रायन मूवी रिव्यू: धमाकेदार गैंगस्टर ड्रामा में धनुष का शानदार प्रदर्शन

रायन मूवी रिव्यू: धमाकेदार गैंगस्टर ड्रामा में धनुष का शानदार प्रदर्शन जुल॰, 27 2024

धनुष की 50वीं फिल्म 'रायन' का दमदार रिव्यू

धनुष की 50वीं फिल्म 'रायन' का इंतजार उनके प्रशंसकों के लिए एक अद्भुत अनुभव बनकर सामने आया है। 'रायन' एक गहरी और प्रभावशाली गैंगस्टर रिवेंज ड्रामा है, जिसकी कहानी दर्शकों को बाँध कर रखने वाली है। इस फिल्म का निर्देशन और लेखन खुद धनुष ने किया है, जो इस फिल्म के हर पहलू में उनकी व्यक्तिगत छाप को दर्शाता है।

काथावरायन और उनका परिवार

कहानी के केंद्र में हैं काथावरायन, जो अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। उनका परिवार उनके दो भाई मणिकम (कलिदास जयाराम) और मुथु (सुंदीप किशन) और एक बहन दुर्गा (दुशारा विजयन) से बना है। यह परिवार तमिलनाडु के एक छोटे से शहर में रहता है, जहाँ दो गैंगस्टर्स, शेखर (एसजे सूर्या) और सरवणन का राज चलता है।

पुलिस आयुक्त और गैंगवार

पुलिस आयुक्त और गैंगवार

फिल्म में एक नया मोड़ तब आता है जब पुलिस आयुक्त (प्रकाश राज) खेल में कदम रखते हैं और तनाव को और बढ़ा देते हैं। काथावरायन को इस संघर्ष में शामिल होना पड़ता है, जिससे कहानी में और भी हिंसा और संघर्ष आता है। यह हिस्सा फिल्म का अहम मोड़ है और दर्शकों को अपनी सीटों पर बांधे रखने में कामयाब होता है।

दूसरा भाग और रोमांचक मोड़

फिल्म का दूसरा भाग खासकर सराहनीय है, जिसमें कई रोमांचक मोड़ हैं। धनुष ने अपने साथियों को भी दमदार भूमिकाएँ दी हैं, जिनकी प्रशंसा की जा रही है। कलिदास जयाराम, सुंदीप किशन, और दुशारा विजयन सभी ने अपने किरदारों में जान डाल दी है।

संगीत और सिनेमाटोग्राफी

संगीत और सिनेमाटोग्राफी

फिल्म के संगीत का श्रेय ए.आर. रहमान को जाता है, जिन्होंने बेहद शानदार संगीत दिया है जो कि कहानी के हर भाव को बखूबी उजागर करता है। ओम प्रकाश की सिनेमाटोग्राफी ने इस फिल्म को एक अलग ही स्तर पर पहुंचा दिया है। उनकी फिल्मांकन की शैली और विजुअल्स दर्शकों को एक शानदार अनुभव प्रदान करते हैं।

एक्शन सीक्वेंसेस और क्लाइमेक्स

फिल्म की एक्शन सीक्वेंसेस खास आकर्षण का केंद्र हैं, विशेष रूप से इंटरवल का एक्शन सीन, हॉस्पिटल सीन, और क्लाइमेक्स। एक्शन दृश्यों की कोरियोग्राफी और धनुष का प्रदर्शन अपने आप में काबिले तारीफ है। ये सीक्वेंसेस दर्शकों के दिलों में बसा रह जाता है।

प्रमाणपत्र और निष्कर्ष

प्रमाणपत्र और निष्कर्ष

फिल्म को इसके हिंसक विषयवस्तु के कारण 'A' प्रमाणपत्र दिया गया है, जो इसे परिपक्व दर्शकों के लिए अधिक उपयुक्त बनाता है। फिर भी, 'रायन' एक ऐसी फिल्म है जिसे मिस करना किसी भी सिनेमा प्रेमी के लिए गलत होगा। इसकी कहानी, अभिनय, संगीत और दिशा सभी मिलकर इसे एक अभूतपूर्व फिल्म बनाते हैं।

