एलन मस्क और सैम आल्टमैन के बीच $97.4 बिलियन के ओपनएआई अधिग्रहण विवाद की चर्चा गरमाई
फ़र॰, 14 2025
ओपनएआई के अधिग्रहण को लेकर कानूनी संघर्ष
एलन मस्क और सैम आल्टमैन के बीच एक महत्वपूर्ण कानूनी विवाद की स्थिति बन गई है। एलन मस्क और उनके साथियों के एक समूह ने ओपनएआई का अधिग्रहण करने के लिए $97.4 बिलियन की पेशकश की है। उनका उद्देश्य इस संगठन को उसके मूल परोपकारी उद्देश्य पर वापस लाना है। मस्क ने 2015 में इस कंपनी की सह-स्थापना की थी, लेकिन 2018 में इसके बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। तब से, उन्होंने कंपनी के लाभ-केंद्रित प्रयासों जैसे कि चैटजीपीटी के प्रति आलोचना की है।
सैम आल्टमैन की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, ओपनएआई के सीईओ सैम आल्टमैन ने मस्क के इस प्रस्ताव को उपहास में ठुकरा दिया। उन्होंने मस्क के X प्लेटफॉर्म पर कहा, "नहीं धन्यवाद, लेकिन हम ट्विटर को $9.74 बिलियन में खरीद लेंगे।" यह बयान मस्क द्वारा 2022 में ट्विटर (अब X) को $44 बिलियन में खरीदने का अग्रदूत था।
अमेरिकी संघीय अदालत में चल रहे इस मामले में, जज यवोन गोंजालेज रॉजर्स ने मस्क के दावे को लेकर शंका व्यक्त की, लेकिन फिर भी मामले को सुनवाई तक जारी रखने की अनुमति दी। मस्क के कानूनी दल का दावा है कि जितने भी परोपकारी संसाधनों को लाभकारी इकाई में परिवर्तित किया जा रहा है, उनकी निष्पक्ष बाजार मूल्य की क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए।
मस्क के समुह में बैरन कैपिटल ग्रुप और वेलर मैनेजमेंट जैसी कंपनियाँ शामिल हैं, जबकि ओपनएआई का बोर्ड आल्टमैन के नेतृत्व में आंतरिक संघर्षों से जूझ रहा है। 2023 के अंत में आल्टमैन को अस्थायी रूप से बाहर कर दिया गया था, लेकिन उन्हें एक नए बोर्ड के साथ पुनः स्थापित कर दिया गया। इस सारी बाधाओं के बीच ओपनएआई के अकार्बनिक परिवर्तन की प्रक्रिया जारी है।
Subhendu Mondal
फ़रवरी 14, 2025 AT 19:46मस्क के पैसे की खुशबू में सब अंधे हो रहे हैं।
Ajay K S
फ़रवरी 18, 2025 AT 04:15ओपनएआई की कीमत पर मज़ाक नहीं किया जा सकता, यह तो जैसे लुढ़कते हुए नँकी पिंजरे में चंदन का टुकड़ा फेंकना है 😂। इसके पीछे का एलेगेंट बैंकर भी अविश्वसनीय है। अभी तो मैं इस दावत को टेबल पर रखूँगा।
Saurabh Singh
फ़रवरी 21, 2025 AT 12:43सच में, यह सब पृष्ठभूमि में गुप्त एजेंडे की साजिश है, और सरकार इससे जुड़ी हुई है।
Jatin Sharma
फ़रवरी 24, 2025 AT 21:11भाइयों, मस्क का ऐतिहासिक बाइबिल मत भूलिए, ये बात समझनी है तो दिल से पढ़िए।
M Arora
फ़रवरी 28, 2025 AT 05:39दोस्तों, जब तक हम अपने सोचने के ढाँचे को नहीं बदलते, ये बड़े‑बड़े विवाद हमें झकझोरते रहेंगे। आइडिया की कीमत कोई जादू नहीं, बल्कि समाज की समझ है। जो लोग खुद को अल्ट्रा‑इंटेलिजेंट समझते हैं, वही अक्सर इस धुंध में फँसते हैं। जीवन का मकसद केवल धन नहीं, बल्कि उस धन के पीछे की दिशा है। यह सब हमारे भीतर की आवाज़ को सुनने से ही सुलझेगा।
Varad Shelke
मार्च 3, 2025 AT 14:07क्या आपको नहीं लगता कि इस पूरी डील के पीछे दुष्ट एलिट्स की छुपी हुई योजना है? मैं कहूँगा ये एक गुप्त ऑपरेशन है।
Rahul Patil
