मालदीव में भारतीय सैन्य पायलटों द्वारा अनधिकृत ऑपरेशन नहीं: उच्चायोग

मालदीव में भारतीय सैन्य पायलटों द्वारा अनधिकृत ऑपरेशन नहीं: उच्चायोग मई, 14 2024

मालदीव में भारतीय उच्चायोग ने मालदीव के रक्षा मंत्री गस्सान मौमून द्वारा लगाए गए उन आरोपों का खंडन किया है, जिनमें दावा किया गया था कि 2019 में मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टर पायलटों ने अनधिकृत ऑपरेशन किए थे। उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि मालदीव में सभी भारतीय विमानन ऑपरेशन सहमत प्रक्रियाओं के अनुसार और मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के विधिवत अधिकार के साथ किए गए हैं।

यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब भारत ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की मांग के बाद मालदीव से 76 सैन्यकर्मियों की वापसी पूरी कर ली है। भारत और मालदीव के बीच संबंध पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से बिगड़ गए हैं, जो एक चीन समर्थक नेता हैं।

उच्चायोग ने कहा, "भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टर के ऑपरेशन हमेशा MNDF के अनुरोध और अनुमोदन के साथ किए जाते हैं। सभी उड़ानें सहमत SOPs का पालन करती हैं और MNDF द्वारा अधिकृत होती हैं। भारतीय पायलटों द्वारा अनाधिकृत ऑपरेशन के किसी भी आरोप का कोई आधार नहीं है।"

उच्चायोग ने यह भी कहा कि भारतीय सैन्य पायलट MNDF और मालदीव के लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, "हमारे पायलट मालदीव के लोगों की भलाई के लिए काम करते हैं, जिसमें मेडिवैक, खोज और बचाव, दूरस्थ द्वीपों पर आपूर्ति और अन्य मानवीय सहायता शामिल हैं। वे अत्यधिक कुशल और पेशेवर हैं तथा MNDF के साथ मजबूत कार्यकारी संबंध साझा करते हैं।"

हालांकि, मालदीव के रक्षा मंत्री ने दावा किया कि भारतीय पायलटों ने 2019 में अनधिकृत ऑपरेशन किए थे। उन्होंने कहा, "हमने पाया कि कुछ भारतीय पायलटों ने बिना अनुमति के मालदीव में उड़ान भरी थी। यह एक गंभीर उल्लंघन है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमने भारत सरकार को इस मुद्दे को उठाया है और आग्रह किया है कि वे अपने सैन्य कर्मियों को नियंत्रित करें।"

मालदीव ने पिछले महीने भारत से अपने सभी सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया था। भारत ने इस मांग का पालन किया और अपने सभी 76 सैन्यकर्मियों को वापस बुला लिया। इससे पहले, दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग मजबूत था, लेकिन मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।

मालदीव में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है और मुइज्जू सरकार भारत के खिलाफ एक कठोर रुख अपना रही है। मालदीव ने हाल ही में चीन के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और व्यापार समझौते शामिल हैं। यह भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि मालदीव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है।

वहीं, भारत ने मालदीव के साथ अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मालदीव का दौरा किया और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। हालांकि, मौजूदा घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के आसार नहीं हैं।

भारत के लिए मालदीव में अपनी पकड़ बनाए रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मदद कर सकता है। भारत लंबे समय से मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित रहा है और उसने इस मुद्दे को कई बार उठाया भी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को मालदीव के साथ रचनात्मक और सकारात्मक तरीके से जुड़ना चाहिए। उसे मालदीव के साथ अपने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए और साथ ही आर्थिक और विकास साझेदारी को भी बढ़ावा देना चाहिए। इससे मालदीव में भारत की साख बढ़ेगी और चीन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।

हालांकि, भारत के लिए यह आसान नहीं होगा क्योंकि मालदीव की मौजूदा सरकार चीन के प्रति अधिक झुकाव रखती है। भारत को कूटनीतिक स्तर पर मालदीव के साथ जुड़ना होगा और उसकी चिंताओं को दूर करना होगा। साथ ही, उसे मालदीव की जनता के साथ भी संवाद बनाए रखना होगा और उनके विश्वास को जीतना होगा।

