Schizophrenia: गंभीर मानसिक बीमारी के लक्षण, कारण और मैनेजमेंट के आसान तरीके

Schizophrenia: गंभीर मानसिक बीमारी के लक्षण, कारण और मैनेजमेंट के आसान तरीके अप्रैल, 22 2025

Schizophrenia क्या है और यह कैसे प्रभावित करता है?

Schizophrenia कोई आम मानसिक परेशानी नहीं, बल्कि एक बहुत गहरा असर डालने वाला दिमागी रोग है। इसमें व्यक्ति अपने सोचने-समझने और महसूस करने की क्षमता खोने लगता है। कई बार मरीज को ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं जो असल में होती ही नहीं, या बातें सोचने लगते हैं जो असलियत से बहुत दूर होती हैं। कई लोग खुद को दूसरों से अलग कर लेते हैं, उनके भावनात्‍मक लगाव भी धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं। गलतफहमियाँ, वहम, बिना सिर-पैर की बातों में उलझना, या अपनी ही दुनिया में गुम रहने जैसी परेशानियाँ आम हैं। बीमारी अक्सर किशोरावस्था या युवावस्था में शुरू होती है, और अगर समय पर इलाज न मिले तो इसके नतीजे काफी गंभीर हो सकते हैं।

लोगों में अक्सर इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो जाता है। न परिवार को समझ आता है और न ही खुद मरीज को कि यह बीमारी बन सकती है। लक्षणों के दो हिस्से होते हैं—कुछ ऐसे लक्षण जो बीमारी के वक्त बढ़ जाते हैं (जैसे भ्रम, वहम, अजीब बोल-चाल), इन्हें 'पॉजिटिव' सिम्प्टम्स कहते हैं। वहीं कुछ चीजें इंसान की जिंदगी से गायब हो जाती हैं जैसे अपनेपन की कमी, काम में रुचि की कमी और समाज से दूरी—इन्हें 'नेगेटिव' सिम्प्टम्स कहते हैं।

Schizophrenia के कारण और बचाव के उपाय

Schizophrenia के कारण और बचाव के उपाय

इस बीमारी के पीछे कई वजहें छिपी होती हैं। अगर परिवार में किसी को मानसिक रोग रहा है तो रिस्क बढ़ जाता है। दिमाग में रासायनिक संतुलन बिगड़ जाता है (खासतौर से डोपामिन और सेरोटोनिन नाम के न्यूरोट्रांसमीटर), जिसका असर सीधा सोचने-समझने पर पड़ता है। कई रिसर्च में यह भी देखने को मिला है कि दिमाग में कुछ हिस्सों का आकार बाकी लोगों से अलग होता है। बचपन में किसी प्रकार की मानसिक और शारीरिक चोट, कुपोषण, गर्भावस्था में वायरस इंफेक्शन, या नशे की लत भी बीमारी को जन्म दे सकते हैं।

इलाज और मैनेजमेंट में सबसे अहम है समय से दवाएं लेना और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग। दवाइयाँ दिमागी संतुलन ठीक करने में मदद करती हैं और मरीज को खुद को और अपनी सोच को कंट्रोल करने का मौका देती हैं। वहीं काउंसलिंग या साइकोथेरेपी मरीज को अपनी भावनाओं, अपने डर और समस्याओं को समझने और उनसे निपटने की ताकत देती है।

लेकिन सिर्फ दवा और थेरेपी से बात नहीं बनती। खान-पान भी मायने रखता है—ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरपूर आहार मददगार होते हैं। योगा, मेडिटेशन, और रेगुलर एक्सरसाइज बहुत फायदेमंद मानी गई है। शराब या ड्रग्स से दूरी रखना बेहद जरूरी है क्योंकि ये दिमाग पर और ज्यादा बुरा असर डालते हैं।

  • अच्छी नींद लेना
  • अपनों के साथ समय बिताना
  • तनाव पर काबू पाना
  • डॉक्टर से लगातार सलाह करते रहना

इन आदतों से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है और मरीज लंबे समय तक बेहतर जिंदगी जी सकते हैं।

Schizophrenia के मरीजों में कई बार मोटापा, डायबिटीज जैसी दिक्कतें भी देखने को मिलती हैं, जिन पर नजर रखना जरूरी है। परिवार और समाज का साथ यहां बहुत काम आता है। शुरुआती पहचान और लगातार मदद देने से शख्स की जिंदगी आसान और बेहतर हो सकती है।