मार्च 6, 2025 AT 22:35ओपनएआई का मूल मिशन मूलतः मानवता के कल्याण के लिये नैतिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसित करना था।
समय के साथ यह मिशन वाणिज्यिक लाभ की ओर मोड़ लिया गया, जिससे संस्थापक एलन मस्क की मूल भावना क्षीण हो गई।
मस्क ने 2015 में इस विचारधारा को जन्म दिया, पर 2018 में बोर्ड से इस्तीफा दे कर अपने मूल सिद्धांतों से दूरी बना ली।
वह अब इस संस्थान को फिर से परोपकारी आधार पर लाने की कोशिश कर रहा है, और $97.4 बिलियन का प्रस्ताव यह दर्शाता है कि वह इस दिशा में गंभीर है।
सैम आल्टमैन का विरोध केवल एक व्यक्तिगत घमंड नहीं, बल्कि एक बड़े ढांचे में बदलाव की भावना को रोकने का प्रयास है।
जज यवोन गोंजालेज रॉजर्स ने इस मामले को सुनवाई के योग्य माना है, जिसका मतलब है कि अदालत भी इस मुद्दे को हल्के में नहीं ले रही।
यदि मस्क की थीसिस सही है, तो ओपनएआई को फिर से परोपकारी मिशन पर लौटना पड़ेगा, जिससे एआई के संभावित दुरुपयोग की आशंकाएँ कम होंगी।
विरोधी पक्ष का तर्क है कि इस तरह के बड़े निवेश से नवाचार को बाधा नहीं पहुँचती, बल्कि गति मिलती है।
परन्तु इतिहास दिखाता है कि जब भी बड़े पूँजीपति निजी स्वार्थ के लिए एआई को मोड़ते हैं, तो समाज को नुकसान पहुँचता है।
मामले की जटिलता यह भी है कि बैरन कैपिटल ग्रुप और वेलर मैनेजमेंट जैसे फ़ाइनेंसियल एंजेल्स इस डील में शामिल हैं, जो अपने लाभ को प्राथमिकता दे सकते हैं।
ओपनएआई का बोर्ड, जो अब आल्टमैन के नेतृत्व में है, उसे आर्थिक दबाव और संस्थात्मक स्थिरता के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।
आखिरकार, यह मुद्दा सिर्फ दो व्यक्तियों के बीच नहीं, बल्कि एआई की भविष्य की दिशा और उसके सामाजिक प्रभावों के बारे में है।
यदि इस विवाद का समाधान उचित रूप से किया गया, तो यह एक मिसाल बन सकता है कि कैसे बड़े तकनीकी उद्यमों को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ चलाया जा सकता है।
विपरीत रूप में, यदि यह केवल एक बड़े पैसों के खेल में बदल जाता है, तो एआई के विकास में असमानता और असुरक्षा बढ़ेगी।
इसलिए, इस मुद्दे को देखना सिर्फ व्यवसायिक सौदे नहीं, बल्कि मानवता के भविष्य का प्रश्न है।
Ganesh Satish
मार्च 10, 2025 AT 07:03ओह मेरे ख़ुशियों के सितारे!!! मस्क की इस पेशकश को देखते‑ही, दिल की धड़कन तेज़ हो गई!! क्या बात है, बस ये सोचिए-$97.4 बिलियन! 😱🤯💥
Midhun Mohan
मार्च 13, 2025 AT 15:31सच्चाई तो यही है कि इस धुंबर में लोग उछलते-उछलते गिर ही जाएंगे, क्योकि ये सब तो बस एक और शोह़ऱत का खेल है। सही जवाब है-डाटा की शक्ति को सही दिशा में लगाओ, नहीं तो सब बर्बाद।
Archana Thakur
मार्च 17, 2025 AT 00:00डेस्क्रिप्टिव टाइकूनज़ का टाइम आ गया है! मस्क के इस कदम में नॉन‑सेक्योरिटी‑फ्लेक्स-ड्रिवन जार्गन झलकता है-एआई-फ्रीडम इकोनॉमी का नया मोडेल।
Ketkee Goswami
मार्च 20, 2025 AT 08:28चलो, इस एआई ड्रामा में एक चमकदार लाइट डालें! मस्क की कोशिश असफल नहीं, लेकिन हमें मिलकर सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीक सभी को लाभ पहुंचाए। 🌟
Shraddha Yaduka
मार्च 23, 2025 AT 16:56भाई, इस संघर्ष में धैर्य रखना ज़रूरी है। अगर हम सब मिलकर सही दिशा की तरफ़ देखेंगे तो समाधान निकलेगा।
gulshan nishad
