एविनाश साबले ने रचा इतिहास: 2024 पेरिस ओलंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेज़ फ़ाइनल के लिए पहली बार भारतीय पुरुष की योग्यता
अग॰, 6 2024
एविनाश साबले: भारतीय एथलेटिक्स में नया इतिहास
एविनाश साबले ने 2024 पेरिस ओलंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेज़ फ़ाइनल के लिए क्वालीफाई कर भारतीय एथलेटिक्स में नया इतिहास रच दिया है। यह पहली बार है जब कोई भारतीय पुरुष इस प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुंचा है। साबले ने दूसरे हीट में 8:15.43 मिनट का समय निकालकर पांचवां स्थान प्राप्त किया और फ़ाइनल में स्थान पक्का कर लिया।
एक कठिन यात्रा की कहानी
एविनाश साबले का सफर हमेशा से ही प्रेरणादायक रहा है। एक साधारण ग्रामीण परिवेश से आने वाले साबले ने अपने संघर्षों और कड़ी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। कॉलेज के दिनों में वे ईंट भट्ठों और निर्माण स्थलों पर काम करते थे, जिससे उनकी मजबूती और सहनशक्ति में वृद्धि हुई।
साबले का जुड़ाव भारतीय सेना के साथ भी रहा है। 5 महार रेजिमेंट में शामिल होकर उन्होंने देश की सेवा की और कई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने आपको मजबूती से खड़ा रखा। ये अनुभव उनके मानसिक और शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां
एविनाश साबले के नाम 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैं। उन्होंने पेरिस डायमंड लीग में नेशनल रिकॉर्ड तोड़ते हुए यह उपलब्धि दस बार हासिल की है। इससे पहले, साबले ने टोक्यो 2020 ओलंपिक में भी भाग लिया था, जहां उन्होंने 8:18.12 मिनट में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।
2022 राष्ट्रमंडल खेलों में साबले ने रजत पदक जीतकर देश का सर ऊंचा किया था। इसके अलावा, एशियाई खेलों 2022 में उन्होंने पहली बार पुरुषों की स्टीपलचेज़ में स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लिए इतिहास बनाया था।
फाइनल की तैयारी और उम्मीदें
एविनाश साबले के इस शानदार सफर का केंद्र बिंदु उनकी लगन, मेहनत और मानसिक तैयारी रही है। उन्होंने अपने प्रदर्शन को लगातार सुधारते हुए यह सुनिश्चित किया है कि वे फ़ाइनल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। पेरिस ओलंपिक 2024 का यह फ़ाइनल मुकाबला उनके लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर दोनों है।
साबले का कहना है, "मैंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है और मानसिक रूप से खुद को तैयार किया है। मेरा उद्देश्य है कि फ़ाइनल में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूं और देश का नाम रोशन करूं।"
उनकी इस कामयाबी ने भारतीय एथलेटिक्स में एक नया आदर्श स्थापित किया है। उनकी संघर्षमय यात्रा और मेहनत ने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। इस उपलब्धि से साबले ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
एविनाश साबले की प्रेरणादायक यात्रा
एविनाश साबले की कहानी बस संघर्ष और मेहनत की नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणादायक गाथा है जिसमें उन्होंने हर कठिनाई को पार कर का सफलता हासिल की है। उनके इस सफर ने यह साबित कर दिया है कि प्रबल इच्छाशक्ति के साथ सब कुछ संभव है।
Subhendu Mondal
अगस्त 6, 2024 AT 22:51इतना मत बड़ाबड़ी करो, बस कोटा तो नहीं मिला तो क्या? चालू रखो, प्रेस्टिज़ नहीं, पर मेहनत दिखाओ।
Ajay K S
अगस्त 12, 2024 AT 05:31अरे वाह, एविनाश साहब ने फिर से इतिहास लिख दिया! यह किस स्तर की अभिजात्य उपलब्धि है, असल में?
