उत्तराखंड उपचुनाव: मंगलौर और बद्रीनाथ सीटों पर कांग्रेस की बढ़त

उत्तराखंड उपचुनाव: मंगलौर और बद्रीनाथ सीटों पर कांग्रेस की बढ़त जुल॰, 13 2024

उत्तराखंड उपचुनाव: कांग्रेस की बढ़ती पकड़

उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव 2024 के लिए मंगलौर और बद्रीनाथ सीटों की वोटों की गिनती शनिवार, 13 जुलाई से शुरू हुई। शुरुआती राउंड में ही कांग्रेस के उम्मीदवार दोनों सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। यह उपचुनाव जनता के बीच दिलचस्पी और उत्तेजना का कारण बना हुआ है। वोटो की गिनती का यह दौर प्रदेश के राजनीतिक माहौल को भी प्रभावित करने वाला है।

मंगलौर सीट की स्थिति

मंगलौर सीट पर कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने बसपा के उबैदुर रहमान पर 2,093 वोटों से बढ़त बनाई है। तीसरे नंबर पर भाजपा के कर्तार सिंह भड़ाना हैं। यह सीट बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी की आकस्मिक मृत्यु के बाद खाली हुई थी। पिछले साल अक्टूबर में श्री अंसारी का निधन हो गया था, जिसके बाद उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी। गौरतलब है कि मंगलौर सीट पर 67.28% मतदान हुआ था, जो हिंसा भरे माहौल के बावजूद काफी अच्छा माना जा रहा है। इस हिंसा में चार लोग घायल हो गए थे।

काजी निजामुद्दीन के लिए यह सीट बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह इससे पहले तीन बार यह सीट जीत चुके हैं। यह उनकी चौथी जीत हो सकती है जो उनकी लोकप्रियता और क्षेत्र में उनकी पकड़ को दर्शाती है। वहीं बसपा के उबैदुर रहमान और भाजपा के कर्तार सिंह भड़ाना भी अपनी ओर से पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। लेकिन शुरुआती रुझान कांग्रेस के पक्ष में हैं।

बद्रीनाथ सीट की स्थिति

दूसरी ओर बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने भाजपा के राजेंद्र भंडारी को 963 वोटों से पीछे छोड़ दिया है। राजेंद्र भंडारी जो पहले कांग्रेस के ही विधायक थे, ने मार्च में पद से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था। इस कारण बद्रीनाथ सीट पर उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी।

47.68% मतदान के साथ बद्रीनाथ में चुनावी प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई थी। लखपत सिंह बुटोला एक अनुभवी नेता हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। भाजपा के राजेंद्र भंडारी ने सीट बदलने का जुआ खेला है और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इसमें कितने सफल होते हैं।

गिनती का दिन बड़ा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शुरुआती बढ़त के बावजूद अंतिम नतीजे का इंतजार सबको है। उत्तराखंड की राजनीति के लिए यह उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह भविष्य की राजनीति की दिशा तय कर सकते हैं।

कांग्रेस की बढ़त अगर बनी रहती है तो यह पार्टी के लिए एक बड़ा मॉलिक कामियाबी हो सकती है। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा। दूसरी ओर भाजपा और बसपा ने भी जीत के लिए पूरी ताकत झोंकी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि नतीजे किसके पक्ष में रहते हैं।

गौरतलब रहेगा कि यह चुनावी प्रक्रिया जितनी सुगम रही है, उतनी ही राजनीति की राह मुश्किल होती जा रही है। जनता की उम्मीदें और आपत्तियां सब कुछ दांव पर लगा है। सभी उम्मीदवार अपनी ओर से बेहतरीन प्रदर्शन करने की कोशिश में लगे हैं और परिणाम का सबको बेसब्री से इंतजार है।

उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव के नतीजे प्रदेश की राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं। जनता की चुनौतियों और जरूरतों को सामने रखते हुए नेतागण कितनी जिम्मेदारी से अपने वादों को पूरा करते हैं, यह देखना महत्वपूर्ण रहेगा। सबकी निगाहें अब नतीजों पर टिकी हैं, जो कि जल्द ही सामने आएंगे।

