श्रीलंका में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते हुए आर्थिक संकट से निपटने का संकल्प लिया
सित॰, 24 2024श्रीलंका के नये राष्ट्रपति: अनुरा कुमारा दिसानायके
श्रीलंका ने हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को नए राष्ट्रपति के रूप में चुना है। उनकी जीत न सिर्फ राजनीति में एक बड़ा बदलाव है, बल्कि लंबे समय से चली आ रही आर्थिक समस्याओं के बीच एक नई उम्मीद लेकर आई है। देश में लंबे समय से आर्थिक संकट, मुद्रास्फीति, और बढ़ते कर्ज के कारण जनजीवन काफी प्रभावित है।
दिसानायके का विजयी भाषण और प्राथमिकताएं
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद, दिसानायके ने अपने प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि वे देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सबसे अच्छा मार्गदर्शन लेंगे और आर्थिक प्रबंधन को संतुलित करने पर जोर देंगे। उनका मानना है कि यह वक्त कड़ी मेहनत और सही नीतियों का है। उन्होंने यह भी कहा कि वे श्रीलंकाई लोगों की जीवन स्तर में सुधार करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
आर्थिक चुनौतियों का सामना
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इस समय बेहद नाजुक है। मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है, मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है और कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में दिसानायके को कई महत्वपूर्ण फैसले लेने होंगे, ताकि देश को इस संकट से निकाला जा सके। उनके वामपंथी नीतियों के कारण यह माना जा रहा है कि वे आम जनता और गरीब वर्ग की समस्याओं को प्राथमिकता देंगे।
आर्थिक नीतियों में बदलाव
दिसानायके अपने आर्थिक नीतियों में बड़े बदलाव लाने की योजना बना रहे हैं। वे प्रोडक्टिव सेक्टर्स में निवेश बढ़ाना चाहते हैं और आर्थिक असंतुलन को कम करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि फ़िज़िकल डिसिप्लिन सबसे पहले होगी और और जरूरतमंदों की सहायता सबसे पहले होगी।
राजनीतिक परिदृश्य में परिवर्तन
अनुरा कुमारा दिसानायके का चुनाव जीतना सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि यह जनभावना का भी प्रतीक है। लोगों की पिछले नेतृत्व से निराशा और बदलाव की चाह ने उन्हें इस पद पर पहुंचाया है। उनके चुनाव से जनता को उम्मीद है कि वे देश को सही दिशा में ले जाएंगे और आर्थिक संकट से छुटकारा दिलाएंगे।
आगे की राह
दिसानायके के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं होगा। उन्हें न सिर्फ आर्थिक चुनौतियों का सामना करना है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को भी मजबूत बनाना होगा। इसके साथ ही उन्हें देश में सामाजिक और राजनीतिक संतुलन भी बनाना होगा। उनकी नीतियों से क्या बदलाव आते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
नई कार्य प्रणाली और जनता की उम्मीदें
नई कार्य प्रणाली और उनकी नीतियों में कसावट लाना उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में शुमार है। श्रीलंका की जनता ने उन्हें बड़ी उम्मीदों के साथ चुना है और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाते हैं।