दार्जिलिंग में लैंडस्लाइड, 23 मृत, मोदी ने जताई सहायता

दार्जिलिंग में लैंडस्लाइड, 23 मृत, मोदी ने जताई सहायता अक्तू॰, 6 2025

जब नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री ने 5 अक्टूबर को दार्जिलिंग में घटी भयंकर लैंडस्लाइड के बाद गहरी चिंता व्यक्त की, तो पूरे राष्ट्र ने इस आपदा पर नज़र रखी। निरंतर तेज़ बारिश ने पहाड़ियों की मिट्टी को भँवर बना दिया, जिससे मिरिक, जासबीरगाँव, सरसाली और जल्पायगुड़ी के कई गाँव ध्वस्त हो गए।

मौसम की स्थिति और पृष्ठभूमि

इस विस्थापन से पहले, शनिवार रात से ही दार्जिलिंग और उसके आसपास के क्षेत्रों में लगातार 120 mm से अधिक वर्षा दर्ज हुई थी। मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी, परंतु कई पर्यटक और स्थानीय लोग "धूप की कमी" के बहाने यात्रा जारी रखते रहे। पिछले दशक में दार्जिलिंग में इतनी व्यापक लैंडस्लाइड केवल 2015 में ही देखी गई थी, जब 80 mm की तीव्र बौछार ने कई बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचाया था।

घटना का विस्तृत विवरण

यह विनाशकारी घटना दार्जिलिंग पहाड़ी इलाकों में हुई। इसके साथ ही दार्जिलिंग लैंडस्लाइड 2025दार्जिलिंग एवं जल्पायगुड़ी के रूप में दर्ज किया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल 23 लोगों की मौत हुई, जिनमें 5 से कम साल के बच्चे भी शामिल हैं। सबसे अधिक मृत्यु मिरिक में दर्ज हुई (11), जबकि दार्जिलिंग उप-क्षेत्र में सात और जल्पायगुड़ी के नग्राकाटा में पाँच।

रिचर्ड लेपचा, दार्जिलिंग उप-प्रमुख अधिकारी (SDO) ने PTI को बताया, "हमें अभी तक सभी मलबे की सफाई नहीं हुई, लेकिन बचाव दल रात‑रात काम कर रहे हैं।" उनका कहना था कि कई घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए, जिससे सड़कों का संचार टूट गया और कई गाँव पूरी तरह से अलग‑थलग हो गए।

जैसे ही लोटते हुए मलबे ने गली-गली में घुस कर पुलों को ध्वस्त किया, स्थानीय लोगों ने दीवारों से चिल्लाते हुए मदद के लिए आवाज़ उठाई। एक 32‑साल की महिला, जो पर्यटन बुकिंग एजेंट थी, ने कहा, "हम यहाँ दुर्गा पूजा की छुट्टियों में आए थे, लेकिन अब हम डर के साथ अपने घर वापस जाने की राह देख रहे हैं।"

रक्षा एवं राहत कार्य

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किए, जबकि राज्य पुलिस और जिला प्रशासन ने मिलकर सड़कों को साफ़ करने के लिए भारी मशीनरी भेजी। आज सुबह तक, NDRF ने दो हवाई हेलिकॉप्टर, तीन एलिवेटर ट्रकों और दो बचाव टीमों को साइट पर तैनात किया था।

उपर्युक्त प्रयासों के अलावा, उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गूहा, उत्तरी बंगाल विकास मंत्री ने कहा, "स्थिति चिंताजनक है, लेकिन हम सभी प्राविधिक संसाधन एकत्र कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार से तुरंत आर्थिक सहायता के लिए अनुरोध किया गया है।

पर्यटकों की सहायता के लिए, दार्जिलिंग में स्थित प्रमुख होटल और गेस्टहाउस ने मुफ्त आवास और भोजन प्रदान किया। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में जखमी लोगों के उपचार के लिए अतिरिक्त दवाइयाँ और रक्त भी उपलब्ध कराई गईं।