5 टिप्पणि

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    Ketkee Goswami

    जुलाई 13, 2024 AT 19:34

    भाईयो और बहनो, इस उपचुनाव की धड़कन सुनते ही दिल में उत्साह की लहर दौड़ गई है।
    कांग्रेस ने मंगलौर और बद्रीनाथ दोनों सीटों में शुरुआती बढ़त पकड़ी है, ये वास्तव में एक चमकदार संकेत है।
    काजी निजामुद्दीन की तीसरी जीत का सपना अब और भी करीब आया है, उनके मैदान में मौजूद ऊर्जा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
    बद्रीनाथ में लखपत सिंह बुटोला का अनुभव और स्थानीय समझ उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है।
    उच्च मतदान प्रतिशत दिखाता है कि लोग अपनी आवाज़ उठाने के लिए तैयार हैं, चाहे माहौल कितना भी तनावपूर्ण हो।
    हिंसा की खबरें सुनकर दिल दुःखता है, लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ताकत हमें आशा देती है।
    बसपा और भाजपा के उम्मीदवारों ने भी पूरे जोश के साथ अभियान चलाया, प्रतियोगिता जीवंत और रंगीन बन गई है।
    ऐसे समय में पार्टी के कार्यकर्ता नई ऊर्जा से भरपूर हो जाते हैं, जो कि भविष्य के चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
    कांग्रेस की जीत अगर बनी रही तो यह प्रदेश की राजनीति में एक नया सवेरा लाएगी, यह सबको प्रेरित करेगा।
    वोट गिनती के परिणामों के इंतजार में सबका धैर्य परख रहा है, लेकिन हमारा विश्वास अडिग रहता है।
    अगर भाजपा और बसपा इस बढ़त को मात देने में सफल होते हैं, तो वे दर्शाएंगे कि राजनीति में कोई भी जगह स्थायी नहीं है।
    इस तरह के उपचुनाव हमें याद दिलाते हैं कि लोकतांत्रिक शक्ति जनता के हाथों में है, चाहे वह छोटा शहर हो या पहाड़ी गाँव।
    हम सभी को चाहिए कि हम निष्पक्षता और शांति के साथ परिणामों को स्वीकार करें, चाहे वह हमारी पसंद हो या नहीं।
    हर वोट एक ताकत है, और यह ताकत ही हमारे सामाजिक परिवर्तन की नींव बनती है।
    आइए, हम इस प्रक्रिया को सम्मान और समर्थन के साथ आगे बढ़ाएं, ताकि उत्तराखंड का भविष्य उज्ज्वल हो।
    साथ ही, हम यह भी याद रखें कि विकास की राह में यह चुनाव सिर्फ एक कदम है, और आगे कई चुनौतियां इंतजार कर रही हैं।

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    Shraddha Yaduka

    जुलाई 13, 2024 AT 20:34

    भाइयों, कांग्रेस की शुरुआती बढ़त देखकर थोड़ा उत्साह मिला है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि चुनाव का अंतिम परिणाम ही असली परीक्षा है। सभी पक्षों को अपने काम में लगना चाहिए, ताकि जनता को सर्वश्रेष्ठ विकल्प मिल सके।

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    gulshan nishad

    जुलाई 13, 2024 AT 21:34

    सच में, कांग्रेस की ये पकड़ बहुत तुच्छ है। जनता को बेवकूफ समझ कर वोट देना गलत है। राजनीति हमेशा बदलती रहती है, कोई भी चीज़ स्थायी नहीं।

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    Ayush Sinha

    जुलाई 13, 2024 AT 22:34

    अरे यार, इतना भी नकारात्मक क्यों हो रहे हो? हर पार्टी में कुछ न कुछ अच्छा रहता है, बस हमें देखना है कि कौन असली काम करता है। मतभेदों को बढ़ाते रहो तो लोकतंत्र ही नहीं, समाज भी बिगड़ जाएगा।

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    Saravanan S

    जुलाई 13, 2024 AT 23:34

    उत्तरी टोली को फिर से जीत की शुभकामनाएँ!

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