Chiranjeevi को UK Parliament में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड: ब्रिज इंडिया ने दिया सम्मान, हाउस ऑफ कॉमंस बना गवाह

UK Parliament में लाइफटाइम अचीवमेंट: हाउस ऑफ कॉमंस में सम्मान
लंदन के हाउस ऑफ कॉमंस के ऐतिहासिक कक्ष में 19 मार्च 2025 की शाम, तेलुगु सिनेमा के मेगास्टार को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला—और यह किसी सरकारी ऑनर सूची का हिस्सा नहीं, बल्कि पब्लिक पॉलिसी पर काम करने वाले थिंक टैंक ब्रिज इंडिया की तरफ से दिया गया एक विशेष सम्मान था। इस समारोह ने एक नई मिसाल कायम की: भारतीय फिल्म जगत से पहली बार किसी सेलेब्रिटी को ऐसे मंच पर लाइफटाइम अचीवमेंट से नवाज़ा गया।
कार्यक्रम की मेज़बानी ब्रिटिश-भारतीय सांसद नवेंदु मिश्रा ने की। सोज़न जोसेफ और बॉब ब्लैकमैन सहित सांसद, मंत्री, राजनयिक और भारतीय समुदाय के प्रमुख नेता मौजूद थे। मंच से कहा गया कि चार दशकों की सिनेमाई विरासत, सांस्कृतिक प्रभाव और निरंतर मानवसेवा को देखते हुए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है। प्रवासी भारतीय समुदाय की बड़ी उपस्थिति और तालियों की गूंज ने माहौल को खास बना दिया।
यहां एक अहम बात साफ हो गई—समारोह हाउस ऑफ कॉमंस में हुआ, लेकिन सम्मान ब्रिज इंडिया संगठन ने दिया। यानी यह यूके सरकार का आधिकारिक सम्मान (जैसे OBE, MBE या किंग्स ऑनर्स) नहीं है। लंदन में अक्सर सिविक और सामुदायिक कार्यक्रम संसद भवन के कक्षों में आयोजित होते हैं; जगह की प्रतिष्ठा कार्यक्रम को प्रतीकात्मक वजन देती है, पर पुरस्कार का संस्थागत स्रोत वही रहता है जिसने उसे घोषित किया हो।
सोशल मीडिया पर कुछ पोस्टों ने इसे “यूके सरकार का लाइफटाइम अवॉर्ड” बताकर भ्रम फैलाया। आयोजकों ने स्पष्ट किया कि समारोह का स्थल हाउस ऑफ कॉमंस था और पुरस्कार ब्रिज इंडिया का था। फिर भी, इतनी प्रतिष्ठित जगह पर मिल रहा सम्मान भारतीय सिनेमा की वैश्विक पहचान का संकेत माना गया।
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और अभिनेता-नेता पवन कल्याण ने बड़े भाई के लिए भावुक संदेश लिखा। उनका कहना था कि जब वे अपने जीवन को लेकर उलझन में थे, बड़े भाई ने रास्ता दिखाया—“मेरे जीवन के असली हीरो मेरे बड़े भाई हैं।” परिवार और प्रशंसकों के लिए यह पल गर्व और कृतज्ञता दोनों लेकर आया।
समारोह के दौरान सिनेमा के बाहर की कहानियां भी दोहराई गईं—रक्तदान, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और संकट के समय मदद। यही वजह है कि यह सम्मान सिर्फ एक स्टारडम का उत्सव नहीं, एक सार्वजनिक जीवन की मान्यता भी बनकर उभरा।
चार दशक की विरासत: सिनेमा, समाज और पहचान
150 से ज्यादा फिल्मों में विविध भूमिकाओं के साथ चिरंजीवी ने दक्षिण भारतीय सिनेमा के ‘मास’ आकर्षण को नई दिशा दी। ‘रुद्रवीणा’ जैसी संवेदनशील फिल्मों से लेकर ‘खैदी’ और ‘इंद्रा’ जैसे बड़े पैमाने की एंटरटेनर्स तक, उनकी रेंज ने दर्शकों की पीढ़ियों को जोड़े रखा। नृत्य की शैली, स्क्रीन प्रेज़ेंस और कमर्शियल नैरेटिव पर उनकी पकड़ लंबे समय तक ट्रेंड सेट करती रही।
सिनेमा से परे, उनकी पहचान का बड़ा हिस्सा समाजसेवा से आता है। चिरंजीवी चैरिटेबल ट्रस्ट (CCT) के माध्यम से रक्तदान अभियानों, नेत्रदान और जरूरतमंदों के लिए मुफ्त/रियायती चिकित्सा सहायता पर लगातार काम होता रहा है। कोविड-19 के दौर में चिकित्सा सहायता, आपूर्ति और सहायता नेटवर्क खड़े करने में ट्रस्ट की भूमिका चर्चा में रही। ग्रामीण और वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा को लेकर सहायता कार्यक्रम उनकी प्राथमिकताओं में रहे हैं।