प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

भूवैज्ञानिकों ने बताया कि इस वर्ष की अत्यधिक वर्षा का मुख्य कारण बदलाव रहे मौसमी धारा में बदलाव है, जो हिमालयी मानसून को और अधिक मोनसून‑वत्तिक बना रहा है। डॉ. अनिल सिंगह, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेटियोरोलॉजी के प्रोफेसर, ने कहा, "यदि जलवायु परिवर्तन की दिशा में और तेज़ी आती रही, तो इस तरह की आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ेगी।" उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी की स्थिरता को बरकरार रखने के लिए वृक्षारोपण और जल निकासी प्रणाली के अद्यतन की अपील की।

आर्थिक दृष्टि से, दार्जिलिंग की पर्यटन आय में इस साल पहले से 30 % गिरावट की संभावना है, क्योंकि कई यात्रियों ने अब यात्रा स्थगित कर दी है। स्थानीय व्यवसायियों ने यह भी बताया कि कई हॉटेल और चाय बगान ने अपने उत्पादन पर असर महसूस किया है।

भविष्य की दिशा

सरकार ने तत्काल 5 करोड़ रुपये की आपातकालीन सहायता निधि मंजूर की है, और अगले दो हफ्ते में अतिरिक्त राहत सामग्री की डिलीवरी की योजना है। इसके अलावा, राज्य जल अभियांत्रिकी विभाग ने पहाड़ी क्षेत्रों में नए जल निकासी नालों की योजना बनाई है, जिससे भविष्य में समान तबाही को रोका जा सके।

हर साल अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान कई लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करते हैं, इसलिए प्रशासन ने अगली पीढ़ी के यात्रियों के लिए वैकल्पिक रूट और आपातकालीन आश्रयस्थल स्थापित करने का फैसला किया है। अंततः, इस त्रासदी ने यह सिखाया है कि प्रकृति से खेलना अब जोखिम भरा हो गया है, और हमें योजना‑बद्ध तैयारी की जरूरत है।

  • मृत्यु: 23 (जिनमें 5 बच्चे)
  • सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र: मिरिक (11 मृत)
  • प्राथमिक बचाव दल: NDRF, राज्य पुलिस, जिला प्रशासन
  • प्रधानमंत्री का आश्वासन: सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी
  • लगभग 2000 पर्यटक प्रभावित, कई इमरजेंसी आश्रय में

Frequently Asked Questions

लैंडस्लाइड के कारण मृत्यु संख्या में वृद्धि क्यों हुई?

तीव्र बारिश ने मिट्टी को अस्थिर कर दिया, जिससे कई घर बिखर गए। साथ ही, कई गांव दूरस्थ थे, इसलिए बचाव पहुंचने में देर हो गई, जिससे जखमी तेजी से मर गए।

पर्यटकों को कौन से राहत उपाय उपलब्ध कराए गए?

स्थानीय होटलों ने मुफ्त आवास और भोजन दिया, जबकि स्वास्थ्य केंद्र ने जखमी यात्रियों को प्राथमिक उपचार प्रदान किया। आपातकालीन शेल्टर भी स्थापित किए गए।

सरकार ने भविष्य में ऐसी घटना रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

जल निकासी प्रणाली को मजबूत करने, पहाड़ी क्षेत्रों में वृक्षारोपण बढ़ाने और मौसम चेतावनी प्रणाली को सुधारने की योजना बनायी गई है। अतिरिक्त आपदा निधि भी जारी की गई है।

इस आपदा का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?

पर्यटन आय में अनुमानित 30 % की गिरावट आएगी, कई चाय बगानों और छोटे व्यापारियों को नुकसान होगा। सरकार की राहत योजना आर्थिक पुनरुद्धार में मदद करेगी।

क्या इस साल के मानसून में फिर से ऐसी तीव्र बारिश की संभावना है?