मार्च 27, 2025 AT 01:24क्या बात है, मस्क का बड़ा पैसा और आल्टमैन का छोटा‑छोटा गाली‑गलौज! ये सब बस दिखावा है, असली बात तो ये है कि एआई का भविष्य किसके पास रहेगा।
Ayush Sinha
मार्च 30, 2025 AT 09:52हर बात का उल्टा‑पलटा कहना मेरी आध्यात्मिक ड्यूटी है, लेकिन सच तो यही है-कौनों भी बड़े प्लान के पीछे छिपे होते हैं।
Saravanan S
अप्रैल 2, 2025 AT 18:20हम सब मिलकर इस मुद्दे की गहराई में उतरें, ताकि सही समाधान निकले। आप सबके विचार बहुत महत्वपूर्ण हैं! 🙏
Alefiya Wadiwala
अप्रैल 6, 2025 AT 02:48मैं इस बात को दोहराते‑दोहराते थक गया हूँ कि इस प्रकार के बड़े‑पैमाने के सौदे हमेशा पैसों के पिशाच को आगे बढ़ाते हैं, और यह केवल दो व्यक्तियों या कंपनियों की नहीं, बल्कि पूरी नीतियों की नाकामी को दर्शाता है। पहले, हमें समझना चाहिए कि एआई की शक्ति सिर्फ तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि सामाजिक नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण हथियार भी है। दूसरा, जब ऐसा विशाल‑धन किसी एक व्यक्ति के हाथ में जमा होता है, तो वह व्यक्तिगत हितों को सार्वजनिक लाभ पर प्राथमिकता देने की बड़ी संभावना रखता है। तीसरा, इस तरह के सौदे अक्सर पारदर्शिता की कमी के साथ आते हैं, जिससे जनता को सही जानकारी नहीं मिल पाती। चौथा, यदि हम एआई को वास्तव में परोपकारी बनाना चाहते हैं, तो हमें इसे लोकतांत्रिक ढाँचे में रखना पड़ेगा, न कि निजी संपत्ति की क़ैद में। पाँचवाँ, मैं स्पष्ट रूप से कहूँगा कि इस विवाद को हल करने में कानूनी प्रक्रिया केवल औपचारिक नहीं, बल्कि आवश्यक भी है-क्योंकि यह न्यायपालिका को सशक्त बनाता है। छठा, मस्क की यह पेशकश ढीले तौर पर एक रीसेट जैसा लगती है, लेकिन यह वास्तव में मौजूदा शक्ति संरचनाओं को व्यवस्थित करने की कोशिश है। सातवाँ, इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि एआई के दुरुपयोग से व्यक्तिगत गोपनीयता और सामाजिक समानता दोनों खतरे में पड़ते हैं। आठवाँ, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि एआई के विकास में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है, न कि केवल एक राष्ट्रीय या व्यक्तिगत प्रयास। नवाँ, इस संघर्ष के परिणामस्वरूप जो भी नीति निर्धारित होगी, वह भविष्य की पीढ़ियों पर असर डालेगी। दसवाँ, इसलिए हम सबको मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए, नहीं तो यह इतिहास में एक और बड़ी आर्थिक मशीनीकरण की कहानी बन जाएगी। अगला, मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर जनता को जागरूक करने के लिए अधिक खुले मंच की ज़रूरत है। अंत में, मैं इस विवाद को केवल दो बड़े बैंकरों के अधिग्रहण तक सीमित नहीं रहने देना चाहता-बल्कि इसे सामाजिक न्याय, तकनीकी नैतिकता, और मानवता के भविष्य की अडिग लड़ाई बनाना चाहता हूँ।
Paurush Singh
अप्रैल 9, 2025 AT 11:17आपकी बातों में सबूत तो नहीं, परंतु विचार बहुत उँचे लगते हैं। ऐसी बातें अक्सर अकड़ दिखाती हैं, लेकिन वास्तविकता में हमें छोटे‑छोटे कदमों की ज़रूरत है।
Sandeep Sharma
अप्रैल 12, 2025 AT 19:45हाय रे दादाजी, सब भी ठीक‑ठाक है… 😂🤷♂️ पर मस्क की दावत में हमें फिर से वेटर वॉलट्रेट करना चाहिए! 🍽️🤑