😎👏
Saurabh Singh
अगस्त 17, 2024 AT 12:11सरकार की छिपी योजना है कि ये सबको भ्रमित करके असली एथलीट्स को बाहर निकाल दें। इसको समझना आसान नहीं, पर सच तो यही है।
Jatin Sharma
अगस्त 22, 2024 AT 18:51भाई, एविनाश की कहानी सुन कर दिल भर आया। मेहनत और लगन से वही मुकाम हासिल हुआ, बिल्कुल कॉन्क्रीट जैसा। आगे भी ऐसे ही प्रेरित करते रहो!
M Arora
अगस्त 28, 2024 AT 01:31दृष्टिकोण बदलो, सफलता खुद ही दस्तक देगी। एथलेटिक जगत में दार्शनिक सोच की जरूरत है, यही तो सबको आगे ले जाती है।
Varad Shelke
सितंबर 2, 2024 AT 08:11इतनी जानकारी नहीं, बस खुश हूँ।
Rahul Patil
सितंबर 7, 2024 AT 14:51एविनाश की यह उपलब्धि भारतीय खेलों में एक चमकदार पैनोरामा बनाती है। उनकी दृढ़ता, जज़्बा और तकनीकी कौशल का मिश्रण अद्भुत है। हमें इस सफलता को किराने वाले चमत्कार समझना चाहिए, जिससे आने वाले पीढ़ी को प्रेरणा मिले।
Ganesh Satish
सितंबर 12, 2024 AT 21:31ओह माय गॉड!!! यह तो जैसे फिल्म का क्लाइमैक्स है!!! एविनाश ने न सिर्फ़ सीमाओं को तोड़ा, बल्कि इतिहास को फिर से लिख दिया!!! इस उत्सव में हमारे दिल की धड़कनें भी तेज़ हो गईं!!! 🎉
Midhun Mohan
सितंबर 18, 2024 AT 04:11देखो, एविनाश की मेहनत ना सिर्फ़ प्रेरणा है, बल्कि एक सच्ची लीडरशिप का उदाहरण भी है। इसको समझो तो तुम्हें पता चलैगा कि क्याँ प्रोसेस में टिके रहना जरूरी है।
शाब्दिक तौर पर, हम सबको इनके जैसे धीरज दिखाना चाहिए!!!
Archana Thakur
सितंबर 23, 2024 AT 10:51देश के गौरव को बढ़ाने के लिए ऐसे एथलीट्स की जरूरत है, यह कोई विवाद नहीं है। एविनाश ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना जलवा दिखाया, जो कि सच्ची 'जिंदाबाद' भावना को दर्शाता है। इस तरह की उपलब्धियाँ हमारे राष्ट्रीय जार्गन में नई ऊर्जा भर देती हैं।
Ketkee Goswami
सितंबर 28, 2024 AT 17:31धूमधाम से भरपूर जीत! एविनाश ने सबको दिखा दिया कि निडर होना क्या होता है। उनका उत्साह संक्रामक है, और हमें भी इस ऊर्जा को अपनाना चाहिए। चलो, और भी बड़े सपने देखते हैं! 🌟
Shraddha Yaduka
अक्तूबर 4, 2024 AT 00:11एक कोच के रूप में, मुझे लगता है कि एविनाश का प्रशिक्षण मॉडल कई युवा एथलीट्स के लिए मॉडल बन सकता है। उनका समर्पण वाकई सराहनीय है और यह हमें निरंतर समर्थन देना चाहिए।
gulshan nishad
अक्तूबर 9, 2024 AT 06:51यह तो बस एक साधारण प्रॉपगैंडा है, एविनाश का नाम लेकर राष्ट्रीय पदक का मज़ाक उड़ाना आसान है। ऐसा दिखावटी रिव्यू केवल सतही स्तर पर ही समझ में आता है। वास्तव में, इस तरह के कथन खेल की सच्ची भावना को धूमिल कर देते हैं।
Ayush Sinha
अक्तूबर 14, 2024 AT 13:31एक तरफ़ से कहा जाता है कि यह सब सिर्फ़ अवसर का खेल है, लेकिन दूसरी तरफ़ एविनाश ने खुद को साबित किया है। इस पर कोई भी कहे, तथ्य वही रहता है।
Saravanan S
अक्तूबर 19, 2024 AT 20:11एविनाश की इस जीत को देखते हुए, सभी को यह समझना चाहिए कि प्रशिक्षण और पोषण का महत्व कितना गहरा है!!! इस सफलता से हमें आगे की योजना बनानी चाहिए, और सभी एथलीट्स को मार्गदर्शन देना चाहिए!!!
