पीएम किसान योजना: प्रधानमंत्री मोदी ने 17वीं किस्त जारी की, 9.3 करोड़ किसानों को मिलेगा लाभ

पीएम किसान योजना: प्रधानमंत्री मोदी ने 17वीं किस्त जारी की, 9.3 करोड़ किसानों को मिलेगा लाभ जून, 11 2024

प्रधानमंत्री द्वारा पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त की घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 17वीं किस्त जारी कर दी है। इस नई किस्त का लाभ लगभग 9.3 करोड़ किसानों को मिलने वाला है, जो देश भर के विभिन्न हिस्सों में खेती करते हैं। यह किस्त सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा होगी और प्रत्येक किसान को ₹2,000 मिलेंगे।

पीएम किसान योजना की शुरुआत 2019 में हुई थी, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आर्थिक समर्थन प्रदान करना है ताकि वे बेहतर उत्पादन कर सकें और अपनी जीविका के लिए आवश्यक संसाधन खरीद सकें।

पीएम किसान योजना का उद्देश्य और लाभ

इस योजना का उद्देश्य न सिर्फ किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत, पहले किसान परिवारों को ₹6,000 प्रति वर्ष की धनराशि तीन किश्तों में दी जाती थी। हालांकि अब तक 17 किस्तें जारी हो चुकी हैं।

योजना की शुरुआत से ही, यह किसानों के लिए एक बड़ा सहारा साबित हुई है। इसमें किसी भी प्रकार का बिचौलिया नहीं है और धनराशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर होती है। इससे भ्रष्टाचार की संभावना कम हो जाती है और किसानों को पूरा लाभ मिलता है।

देश भर में किसानों की स्थिति में सुधार

देश भर में किसानों की स्थिति में सुधार

पीएम किसान योजना के जरिए, सरकार ने विदेशी और राज्य स्तरीय नेताओं से भी अच्छा प्रशंसा प्राप्त की है। इस योजना से किसानों की कर्ज बोझ घटाने में भी मदद मिली है। इसके अलावा, इस आर्थिक सहायता से किसान अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, जैसे कि बीज, खाद और अन्य कृषि उपकरण खरीद सकते हैं।

राहत की ऐसी योजनाओं का सीधा फायदा यह है कि किसानों को अपनी कृषि गतिविधियों को जारी रखने में मदद मिलती है और उनकी आय में भी वृद्धि होती है।

आवेदन प्रक्रिया और पात्रता

पीएम किसान योजना में आवेदन करने की प्रक्रिया काफी सरल और सीधी है। किसानों को अपने संबंधित राज्य के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और वहां आवेदन पत्र भरना होगा। आवेदन के समय, किसानों को अपनी जमीन और बैंक खाते की जानकारी देनी होती है। इसके बाद अधिकारियों द्वारा डेटा की सत्यापन की जाती है और मान्य होने पर, राशि उनके खाते में जमा कर दी जाती है।

इस योजना के तहत किसानों को प्रत्येक साल ₹6,000 की सहायता मिलती है, जो तीन किस्तों में दी जाती है। पात्रता के लिए कुछ आवश्यक शर्तें हैं, जैसे कि किसान के पास स्वयं की जमीन होनी चाहिए और वह आयकर दाता नहीं होना चाहिए।

प्रधानमंत्री का किसानों के नाम संदेश

प्रधानमंत्री का किसानों के नाम संदेश

पीएम किसान योजना की 17वीं किस्त जारी करते समय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से संवाद भी किया। उन्होंने किसानों को प्रेरित किया कि वे नई तकनीकों और आधुनिक तरीकों का उपयोग करें ताकि उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ सके। मोदी ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी।

उन्होंने यह भी बताया कि कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई अन्य योजनाएं और पहल भी शुरू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं हैं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और आत्मनिर्भर भारत अभियान। इन सभी योजनाओं का उद्देश्य किसानों की स्थिति में सुधार करना और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है।

7 टिप्पणि

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    Ayush Sinha

    जून 11, 2024 AT 20:04

    किसान को सीधे 2,000 रुपये मिलना किसी भी वैधानिक प्रतिबद्धता से अधिक नहीं, बल्कि एक अस्थायी नक़दी प्रवाह है; यह मदद अर्थव्यवस्था में स्थिरता या उत्पादन वृद्धि की गारंटी नहीं देती।

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    Saravanan S

    जून 11, 2024 AT 21:43

    भाइयो और बहनो, यह योजना वास्तव में एक कदम आगे बढ़ाने की कोशिश है, जिससे किसानों को भरोसा मिल सके, और हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि समर्थन तभी मायने रखता है जब वह निरन्तरता से दिया जाए, इसलिए हमें इस पहल को सराहना चाहिए, और साथ ही आगे के सुधारों के लिए सुझाव देना चाहिए।

