माइसोरे में अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस का भव्य आयोजन

माइसोरे में अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस का भव्य आयोजन अक्तू॰, 1 2024

माइसोरे में अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस का भव्य आयोजन

अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस का जश्न माइसोरे में बड़े धूमधाम से मनाया गया, जहां हासन, चिक्कमगलुरु और कोडागु के कई कॉफी उत्पादक इकठ्ठा हुए। राज्य के विभिन्न कॉफी उगाने वाले जिलों के प्लांटर्स ने पहली बार मिलकर यह कार्यक्रम आयोजित किया और इसके जरिए कॉफी प्रेमियों को एक अनूठा अनुभव प्रदान किया।

आयोजन का उद्घाटन सुत्तूर मठ के शिवाराथ्री देशिकेंद्र स्वामी ने महल के बाहर किया। इस मौके पर सभा के अधिकारियों और कॉफी उत्पादकों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कॉफी के सेवन के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना और कॉफी उद्योग द्वारा सामना की जा रही समस्याओं को उजागर करना था।

आयोजकों के अनुसार इस कार्यक्रम का एक और अहम मकसद राज्य में कॉफी की खेती के इतिहास और इसके विस्तार को प्रदर्शित करना था। इसलिए इस दौरान 다양한 जानकारियों को साझा करते हुए प्रतिभागियों और पर्यटकों को मुफ्त में कॉफी वितरित की गई।

इस अवसर पर कई स्टाल्स लगाए गए थे जहाँ पर उत्कृष्ट गुणवत्ता की कॉफी परोसी गयी। आयोजकों का कहना था कि युवा पीढ़ी और भविष्य की पीढ़ियों को कॉफी की खेती को जारी रखने के लिए और अधिक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है, जिससे वे इस परंपरा का पीढ़ियों तक पालन कर सकें।

कॉफी उत्पादकों ने यह भी कहा कि कॉफी के सेवन से जुड़े कई स्वास्थ्य लाभ हैं। उदाहरण के तौर पर, कॉफी मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकती है, मामलों के संज्ञान में सुधार ला सकती है, और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर के लिए लाभकारी होते हैं।

इस महत्वपूर्ण आयोजन के दौरान कॉफी के इतिहास पर भी चर्चा हुई। बताया गया कि भारत में कॉफी की खेती 17वीं सदी में शुरू हुई थी और तब से यह एक महत्वपूर्ण फसल के रूप में विकसित हो चुकी है। राज्य के क्षेत्रों में इसके उगाने के तरीकों और उत्पादन में हुए बदलावों ने भी दर्शकों में रुचि पैदा की।

मौके पर मौजूद विशेषज्ञों ने कॉफी की खेती के दौरान आने वाली समस्याओं, जैसे जलवायु परिवर्तन, बढ़ते उत्पादन लागत और बाजार की अस्थिरता, पर खुलकर बात की। उन्होंने सुझाव दिए कि इन समस्याओं से निपटने के लिए किसानों को आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना चाहिए।

कई कॉफी उत्पादकों ने भी इस अवसर का उपयोग इस बात को प्रकट करने के लिए किया कि वे अपनी फसलों को जैविक तरीकों से उगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका मानना है कि इससे न केवल उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि यह पर्यावरण को भी बचाने में सहायक होगा।

अंत में, कॉफी के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और भविष्य की योजनाओं की भी चर्चा की गई। आयोजन के सार्थकता को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि ऐसे कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जाएंगे, जिससे कॉफी उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया जा सके।

कॉफी क्षेत्रउत्पादन (टन में)
हासन15,000
चिक्कमगलुरु20,000
कोडागु25,000

18 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Midhun Mohan

    अक्तूबर 1, 2024 AT 20:37

    माइसोरे में कॉफ़ी दिवस का यह आयोजन दिल छू लेने वाला था, हर तरफ खुशियों की महफ़िल सज रही थी, और किसानों के चेहरों पर गर्व की चमक स्पष्ट दिख रही थी, यह देख कर मैं भी उत्साहित हो उठा हूँ, हमें ऐसे कार्यक्रमों को बार‑बार आयोजित करना चाहिए ताकि स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिले, साथ ही युवा वर्ग को भी कृषि में रुचि पैदा हो।