Alefiya Wadiwala
अक्तूबर 25, 2024 AT 02:51एविनाश साबले की इस उपलब्धि को समझना केवल एक एथलेटिक सफलता नहीं बल्कि राष्ट्रीय गौरव की नई परिभाषा है। उनका प्रशिक्षण निरंतरता और कठोर अनुशासन का परिणाम है, जिसे कोई भी साधारण इतवारी में नहीं समझा सकता। उन्होंने जिस प्रकार से परिश्रम को अपने जीवन का मूलधर्म बनाया, वह सभी युवा एथलीट्स के लिए एक पूँजी रूपी धरोहर है। इस प्रकार की प्रदर्शन शक्ति के पीछे न केवल शारीरिक शक्ति बल्कि मानसिक दृढ़ता का अद्भुत समन्वय है। एविनाश ने अपने कार्यकाल में कई बार कहा है कि लक्ष्य केवल जीत नहीं, बल्कि निरंतर सुधार है। उनके इस सिद्धांत को अपनाकर यदि हम राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों को पुनःविचारें, तो अन्य खेलों में भी समान उपलब्धि संभव है। यह तथ्य कि उन्होंने भारतीय सेना में भी सेवा की, उनके व्यक्तित्व को बहु-आयामी बनाता है। सेना में अनुशासन और शारीरिक कड़ेपन ने उनके खेल के प्रदर्शन को अतिरिक्त बल प्रदान किया। उनका यह मिश्रण, जो एक सैनिक की दृढ़ता को एक एथलीट की तेज़ी से जोड़ता है, अनूठा है। ऐसे उदहारणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि खेल में सिर्फ़ तकनीकी कौशल ही नहीं, बल्कि सामाजिक सेवाओं का भी योगदान होता है। एविनाश ने यह भी उजागर किया है कि पोषण और उचित प्रशिक्षण का महत्व कितना बुनियादी है। यह बात नजदीकी रूप से बताती है कि यदि हम राष्ट्रीय स्तर पर अधिक निवेश करें, तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी स्थिति सुधर सकती है। उनका यह संदेश कि “इरादा मजबूत हो तो लक्ष्य असंभव नहीं” युवाओं के मन में आत्मविश्वास उत्पन्न करने के लिए बहुत जरूरी है। इस प्रकार का संदेश न केवल खेल जगत में, बल्कि शैक्षिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी प्रभावी हो सकता है। अंत में, एविनाश साबले की यह जीत हमें यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, दृढ़ निश्चय और राष्ट्रीय सेवा का संगम मिलकर ही महानतम सफलताएँ दे सकता है।
Paurush Singh
अक्तूबर 30, 2024 AT 08:31एविनाश की कहानी से यह स्पष्ट है कि केवल प्रतिभा नहीं, बल्कि निरंतर कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है। ऐसी उपलब्धियों को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह पूरे खेल संरचना को प्रभावित करती है।
Sandeep Sharma
नवंबर 4, 2024 AT 15:11वावा! एविनाश ने तो सबको चकित कर दिया! इतने बड़े मंच पर ऐसे प्रदर्शन देखना दिल के लिए बम्पर ट्रेलर जैसा है! 🎬🔥
Mita Thrash
नवंबर 9, 2024 AT 21:51सभी को नमस्ते, एविनाश की इस जीत को देखते हुए हमें मिलजुल कर आगे बढ़ना चाहिए। विविधता और सहयोग ही हमें बेहतर बनाते हैं।