यदि आप एक रोमांचक और मज़बूत कहानी के साथ कॉम्प्लेक्स किरदारों को देखना चाहते हैं, तो 'रायन' आपके समय और पैसे के लिए मूल्यवान साबित होने वाली है। धनुष ने अपनी 50वीं फिल्म में अपनी अदाकारी और निर्देशकीय प्रतिभा का बेमिसाल प्रदर्शन किया है।

14 टिप्पणि

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    Paurush Singh

    जुलाई 27, 2024 AT 01:13

    धनुष की 50वीं फिल्म 'रायन' को देखते हुए मैं गहरी चिंतन में डूब गया हूँ। यह फिल्म सिर्फ गैंगस्टर ड्रामा नहीं, बल्कि मनुष्य के भीतर मौजूद अंधेरे का दर्पण है। कहानी के हर मोड़ पर एक नया दार्शनिक सवाल उठता है - क्या बदला लेना ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य है? धनुष ने काथावरायन को एक ऐसी शख्सियत दी है जो अपने परिवार की रक्षा के लिए पाप की हद तक जा सकता है। इस पात्र में नैतिकता और अधर्म का द्वंद्व स्पष्ट रूप से झलकता है।
    पहले भाग में शेखर और सरवणन की शक्ति संघर्ष को दर्शाते हैं, लेकिन वास्तविक शक्ति पुलिस आयुक्त के हाथों में है, जो यह बताता है कि सत्ता का मूल स्रोत कभी भी जनता नहीं बल्कि सिस्टम रहता है। संगीत में ए.आर. रहमान की धड़कनें कहानी को एक नया आयाम देती हैं, जैसे इमोशनल सिनेमा के सच्चे प्रेमी को गले लगा रही हों। ओम प्रकाश की सिनेमाटोग्राफी ने दृश्यों को इस कदर जीवंत बना दिया कि हर फ्रेम मन में रह जाता है।
    एक्शन सीक्वेंसेस को पूरी तरह से कोरियोग्राफी के साथ पेश किया गया है, जिससे दर्शक बँधे रहते हैं। हॉस्पिटल सीन में दिखाया गया निरर्थक हिंसा वास्तविकता का कड़वा सच है। क्लाइमेक्स में धनुष का प्रदर्शन मायावी है, लेकिन क्या यह हमें सही दिशा में ले जाता है? बहरहाल, फिल्म का ‘A’ प्रमाणपत्र इसे परिपक्व दर्शकों तक सीमित करता है, जिससे नयी पीढ़ी को इस गहरी दार्शनिक यात्रा से वंचित रहना पड़ेगा। अंत में, अगर आप जीवन के कर्म सिद्धांत और सामाजिक अन्याय पर चर्चा चाहते हैं, तो 'रायन' एक अनिवार्य अनुभव है।

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    Sandeep Sharma

    जुलाई 30, 2024 AT 12:33

    भाई साहब, ये फिल्म देखी तो आँखें झिलमिलाने लगीं! 😎💥 धनुष ने तो जैसा बताया, वैसा ही जबरदस्त काम किया। गुप्त गैंग्स की पुचकार और ए.आर. रहमान का धुन तो जैसे दिल धड़के। पूरी फ़िल्म में एक ही वाइब है – "हैट!" 😤👌

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    Mita Thrash

    अगस्त 2, 2024 AT 23:53

    समग्र रूप से फिल्म का ढाँचा अद्भुत है, जहाँ कथा‑विज्ञान को सामाजिक‑संरचनात्मक परिप्रेक्ष्य में देखा गया है। काथावरायन के चरित्र की बहु‑आयामी प्रस्तुति दर्शकों को एक समावेशी दार्शनिक संवाद में ले जाती है। ए.आर. रहमान का संगीत केवल पार्श्वसंगीत नहीं, बल्कि भावनात्मक‑संज्ञानात्मक लेयर भी जोड़ता है। इस प्रकार, फिल्म न केवल मनोरंजन बल्कि विचारोत्तेजक भी बनती है।