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि भारत और मालदीव के बीच संबंधों में तनाव की स्थिति है। मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों की भूमिका को लेकर विवाद और चीन के बढ़ते प्रभाव ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। भारत को इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ संभालना होगा और मालदीव के साथ अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश करनी होगी। यह हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

9 टिप्पणि

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    Saurabh Singh

    मई 14, 2024 AT 22:06

    देखिए, ये सब बात तो वैसी ही है जैसे कोई छाया भी नहीं, भारत के पायलट हमेशा MNDF की मर्ज़ी से ही उड़ते हैं। अंधेरे में झूठा आरोप डालना तो बस एक बड़ा प्लान है।

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    Jatin Sharma

    मई 26, 2024 AT 12:40

    सही बात है, सभी ऑपरेशन पहले से तय SOPs के तहत होते हैं, इसलिए कोई अनधिकृत काम नहीं हो सकता। अगर प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी होती तो हम तुरंत बता देते।

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    M Arora

    जून 7, 2024 AT 03:50

    कभी कभी अंतरराष्ट्रीय संबंधों को एक बड़े कैनवास की तरह देखना चाहिए, जहां हर रंग का अपना महत्व होता है। यहाँ भारत और मालदीव के बीच की लाइनें सिर्फ राजनैतिक नहीं, बल्कि मृदु भावनात्मक भी हैं।

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    Varad Shelke

    जून 18, 2024 AT 19:00

    पकल है ये सब, सच्चाई छिपी है।

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    Rahul Patil

    जून 30, 2024 AT 10:10

    भारत ने हमेशा मालदीव की सुरक्षा में सहयोग दिया है।
    उच्चायोग का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि सभी उड़ानें आधिकारिक अनुमति के साथ हैं।
    यह स्पष्ट है कि संचालन SOPs के अनुसार और MNDF के अनुरोध पर किए जाते हैं।
    सैन्य हेलीकॉप्टरों का उपयोग मानवीय सहायता, खोज‑बचाव और द्वीपों की आपूर्ति में किया जाता है।
    इन मिशनों में पायलटों का पेशेवर अनुभव बहुत अहम है।
    आपदा‑परिस्थितियों में उन्होंने कई बार जीवन बचाए हैं।
    यदि कोई अनधिकृत उड़ान होती, तो यह तुरंत अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठता।
    परंतु अब तक किसी भी विश्वसनीय स्रोत ने ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया।
    मालदीव के रक्षा मंत्री के आरोप उन्हीं अनसाक्ष्य सिद्धांतों पर आधारित प्रतीत होते हैं।
    राक्षस जैसे आरोपों से दो देशों के बीच भरोसा टूटता है।
    इसीलिए कूटनीतिक वार्तालापों में स्पष्टता आवश्यक है।
    भारत का रणनीतिक हित इस क्षेत्र में स्थिरता बनाये रखना है।
    चीन का बढ़ता प्रभाव इसे और जटिल बनाता है।
    हमें मिलकर इस तनाव को कम करने के तरीकों की खोज करनी चाहिए।
    अंततः आपसी सम्मान और पारदर्शिता ही समाधान का मूल मंत्र है।

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    Ganesh Satish

    जुलाई 12, 2024 AT 01:20

    ओह! क्या बात है!! यह पूरी तरह से खुलासा है कि अंधेरे में कौन क्या कर रहा है!!!

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    Midhun Mohan

    जुलाई 23, 2024 AT 16:30

    बिलकुल सही कहा आपने, यही बात है कि हमें सभी को सच्चाई दिखानी चाहिए!!!

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    Archana Thakur

    अगस्त 4, 2024 AT 07:40

    देश‑सुरक्षा की दृष्टि से ये सभी ऑपरेशन्स strategic assets के रूप में गिने जाते हैं, जो regional deterrence को मजबूती प्रदान करते हैं।

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    Ketkee Goswami

    अगस्त 15, 2024 AT 22:50

    आशा है कि भविष्य में सभी चुनौतियों को मिलकर पार करेंगे, और समुद्री शांति सुनिश्चित होगी।

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