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    Alefiya Wadiwala

    जून 12, 2024 AT 01:53

    प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पीएम किसान योजना का ऐतिहासिक महत्व निश्चित रूप से नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए; हालांकि, सिद्धांत और व्यावहारिकता के बीच का अंतर अक्सर नीति निर्माताओं द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है। इस योजना के तहत प्रत्येक किसान को 2,000 रुपये की वार्षिक किस्त पहुंचाना एक सरलीकृत वित्तीय हस्तक्षेप मात्र है, जिसका वास्तविक प्रभाव कृषि उत्पादन की संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने में न्यूनतम ही हो सकता है। प्रथम, अधिकांश छोटे एवं सीमांत किसान आधुनिक कृषि तकनीक, जैसे सटीक कृषि, जल संरक्षण उपकरण, या उच्च गुणवत्ता वाले बीज के लिए आवश्यक पूँजी को इस राशि से कवर नहीं कर पाते। द्वितीय, बैंकों में जमा करने की प्रक्रिया में अक्सर दस्तावेज़ी जटिलताएँ एवं समय‑सापेक्ष बाधाएँ उत्पन्न होती हैं, जिससे समय पर लाभ प्राप्त करना कठिन हो जाता है। तृतीय, इस प्रकार की नकद सहायता पर अत्यधिक निर्भरता दीर्घकालिक स्वावलंबन को बाधित कर सकती है, क्योंकि यह मूलभूत कृषि सुधारों के स्थान पर अल्पकालिक उपभोग को प्रोत्साहित करती है। चतुर्थ, केंद्रीय एवं राज्य स्तर पर योजना के वितरण में पारदर्शिता एवं निगरानी की कमी अक्सर भ्रष्टाचार एवं अनुचित लाभ प्राप्ति के मामलों को उत्पन्न करती है। पंचम, आयकरदाता नहीं होने की शर्त कई अपेक्षाकृत समृद्ध किसानों को बाहर कर देती है, जिससे सहायता का लक्ष्यहीन अंतरण हो सकता है। तथा, योजना के प्रचार‑प्रसार में उपयोग किए जाने वाले शब्दावली एवं राजभाषी लहजा आम किसान वर्ग के समझ को बाधित करता है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए, यदि वास्तविक कृषि उत्पादकता वृद्धि को प्राप्त करना हो तो नीति निर्माताओं को एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए, अनुसंधान एवं विकास, इन्फ्रास्ट्रक्चर, तथा बाजार तक पहुंच को प्राथमिकता देनी होगी। यह न केवल सतत विकास के सिद्धांत के अनुरूप है, बल्कि किसान आत्मनिर्भरता को सच्चे अर्थ में सशक्त करने की दिशा में एक सार्थक कदम भी होगा। अंततः, जब तक योजना के कार्यान्वयन में सुस्पष्ट मापदण्ड, समयबद्ध जवाबदेही, तथा प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित नहीं होते, तब तक इस प्रकार की वित्तीय हस्तक्षेपों को केवल प्रतीकात्मक मान लेना ही सुरक्षित होगा।

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    Paurush Singh

    जून 12, 2024 AT 03:16

    सच्चाई यह है कि ऐसी रकम से खेती की मूलभूत समस्याएँ हल नहीं होतीं।

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    Sandeep Sharma

    जून 12, 2024 AT 04:40

    भाई लोग, ये 2,000 रुपये की किस्त तो भली है, पर असली चेंज तो तब आएगा जब हम टैक्नोलॉजी और मार्केटिंग में निवेश करें! 🚜💰

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    Mita Thrash

    जून 12, 2024 AT 07:26

    सस्टेनेबिलिटी और रेजिलिएंट एग्रीकल्चर फ्रेमवर्क को देखते हुए, पीएम किसान योजना को एक इको‑सिस्टम इंटीग्रेटेड अप्रोच के साथ पुन:स्थापित किया जाना चाहिए; अर्थात्, फसल विविधीकरण, जल संसाधन प्रबंधन, तथा डिजिटल फ़ार्मिंग टूल्स को समग्र रूप से सम्मिलित करने वाली रणनीति अपनानी चाहिए, जिससे किसान के आय के बैंडविड्थ को स्थायी रूप से विस्तारित किया जा सके।

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    shiv prakash rai

    जून 12, 2024 AT 10:13

    हँसने लायक है कि 2,000 रुपये को लेकर हम सबके अंदर नयी कृषि क्रांति का इमेज बनाते हैं, जैसे ही असली बोरिंग फ़ार्म मैनेजमेंट की बात आती है तो सब खामोश हो जाते हैं।

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