पिछले साल 2024 में उन्हें पद्म विभूषण मिला—यह केंद्र सरकार का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। साथ ही उन्हें एएनआर नेशनल अवॉर्ड और साउथ के कई मंचों पर बार-बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का खिताब मिल चुका है। उनके नाम पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे बहुमुखी अभिनेता-डांसर के तौर पर दर्ज उपलब्धि भी जुड़ी। करियर में 9 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स (साउथ) और 3 नंदी अवॉर्ड्स ने उनकी परफॉर्मेंस की निरंतरता की पुष्टि की है।
अगर उनके सिनेमाई सफर की धुरी देखें, तो सामाजिक मुद्दों के साथ मनोरंजन का संतुलन साफ नज़र आता है। ‘रुद्रवीणा’ में तंत्र और समाज की टकराहट पर संवेदनशील कथा, ‘इंद्रा’ में सामुदायिक राजनीति और आंचलिक न्याय की चर्चा, ‘खैदी’ में आम आदमी के प्रतिरोध की लोकप्रिय गाथा—इन फिल्मों ने अलग-अलग समय पर मुख्यधारा की भाषा में प्रासंगिक सवाल उठाए।
ब्रिज इंडिया, जो लंदन में स्थित एक प्रोग्रेसिव थिंक टैंक है, भारत और यूके के बीच नीतिगत संवाद को बढ़ाने पर काम करता है। प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ यह समूह अक्सर नीतियों, शिक्षा, उद्यमिता और संस्कृति के इंटरसेक्शन पर कार्यक्रम करता रहा है। उसी क्रम में, हाउस ऑफ कॉमंस जैसे प्रतिष्ठित स्थल पर यह सम्मान समारोह आयोजित हुआ, ताकि मंच वही हो जहां नीति और लोकतंत्र की आवाज़ें सुनी जाती हैं।
सवाल उठता है—क्या ऐसे कार्यक्रम सॉफ्ट पावर को आगे बढ़ाते हैं? जवाब साफ है। जब किसी कलाकार को संसद भवन जैसे संस्थान में मान्यता मिलती है, तो वह न सिर्फ स्टार की निजी उपलब्धि रहती है, बल्कि भारतीय सिनेमा की वैश्विक हैसियत का भी संकेत बनती है। ब्रिटेन में भारतीय मूल के सांसदों और समुदाय की बढ़ती भागीदारी इस सांस्कृतिक पुल को और मजबूत करती है।
पारिवारिक मोर्चे पर, पवन कल्याण का सार्वजनिक संदेश बताता है कि यह उपलब्धि निजी है लेकिन असर सार्वजनिक। प्रशंसक समूहों ने दिन भर पोस्टर, वीडियो और री-एडिटेड क्लिप्स के साथ जश्न मनाया। तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के कारीगरों—लेखक, तकनीशियन और डांस क्रिएटर्स—में भी यह चर्चा रही कि मेनस्ट्रीम स्टारडम के साथ सामाजिक सरोकार कितने दूर तक जा सकता है।
करियर के इस मोड़ पर यह सम्मान एक संकेत भी है—फिल्मी पहचान और सार्वजनिक सेवा, दोनों पटरियों पर साथ चलना अब भारतीय कलाकारों के लिए नया मानक बनता जा रहा है। भारतीय सिनेमा आज सिर्फ बॉक्स ऑफिस आंकड़ों से नहीं, अपने सामुदायिक असर और सांस्कृतिक उपस्थिति से भी मापा जा रहा है।
इस सबके केंद्र में एक नाम है—Chiranjeevi—जो चार दशकों से बड़े पर्दे पर लोकप्रियता और जिम्मेदारी, दोनों को साथ लेकर चलता आया है। हाउस ऑफ कॉमंस की सीढ़ियों पर मिला यह सम्मान उसी सतत यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव बन गया है।
समारोह के बाद, इंडस्ट्री वॉचर्स ने इसे 2024 के पद्म विभूषण, एएनआर नेशनल अवॉर्ड और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिली प्रशंसाओं की स्वाभाविक कड़ी बताया। फिलहाल, स्टार के अगले प्रोजेक्ट्स को लेकर फैंस का उत्साह बना हुआ है—लेकिन इस रात का फोकस उपलब्धि पर रहा: चार दशक की कमाई हुई प्रतिष्ठा और समाज में छोड़ा गया विश्वसनीय असर।
- समारोह: 19 मार्च 2025, हाउस ऑफ कॉमंस (लंदन)
- आयोजक: ब्रिज इंडिया (यूके-आधारित थिंक टैंक)
- उपस्थिति: सांसद नवेंदु मिश्रा, सोज़न जोसेफ, बॉब ब्लैकमैन सहित कई गणमान्य
- मुख्य आधार: सिनेमा में चार दशक का योगदान, सांस्कृतिक प्रभाव, मानवसेवा
- स्पष्टता: यह यूके सरकार का आधिकारिक सम्मान नहीं, स्थल हाउस ऑफ कॉमंस था
अंततः, यह पल भारतीय सिनेमा के लिए एक यादगार तस्वीर बन गया—जहां कला, समाज और प्रवासी भारतीय समुदाय की साझी कहानी ब्रिटिश संसद की ऊंची दीवारों के बीच दर्ज हुई।