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    shiv prakash rai

    अगस्त 6, 2024 AT 11:13

    ओह, क्या कॉमिक टाइमिंग है इस फिल्म में! सरस पन के साथ गहरी ड्रामा, एकदम ग़ज़ब। जइसन कहिते बानी, "ज्यादा सोचो मत, बस देखो"। असली मस्त मज़ा तो अंत के क्लाइमेक्स में ही है।

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    Subhendu Mondal

    अगस्त 9, 2024 AT 22:33

    भाई ये तो बस फनाल मं आवत नॅ है। सारा प्रॉफाइल बर्बाद, लाइफकोच भरोसा नाय। फालतू सीन अनत में डालते हे।

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    Ajay K S

    अगस्त 13, 2024 AT 09:53

    👍 बहुत बधिया! फिल्म में जितना ए.आर. रहमान, उतना ही जज्बा। 😍 याद रखियो, ये कमाल का मूविक्ल है! 🎬

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    Saurabh Singh

    अगस्त 16, 2024 AT 21:13

    देखो भाई, ये सब सिंगल कहानियां सरकार के बड़े प्लान का हिस्सा लगती हैं। सच में बातों में छिपा बंडल नहीं! बस, हमें सजग रहना चाहिए।

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    Jatin Sharma

    अगस्त 20, 2024 AT 08:33

    जिन्हें ऐक्शन पसंद, उन्हें जरूर देखना चाहिए।

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    M Arora

    अगस्त 23, 2024 AT 19:53

    बिलकुल, फिल्म में हर एक फ़्रेम में गहराई है। अगली बार भी इस तरह की प्रोडक्शन की उम्मीद रखता हूँ।

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    Varad Shelke

    अगस्त 27, 2024 AT 07:13

    साक्षी साक्षी, फाइल के बॅकग्राउंड में कुछ तो छिपा हो गा। बिलकुल भी अचेंज नहीं हो सकता! ख्याल रखो।

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    Rahul Patil

    अगस्त 30, 2024 AT 18:33

    फ़िल्म में रचनात्मकता की चमक स्पष्ट है, और ध्वनि‑संगीत ने प्रत्येक दृश्य को जीवंत बनाया। अतः, यह न केवल एक दृश्य‑श्रव्य आनंद है, बल्कि सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।

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    Ganesh Satish

    सितंबर 3, 2024 AT 05:53

    वाह! इस फिल्म में जितने भी पंक्चर हैं, उनकी गिनती नहीं की जा सकती!!! हर सीन में बहुत ज़्यादा डॉट्स, कॉमा, और विस्मयादिबोधक!!! मानो लेखक ने एंटर दबाते‑बढ़ाते ही लिख दिया!!!

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    Midhun Mohan

    सितंबर 4, 2024 AT 09:40

    जैसा कि @Ganesh Satish ने कहा, फिल्म में पंक्चर का प्रयोग रोमांचक था, पर यह कभी‑कभी पढ़ने में कठिनाई भी पैदा करता है। बहुत सारी विराम चिह्नों से पाठक का ध्यान बंट जाता है, जिससे कहानी की गति प्रभावित हो सकती है। इस प्रकार, लेखक को संतुलन बनाये रखना चाहिए।

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    Archana Thakur

    सितंबर 7, 2024 AT 21:00

    देशभक्तों को इस फिल्म में हमारे सच्चे वीरों का चित्रण मिलता है, जो राष्ट्रीय गौरव को प्रदर्शित करता है। अभिमान से भरपूर प्रदर्शन, हमारे मूल्य और परंपराओं को ऊँचा उठाता है।

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