दशक में केंद्रीय सरकार ने शोध बजट को ₹70000 करोड़ से कम करके ₹35000 करोड़ कर दिया है, और अब निजी स्रोतों से मिलने वाले अनुदानों पर भी जीएसटी लगाने की योजना बनाई है।
इसका प्रतिकूल प्रभाव शैक्षणिक संस्थानों पर भी पड़ा है। उदाहरण के लिए, आईआईटी दिल्ली और पंजाब विश्वविद्यालय जैसे छह प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों को ₹220 करोड़ के जीएसटी भुगतान के लिए शो-कॉज नोटिस मिला है। इस विरोधाभासी कदम के खिलाफ दिल्ली सरकार जमकर आवाज उठाएगी और इन अनुदानों पर जीएसटी हटाने की मांग करेगी। आतिशी ने कहा कि विकसित देशों जैसे कि इजराइल, जापान, और अमेरिका में शोध में भारी निवेश किया जाता है, जो कि उनके जीडीपी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
छोटे व्यापार और स्टार्ट-अप्स पर प्रभाव
आतिशी ने ₹2000 से कम के ऑनलाइन लेन-देन पर 18% जीएसटी लागू करने के प्रस्ताव का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह छोटे व्यापार और स्टार्ट-अप्स के लिए हानिकारक साबित होगा, क्योंकि ये डिजिटल पेमेंट सिस्टम पर निर्भर होते हैं।
आतिशी ने बताया कि छोटे व्यापार देश की जीडीपी में 30% का योगदान देते हैं और 62% कर्मचारियों को रोजगार देते हैं। इसलिए इस प्रस्तावित कर से उनका कार्यभार काफी बढ़ जाएगा और इसका असर आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। उन्होंने केंद्रीय सरकार के इस कदम को पाखंडपूर्ण करार दिया, क्योंकि यह वही सरकार है जो डिजिटल लेन-देन और कैशलेस अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करती है।
54वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन दोनों मुद्दों के अलावा बीमा प्रीमियम पर कराधान, दर तर्कसंगति और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी, जिनकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी।