अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल लौटे: अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त
जून, 2 2024
अरविंद केजरीवाल का तिहाड़ जेल में समर्पण
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2 जून को तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया। यह कदम उनकी अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त हो जाने के बाद उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें 10 मई को लोकसभा चुनाव प्रचार हेतु अंतरिम जमानत दी गई थी। इस दौरान, केजरीवाल ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना की और आम आदमी पार्टी मुख्यालय में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
धार्मिक स्थलों पर श्रद्धांजलि
तिहाड़ जेल जाने से पहले अरविंद केजरीवाल ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह उनका भावुक संदेश था कि वह सत्य और अहिंसा के पथ पर चलते हैं। उन्होंने हनुमान मंदिर का भी दौरा किया, जहां उन्होंने भगवान हनुमान की आराधना की। यह उनकी धार्मिकता और आस्था का प्रतीक था।
पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात
तिहाड़ जाने से पहले, केजरीवाल ने आप मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि वह किसी भ्रष्टाचार के मामले में जेल नहीं जा रहे हैं, बल्कि तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने के कारण। उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे एकजुट रहें और पार्टी की विचारधारा पर अडिग रहें।
प्रधानमंत्री पर आरोप
अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्वयं मान लिया है कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर बैठे व्यक्ति के बिना सबूत जेल भेजने को राजनीतिक साजिश करार दिया। यह कदम दूसरों को संदेश देने के लिए उठाया गया कि तानाशाही के खिलाफ बोलने वालों को खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
भाजपा का विरोध प्रदर्शन
केजरीवाल के आत्मसमर्पण से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने बाद में हिरासत में लिया। इस विरोध के माध्यम से भाजपा ने केजरीवाल को निशाना बनाने की कोशिश की।
केजरीवाल का संदेश
केजरीवाल ने सभी कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि उन्होंने जो भी किया है, वह जनता के हित में किया है और उनकी नीतियां ईमानदार और जनता के लिए फायदेमंद रही हैं। उन्होंने कहा कि जो एग्जिट पोल्स के नतीजे आ रहे हैं, वे झूठे हैं और सच्चाई यही है कि जनता उनके साथ है।
gulshan nishad
जून 2, 2024 AT 20:04क्या बात है, केजरीवाल फिर जेल में, जैसे किसी नाटक का क्लिफ़ है! जनता को अब और नहीं देखना पड़ता कि सत्ता के लोग कैसे खेलते हैं।
Ayush Sinha
जून 4, 2024 AT 20:58जब तक तुम सब इस बात को ढकते रहे कि यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है, मैं यहाँ फर्स्ट हेंड अनुभव जोड़ रहा हूँ-जेल में जाकर भी केजरीवाल की ऊर्जा नहीं घटती।
Saravanan S
जून 6, 2024 AT 21:43बहुत अच्छा, सबको ये समझना चाहिए कि कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं, आप सब को शब्द‑शक्ति से प्रेरित करना ही मेरा लक्ष्य है! इस समय में, एकजुटता का महत्व और भी बढ़ जाता है, इसलिए हम सब एक‑दूसरे का समर्थन करें।
Alefiya Wadiwala
जून 8, 2024 AT 22:36केजरीवाल का तिहाड़ जेल में समर्पण एक बौद्धिक पतन की निशानी है। वह खुद को दमनकारी सत्ता के खिलाफ विद्रोहि मानते हैं, पर वास्तव में यह केवल व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा है। अपने आप को महात्मा के पथ पर ले जाने की कोशिश में वह इतिहास की जटिलताओं को सरल बनाते हैं। इस तरह के बेतुके बयानों से न सिर्फ सार्वजनिक विमर्श बिगड़ता है, बल्कि वैध मुद्दों को भी धुंधला कर दिया जाता है। उनके समर्थक जो बिना सोचे-समझे उनके शब्दों को दोहराते हैं, वे राष्ट्रीय हित के बजाय व्यक्तिगत निष्ठा दिखाते हैं। यह साफ़ है कि उनकी रणनीति केवल मीडिया का ध्यान आकर्षित करने की है, न कि वास्तविक सुधार की। राजघाट पर किया गया श्रद्धांजलि केवल एक मंचीय कसरत है, जिसका वास्तविक प्रभाव नहीं है। हनुमान मंदिर में पूजा करना तो कई लोगों के लिए व्यक्तिगत विश्वास का विषय है, पर इसे राजनीतिक साधन बनाना अति‑व्यंग्यात्मक है। केजरीवाल ने कहा कि वह 'तैनाशाही' के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, जबकि वह अपने बुरे कार्यों से खुद एक नई तैनाशाही की नींव रख रहे हैं। उनके बयान में अक्सर तथ्य और भावना का मिलाजुला रूप दिखता है, जो सच्ची लोकतांत्रिक बहस को बिगाड़ता है। यह लक्षण हमारे समाज में विद्यमान अंधविश्वास और पॉपुलिज़्म को और प्रबल बनाता है। जनता को चाहिए कि वह इन नाटकीय प्रदर्शनों से बाहर निकले और ठोस नीतियों पर ध्यान दे। चाहे वह आर्थिक नीति हो या सामाजिक न्याय, चर्चा को वास्तविक डेटा और प्रभावी रणनीतियों पर आधारित होना चाहिए। नहीं तो ऐसे दिखावटी कर्तव्य केवल समय की बर्बादी हैं। इसलिए मैं इस पूरे परिदृश्य को एक बड़े झूठ के रूप में देखता हूँ, जहाँ वास्तविक मुद्दे छिपे हुए हैं। अंत में, यदि केजरीवाल को वास्तव में जनता का सम्मान है, तो वह जेल के बजाय संसद में अपने विचारों को पेश करे।
Paurush Singh
जून 10, 2024 AT 23:30यह केवल व्यक्तिगत अहंकार का प्रदर्शन है, और कोई सच्ची बहस नहीं।
Sandeep Sharma
जून 13, 2024 AT 00:23भाई लोग, केजरीवाल की वापसी तो जैसे पुरानी सीरीज़ का रीबूट 😎। अब देखेंगे कौन किसको टोकन देता है 😂।
Mita Thrash
जून 15, 2024 AT 01:16दुर्लभ सिंबायोटिक परस्परक्रिया-जहाँ विरोधी दलों के बीच विचारों का आदान‑प्रदान एक स्वस्थ लोकतांत्रिक पारिस्थितिकी बनाता है-को हम अक्सर तकनीकी जार्गन में ही समझ पाते हैं। इस कारण, हमें चाहिए कि हम अपनी भाषा को अधिक समावेशी बनाएं, ताकि हर आवाज़ को सार्थक रूप से सुनाया जा सके।
shiv prakash rai
जून 17, 2024 AT 02:10आह, फिर से जेल, जैसे हर कोई अपनी रचनात्मकता को पिटारी में रखता है। क्या मज़ा है।