वर्तमान मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इस मानसून में समुद्री प्रवाह में बदलाव के कारण फिर से तेज़ बारिश हो सकती है, इसलिए सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

2 टिप्पणि

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    Shreyas Badiye

    अक्तूबर 6, 2025 AT 04:02

    दान्जिलिंग की यह दुष्ट लैंडस्लाइड हमें याद दिलाती है कि प्रकृति की शक्ति कितनी अनपेक्षित हो सकती है 😊
    लगातार बारिश ने मिट्टी को ऐसा हथियार बना दिया जैसे कोई बॉलिस्टिक मिसाइल हो, और अचानक ही पहाड़ों ने अपना दिल खोल दिया।
    कई लोग अपने घरों को बचाने के लिए जमीं पर फेंके गए किरायों को छोड़कर भागे, पर कई की आवाज़ें सिर्फ पहाड़ों की गर्जना में खो गईं।
    नरेंद्र मोदी जी की तत्काल चिंता और मदद का आश्वासन हमें आशा देता है, पर झटके के बाद की लम्बी राहत प्रक्रिया अभी बाकी है।
    सैकड़ों परिवार आज भी बिन भोजन के थुपके थुपके गले में लिचिया महसूस कर रहे हैं, और उनका दर्द शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता।
    जैसे ही NDRF ने हेलीकॉप्टर और ट्रक भेजे, स्थानीय लोग भी स्वयंसेवकों की तरह मदद के लिए आगे बढ़े।
    हालांकि, पहुँच में देरी हुई क्योंकि पहाड़ी रास्ते पूरी तरह बंद हो गए थे और जल निकासी नालों की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया।
    भविष्य में ऐसे हादसे को रोकने के लिए बड़े स्तर पर वृक्षारोपण और जल प्रबंधन की जरूरत है, यह बात विशेषज्ञों ने कई बार दोहराई है।
    अगर यह बदलाव नहीं हुआ तो अगली मोनसून में भी ऐसी ही त्रासदी दोहराई जा सकती है।
    स्थानीय होटल और गेस्टहाउस ने मुफ्त ढांचा और भोजन दिया, जिससे कुछ पसीने की बूँदें फिर से मुस्कान में बदल गईं।
    समय व्यतीत होते-से नहीं पर राहत कार्य धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, क्योंकि हर एक कदम पर लोगों का सहयोग मिल रहा है।
    भूवैज्ञानिकों ने भी कहा है कि बाढ़ की संभावनाओं को कम करने के लिये पहाड़ी क्षेत्रों में नई नहरों का निर्माण आवश्यक है।
    देश के सबसे सुंदर स्थानों में से एक दार्जिलिंग को फिर से सुरक्षित बनाना हम सभी का कर्तव्य है।
    अगर हम कारण-परिणाम को समझें और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के उपाय अपनाएँ तो इस तरह की बड़ी क्षति को रोका जा सकता है।
    चलो हम सब मिलजुल कर इस आपदा से सीखें और आगे के लिए तैयार रहें, क्योंकि केवल सहयोग ही इस कठिन समय को पार करवा सकता है।
    भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित माहौल देने के लिये आज ही कदम उठाना आवश्यक है।
    आशा है कि सरकार की 5 करोड़ की सहायता राशि सभी आवश्यक चीज़ों को कवर कर पाएगी और पुनर्निर्माण जल्दी से जल्दी शुरू होगा।

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    Jocelyn Garcia

    अक्तूबर 7, 2025 AT 07:48

    हम सबको मिलकर इस दर्दनाक स्थिति में एकजुट होना चाहिए, क्योंकि एकता में ही ताकत है।
    स्थानीय लोगों को तुरंत मानसिक और आर्थिक समर्थन देना आवश्यक है, और यह काम हम सब मिलकर तेज़ी से कर सकते हैं।
    सरकार की सहायता योजना को तेज़ी से लागू किया जाए ताकि प्रभावित परिवारों को राहत मिल सके।
    ऐसे समय में हम एक दूसरे को सहारा दें और आशा की रौशनी बनें।
    हमारा साथ ही इस मुसीबत का हल निकाल सकता है।

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