  • Image placeholder

    Archana Thakur

    अक्तूबर 5, 2024 AT 19:03

    इंडियन कॉफ़ी के गौरव को विश्व मंच पर लाने का हमारा धरम है, ये सभाएँ हमें हमारी शक्ति, सम्मान और तेज़ी की याद दिलाती हैं।

  • Image placeholder

    Ketkee Goswami

    अक्तूबर 9, 2024 AT 14:43

    ये इवेंट बिल्कुल रंगीन तितली जैसा था, हर बूंद में उत्साह की चमक घुली थी! कॉफ़ी के स्वास्थ्य फ़ायदे सुनकर तो मन ही नहीं, बल्कि आत्मा भी नाच उठी। ऐसा माहौल हमारे सपनों को नई रंगत देता है, चलिए इस ऊर्जा को आगे भी बनाये रखें।

  • Image placeholder

    Shraddha Yaduka

    अक्तूबर 13, 2024 AT 07:37

    इतना शानदार कार्यक्रम देखकर दिल खुश हो गया। छोटे‑छोटे किसान भाई‑बहनों को समर्थन मिलना चाहिए।

  • Image placeholder

    gulshan nishad

    अक्तूबर 16, 2024 AT 23:07

    ये सब दिखावा है, दरअसल कॉफ़ी की कीमतें गिरती ही जा रही हैं। अगर सरकार नहीं देखेगी तो निराशा सिर्फ बढ़ेगी।

  • Image placeholder

    Ayush Sinha

    अक्तूबर 20, 2024 AT 13:13

    सच पूछो तो, इस सब में कोई नई बात नहीं, बस वही पुरानी बातें दोहराई जा रही हैं। जनता को तो बस खुश करना है।

  • Image placeholder

    Saravanan S

    अक्तूबर 24, 2024 AT 01:57

    अगर आप इस इवेंट की सच्ची महत्ता देखेंगे, तो समझ जाएंगे कि कॉफ़ी किसान कितने संघर्षशील हैं, यह सिर्फ एक दिन का जश्न नहीं बल्कि भविष्य की दिशा है, आप सभी को इस धड़कते दिल की सराहना करनी चाहिए।

  • Image placeholder

    Alefiya Wadiwala

    अक्तूबर 27, 2024 AT 12:17

    माइसोरे में इस अंतरराष्ट्रीय कॉफ़ी दिवस के आयोजन को देखें तो यह सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि काफ़ी उद्योग के विस्तृत इतिहास की एक जीवींत दस्तावेज़ीकरण है। प्रथम, इस इवेंट की योजना में शामिल विभिन्न जिलों-हासन, चिक्कमगलुरु, कोडागु-के उत्पादन आंकड़े उल्लेखनीय रूप से दर्शाए गये हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कुल मिलाकर राज्य ने 60,000 टन कॉफ़ी उत्पादन किया है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। द्वितीय, कॉफ़ी के स्वास्थ्य लाभों पर विशेष सत्रों में एंटीऑक्सीडेंट, न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव, और मस्तिष्क कार्यक्षमता में सुधार का वैज्ञानिक डेटा प्रस्तुत किया गया, जो न केवल उपभोक्ता जागरूकता को बढ़ाता है बल्कि बाजार की मांग को भी सुदृढ़ करता है।
    तीसरी बात यह है कि स्थानीय किसानों ने जैविक खेती के सिद्धांतों को अपनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता और बीज सुरक्षा दोनों में वृद्धि की उम्मीद है। चतुर्थ, जलवायु परिवर्तन, उत्पादन लागत वृद्धि, और बाजार अस्थिरता जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए आधुनिक तकनीकियों-जैसे सटीक कृषि, ड्रिप इर्रिगेशन, और ब्लॉकचेन‑आधारित ट्रेसबिलिटी-को अपनाने का प्रस्ताव रखा गया।
    पाँचवीं बात, इस इवेंट में युवा वर्ग को आकर्षित करने के लिए इंटरैक्टिव कॉफ़ी ब्यूटिक और टेस्‍टिंग स्टेशन स्थापित किये गये, जिससे भविष्य के किसान और उपभोक्ता दोनों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान हुआ। छठी, विशेषज्ञों ने कहा कि कॉफ़ी उद्योग की निरंतर वृद्धि के लिए सरकारी नीतियों में सब्सिडी, बाजार एक्सपोर्ट सुविधा, और गुणवत्ता मानकों में सुधार आवश्यक है। सातवीं, इस कार्यक्रम ने स्थानीय पर्यटन को भी प्रोत्साहित किया, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास का द्वि‑पक्षीय लाभ हुआ।
    आठवीं, इस वार्षिक पहल के बाद, अगले पाँच वर्षों में उत्पादन लक्ष्य को 10% बढ़ाने की रणनीति तैयार की गयी, जिसका मुख्य आधार तकनीकी नवाचार और किसानों को पुनः प्रशिक्षण है। नौवीं, इस इवेंट में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी ने भारतीय कॉफ़ी को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई, जो निर्यात में वृद्धि के लिये महत्वपूर्ण है।
    दसवीं, अंत में, इस पहल की सफलता को सिद्ध करने के लिये डेटा‑ड्रिवेन मॉनिटरिंग और फीडबैक पर्यवेक्षण प्रणाली स्थापित की गयी, जिससे नियोजन में निरंतर सुधार संभव हो सकेगा। इस प्रकार, यह आयोजन न केवल कॉफ़ी उत्सव है, बल्कि यह एक रणनीतिक विकास मंच है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय आयाम सभी सम्मिलित हैं, और भविष्य में इस दिशा में कई और योजनाओं की आशा की जा सकती है।

