भारत का संविधान दिवस 2024: तिथि, उत्पत्ति और महत्व

भारत का संविधान दिवस 2024: तिथि, उत्पत्ति और महत्व नव॰, 27 2024

26 नवंबर: भारत का संविधान दिवस

भारत का संविधान दिवस, जिसे 'संविधान दिवस' के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 26 नवंबर को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन 1949 में भारतीय संविधान के अंगीकरण को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। संविधान सभा द्वारा इसी दिन संविधान को स्वीकार किया गया था, जिसमें डॉ. बी.आर. आंबेडकर का विशेष योगदान रहा। भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार डॉ. आंबेडकर का योगदान भारतीय राजनीति में अत्यधिक आदरणीय माना जाता है।

संविधान का कार्यान्वयन 26 जनवरी, 1950 को हुआ, जिससे यह दिन हमारा गणतंत्र दिवस बन गया। भारतीय संविधान, जिसकी प्रारंभिक रूप से 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थी, भारत की विविधता को एकता के सूत्र में बांधने में कामयाब रहा है। यह एक 'जीवित दस्तावेज' के रूप में माना जाता है, जिसने एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष भारत की रूपरेखा निर्धारित की है।

संविधान दिवस का महत्व और उद्देश्य

संविधान दिवस का महत्व और उद्देश्य

2015 में, भारत सरकार ने संविधान दिवस को औपचारिक मान्यता प्रदान की ताकि संविधान के मूल्यों और इसके महत्व को आम जनता में प्रचारित किया जा सके। इस अवसर को डॉ. बी.आर. आंबेडकर के 125वें जन्मदिवस के रूप में भी मनाया गया। संविधान दिवस का मुख्य उद्देश्य संविधान के मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना और भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाना है।

इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें संविधान की प्रस्तावना का वाचन, संविधान के मूल सिद्धांतों पर चर्चा, और क्विज प्रतियोगिताएं शामिल होती हैं। ये गतिविधियाँ नागरिकों को संविधान की धरोहर से जोड़ने का प्रयास करती हैं और उन्हें यह समझने में सहायक होती हैं कि यह हमारा अधिकार और कर्तव्य दोनों है।

संविधान निर्माण में प्रमुख हस्तियों का योगदान

संविधान निर्माण में डॉ. बी.आर. आंबेडकर के अलावा डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, और सरदार पटेल जैसी महान हस्तियों का भी अहम योगदान रहा। इन लोगों ने मिलकर भारत के संविधान को तैयार किया, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आधार है।>p>

संविधान दिवस पर आयोजित कार्यों के माध्यम से समझा जाता है कि यह दस्तावेज केवल कानूनों का संग्रह नहीं है बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी हिस्सा है। इस वर्ष देश संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, और इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की।

संविधान का इतिहास और महत्व

संविधान के इतिहास में झांकने पर हम पाते हैं कि इसने न केवल भारत को स्वतंत्रता के बाद स्थायित्व प्रदान किया, बल्कि विविधता में एकता का प्रतीक भी बना। यह दिन हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों की पुनः स्मृति का दिन है, जिनमें स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व जैसे मूल्य शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए संविधान के महत्व को विशेष रूप से जोर दिया, और इस बात पर जोर दिया कि संविधान भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण आधारशिला है।

संविधान दिवस के आयोजनों के माध्यम से नागरिकों को यह जानकारी मिलती है कि लोकतंत्र केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों की सहभागिता द्वारा चलने वाली प्रणाली है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि प्रत्येक नागरिक का योगदान संविधान और देश की उन्नति में महत्वपूर्ण है।