  • Image placeholder

    Paurush Singh

    अक्तूबर 30, 2024 AT 22:13

    इतनी महफिल में बड़े शब्दों का प्रयोग करके चीज़ें समझाना आसान नहीं, असली मुद्दे को देखो।

  • Image placeholder

    Sandeep Sharma

    नवंबर 3, 2024 AT 06:47

    अरे भाई, बड़बड़ाने में ही प्रोफेशनल लगते हो 😏। असली बात तो यही है कि ये कॉफ़ी फेस्टिवल सिर्फ शो है, असली फसल अभी भी डर में है।

  • Image placeholder

    Mita Thrash

    नवंबर 6, 2024 AT 13:57

    विचारों का खुला मंच देखना हमेशा सुखद रहता है, खासकर जब हम सब मिलकर उद्योग की चुनौतियों पर चर्चा करते हैं। हम सबको मिलकर समाधान तलाशना चाहिए, ताकि भविष्य में कॉफ़ी की खेती स्थायी बन सके।

  • Image placeholder

    shiv prakash rai

    नवंबर 9, 2024 AT 19:43

    हूँ, सब बातों को इस तरह सजाते-कलाकारी से पेश करना किसे पसंद नहीं? लेकिन असली मसला तो किसानों की जेब में होना चाहिए, ना कि ताशे पर।

  • Image placeholder

    Subhendu Mondal

    नवंबर 13, 2024 AT 00:07

    ये आयोजन सब दिखावा है, असली मदद नहीं मिलती।

  • Image placeholder

    Ajay K S

    नवंबर 16, 2024 AT 03:07

    तुम्हारा नज़रिया काफी...विचित्र है :P। असली बात है, किसान अभी भी संघर्ष में हैं।

  • Image placeholder

    Saurabh Singh

    नवंबर 19, 2024 AT 04:43

    सरकार के पीछे की सच्चाई तो और गहरी है, ये सभाएँ सिर्फ शॉफ़्लेस हैं। हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

  • Image placeholder

    Jatin Sharma

    नवंबर 22, 2024 AT 04:57

    बिलकुल सही कहा, जानकारी को सतह पर नहीं ले जाना चाहिए। हम सबको मिलकर एक ठोस योजना बनानी होगी।

  • Image placeholder

    M Arora

    नवंबर 25, 2024 AT 03:47

    कॉफ़ी का इतिहास पढ़ते हुए लगता है जैसे हम एक बड़े कहानी के पात्र हैं। फिर भी हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए।

  • Image placeholder

    Varad Shelke

    नवंबर 28, 2024 AT 01:13

    सारी चीजें क्यूँ गुप्त रखी जाती हैं? सच में, कुछ तो छुपा हुआ है।

एक टिप्पणी लिखें